ममता बनर्जी इस्तीफा देकर खुद ऐसे हालात बना देंगी, तृणमूल में मची भगदड़ से हैं परेशान
- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। बंगाल में समय से पहले हो सकता है विधानसभा चुनाव। हालात ऐसे ही बन रहे हैं। भाजपा न भी चाहे तो ममता बनर्जी इस्तीफा देकर हालात बना देंगी। लोकसभा चुनाव के पहले से तृणमूल कांग्रेस को कमजोर करने का भाजपा का प्रयास रंग दिखाता रहा है। तृणमूल में भगदड़ मची है। वाम दलों के समर्थकों-कार्यकर्ताओं ने भी भाजपा का साथ देना शुरू कर दिया है। मंगलवार को कई नगरपालिकाओं का नेतृत्व भाजपा के हाथ आ गया, जब 70 पार्षदों ने भाजपा का दामन थाम लिया। दूसरी ओर 24 घंटे में माकपा और तृणमूल कांग्रेस के 4 विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। तीन ने मंगलवार तो एक ने बुधवार को झंडा हाथ में उठा लिया।
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पश्चिम बंगाल के भाजपा प्रभारी कैलाश विजयनर्गीय तो यहां तक कहते हैं कि सात चरणों में लोकसभा के चुनाव हुए तो हमारे दो से बढ़ कर 18 सांसद हो गये। अब सात चरणों में विपक्ष के विधायकों को तोड़ने का प्रयास होगा और उसके बाद बंगाल में तृणमूल का कोई नामलेवा नहीं रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकसबा चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि तृणमूल कांग्रेस के 40 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।
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ममता बनर्जी ने भाजपा पर अपने लोगों को तोड़ने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसके खिलाफ धरना देने की बात कही है। ममता बनर्जी इससे इतनी खफा हैं कि नयी केंद्रीय सरकार के शपथग्रहण समारोह में राष्ट्रपति भवन से न्यौता मिलने पर उन्होंने शिरकत की हामी तो भर दी, लेकिन आधे घंटे के अंदर उन्होंने ट्वीट कर बताया कि वे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होंगी।
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पश्चिम बंगाल का इतिहास रहा है कि जब भी राजनीतिक परिवर्तन होता है तो राजनीतिक हिंसा जोर पकड़ती है और रातोंरात पाल बदल होने लगता है। ममता बनर्जी ने वाम दलों से जब सत्ता झटकी थी तो रातोंरात सारे वाम दलों के दफ्तर तृणमूल कांग्रेस के बैनर, बोर्ड और होर्डिंग से ढंक गये थे। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। दरअसल बंगाली समुदाय को जब तक परिवर्तन का पक्का भरोसा नहीं होता है, तब तक वह खुद को उजागर नहीं करता है। जैसे ही उसे सत्ता परिवर्तन की संभावना साफ दिखने लगती है, वह रातोंरात बदल जाता है। इस क्रम में राजनीतिक हिंसा भी होती है।
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