पटना। राम मंदिर व धारा 370 पर भाजपा से कितनी निभेगी नीतीश कुमार की, यह सवाल फिलवक्त NDA में गंभीर रूप से खड़ा हुआ है। नीतीश ने राम मंदिर पर अध्यादेश में अड़ंगा डाल दिया था और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह कहना पड़ा था कि अदालत से ही तय होगा मंदिर का मसला। अब जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने हर हाल में राम मंदिर बनाने का संकल्प दोहरा दिया है तो नीतीश कठघरे में खड़े दिखते हैं। हालांकि अभी तक उनकी कोई प्रतिक्रिया इस पर नहीं आई है।
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जम्मू कश्मीर में धारा- 370 और 35 ए खत्म करने का वादा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लोकसभा चुनाव के दौरान तकरीबन हर सभाओं में करते रहे। नीतीश ने एनडीए की जीत के बाद दिल्ली में आयोजित भोज में शामिल होने के वक्त फिर दोहराया कि धारा 370 हटाना ठीक नहीं होगा। अब वह भाजपा के स्टैंड से किस तरह तालमेल बिठा पायेंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। भाजपा भी पहले की तरह सहयोगी दलों के सहारे अब नहीं है। वह कोई भी फैसला अपने बूते ले सकती है। उसके सामने भी अपना वादा निभाने की चुनौती है।
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नीतीश कुमार बार-बार यह कहते हैं कि कम्युनलिज्म से वे कोई समझौता नहीं करेंगे। इसका फायदा भी उनकी पार्टी को मिला है। मुसलमानों का वोट राजद के बजाय उनकी पार्टी को मिला है, लेकिन सवाल उठता है कि बार-बार यह दोहराने के पीछे उनका मकसद क्या है। कहीं उन्हें कम्युनलिज्म के हावी होने का खतरा तो मंडराता नहीं दिख रहा, जिसकी वजह से वह लोगों को वह बार-बार आश्वस्त कर रहे हैं। एनडीए की जीत के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस में भी उन्होंने यह बात कही।
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सच्चाई यह है कि मौजूदा हालात में भाजपा को नीतीश की उतनी जरूरत नहीं रह गयी है, जितनी नीतीश को भाजपा की दरकार है। यानी भाजपा अगर मंदिर और धारा 370 पर अपना स्टैंड अमल में लाती है तो नीतीश कुमार के सामने नये तरकीब सोचने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।
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