झारखंड के स्वर्णकार अब पिछड़े वर्गों की सूची में शुमार होंगे

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झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास
झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास

रांची। झारखंड के स्वर्णकार अब पिछड़े वर्गों की सूची में शुमार होंगे।  राज्य मंत्रमंडल ने मंगलवार को इस पर मुहर लगा दी। अब यह पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल है। झारखंड राज्य के पिछड़े वर्गों की सूची के अष्ट लोही कर्मकार के साथ शामिल  कर लिये गये हैं। मंत्रिमंडल में आज की स्वीकृति दे दी गई।

मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए अन्य महत्वपूर्ण फौसलों में राज्य योजना अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में कार्यान्वित होने वाले मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना में संशोधन की स्वीकृति दी गई। इस योजना के लाभुकों के योग्यता के निर्धारण के लिए कट ऑफ डेट 30 मई 2019 होगा। अगले 5 वर्षों के लिए यही कट ऑफ मान्य होगा। इस योजना के अंतर्गत लाभुकों को मिलने वाली राशि दो या दो से अधिक किस्तों में दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत प्राप्त सूची की अपने स्तर से जांच करते हुए संबंधित उपायुक्त डीबीटी के माध्यम से लाभुकों के खाते में राशि अंतरित करेंगे। जिन कृषकों द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम किसान) योजना के लिए निर्धारित Exclusion प्रपत्र (प्रपत्र-E) में दिया गया स्वघोषण प्रमाण-पत्र इस योजना के लिए भी मान्य होगा, उनके लिए प्रपत्र-D अनिवार्य नहीं होगा। इस योजना में राज्य के वैसे सभी किसानों को कृषि कार्य के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करना है जिनके पास अधिकतम 5 एकड़ तक कृषि योग्य भूमि होगी।

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विधायक योजना अंतर्गत विधानसभा सदस्यों की अनुशंसा पर ली जाने वाली कार्यों की सूची में पेयजल आपूर्ति संबंधी योजनाओं को सम्मिलित करने की स्वीकृति दी गई। विधायक योजना अंतर्गत प्रति विधानसभा वार प्रति वर्ष कुल आवंटित राशि ₹4 करोड़ में से 50 लाख का व्यय निश्चित रूप से विधायकों की अनुशंसा पर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए (पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा निर्धारित मानक पर आकलन एवं नियमों के अनुसार) स्वीकृत “मुख्यमंत्री जन जल योजना” की जलापूर्ति योजना का क्रियान्वयन एवं शहरी क्षेत्रों के लिए संबंधित विभाग द्वारा स्वीकृत पाइपलाइन जलापूर्ति योजना में अतिरिक्त क्षेत्रफल विस्तार/सुदृढ़ीकरण के लिए किया जाएगा।

ज्ञात हो कि राज्य में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अंतर्गत अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बाहुल्य टोलों की शत-प्रतिशत आबादी को पाइप जलापूर्ति से आच्छादित करने के लिए “मुख्यमंत्री जन जल योजना चलाई जा रही है”। इसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में भी पाइपलाइन जलापूर्ति योजना के तहत पेयजल आपूर्ति की जा रही है।

राज्य के राजकीयकृत विद्यालयों के शिक्षकों का वेतन निर्धारण की स्वीकृति दी गई। झारखंड स्वैच्छिक सांस्कृतिक संस्थाओं को सहायता अनुदान स्वीकृति के लिए नीति/निर्देशिका एवं शर्तों के निर्धारण के लिए नियमावली का गठन करने की स्वीकृति दी गई।

अन्य महत्वपूर्ण फैसले

  • झारखंड माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत कर दर से संबंधित निर्गत अधिसूचनाओं पर मंत्रिपरिषद की घटनोत्तर स्वीकृति दी गई।
  • झारखंड माल और सेवा कर अधिनियम, 2017 के अंतर्गत निर्गत अधिसूचनाओं पर मंत्रिपरिषद की घटनोत्तर स्वीकृति दी गई।
  • झारखंड कारखाना नियमावली, 1950 के नियम 5 के उप नियम (2) में संशोधन संबंधी प्रस्ताव पर स्वीकृति दी गई।
  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत संविदा पर कार्यरत पदाधिकारियों/कर्मियों को देय सुविधा एवं क्षेत्रीय मनरेगा कर्मियों के मासिक मानदेय में संशोधन की स्वीकृति दी गई।
  • झारखंड कृषि अधीनस्थ (सेवा भर्ती एवं प्रोन्नति) नियमावली, 2013 से संबंधित अधिसूचना संख्या-820 दिनांक 10 मार्च 2014 की कंडिका-5, कंडिका 6.2 एवं अधिसूचना संख्या 28 22 दिनांक 27 जुलाई 2015 की कंडिका-5, के संशोधन/ विलोपन पर स्वीकृति दी गई।
  • पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत अंचल जमशेदपुर अंतर्निहित कुल रकबा-07.00 एकड़ किस्म पुरानी परती एवं पुरानी परती काबिल आबाद (अनाबाद बिहार सरकार) टाटा लीज क्षेत्र अंतर्गत की भूमि को पुनरग्रहित (Resume) करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत आवास निर्माण के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग, झारखंड सरकार को अंतरविभागीय निशुल्क भूमि हस्तांतरण करने की स्वीकृति दी गई।
  • झारखंड मोटर गाड़ी नियमावली 2001 (अंगीकृत बिहार मोटर गाड़ी नियमावली, 1992) में संशोधन की स्वीकृति दी गई।
  • वित्तीय वर्ष 2019-20 में डीवीसी एवं अन्य के बकाया भुगतान के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को अनुदान मद में बजट उपबंधित राशि 300 करोड़ के विरुद्ध डीवीसी को भुगतान करने के लिए 300 करोड़ झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड को अनुदान के रूप में एकमुश्त विमुक्त करने की स्वीकृति दी गई।
  • झारखंड राज्य के गठन के फलस्वरूप तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड के स्वामित्व एवं भविष्य में इसके विस्तारीकरण के फलस्वरूप 40% बिजली बिहार राज्य को सक्षम प्राधिकार/ विनियामक आयोग के तत्कालीन दर पर उपयोग के लिए स्वीकृति दी गई।

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