पटना। बिहार के मुजफ्फरपर से निकल कर अब राज्य के अन्य जिलों में भी दिमागी बुखार ने पांव पसारना शुरू कर दिया है। बुधवार को मुजफ्फरपुर में 13 बच्चों ने दम तोड़ा। जबकि भागलपुर में भी दो बच्चों की मौत होने की सूचना है। वैशाली, सीवान, सीतामढ़ी, शिवहर और बेगूसराय समेत 13 जिलों में दिमागी बुखार से बच्चों के पीड़ित होने और मौत की सूचनाएं आती रही हैं।
इस बीच केंद्र सरकार ने डाक्टरों की पांच टीमें भेजने का फैसला किया है। राज्य सरकार ने भी अपने स्तर से अतिरिक्त डाक्टरों की टीम भेजी है। इस मामले को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री डा. हर्षवर्द्धन, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे और बिहार के स्वास्थ्यमंत्री मंगल पांडेय ने पहले दौरा किया। उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मुजफ्फरपुर का मंगलवार को दौरा किया। मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्वास्थ्य सेवाएं चौकस भी हुईं, लेकिन इस बीच बीमारी के दूसरे जिलों में फैलने की सूचना ने सबको सकते में डाल दिया है।
बिहार सरकार ने AES व लू से पीड़ितों के लिए कई कदम उठाये हैं। इसका लाभ भी पीड़ितों-प्रभावित लोगों को मिलने लगा है। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि अत्यधिक गर्मी, लू और चमकी बुखार से बड़ी संख्या में बच्चों-बुजुर्गों की मृत्यु हर संवेदनशील व्यक्ति को विचलित करने वाली है। सरकार ने पीड़तों की मदद और बचाव के लिए तेजी से कदम भी उठाये। एईएस का इलाज मुफ्त किया गया, रोगी को अस्पताल लाने का खर्च देने का निर्णय हुआ, मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये देने की शुरूआत की गई और दर्जन भर लोगों तक यह राशि पहुंचा भी दी गई।
उन्होंने कहा कि एहतियात के तौर पर दिन के 10 बजे से शाम के पांच बजे तक सरकारी-गैरसरकारी निर्माण पर रोक लगा दी गयी है। स्कूल-कालेज 24 जून तक बंद कर दिये गए हैं। भविष्य की चुनौती को देखते हुए मुजफ्फरपुर के SKMCH में 100 बेड का ICU बनाने का फैसला किया गया। सरकार हर संभव उपाय कर रही है, लेकिन जिन्होंने ने 15 साल के अपने शासन में सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों को आवारा पशुओं का तबेला बना दिया था, वे बच्चों की चिता पर राजनीति की रोटियां सेंकने निकल पड़े हैं।
उन्होंने राजद को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि राजद के लोगों को हाल के लोकसभा चुनाव के दौरान अमर्यादित टिप्पणी और तथ्यहीन आरोप लगाने के कारण जनता ने जीरो पर आउट किया, लेकिन मात्र 22 दिन बाद मौका मिलते ही उनकी पुरानी बोली फूटने लगी। राबड़ी देवी को बताना चाहिए कि उनके शासन में मेडिकल कालेजों की क्या दशा थी? एक पूर्व मुख्यमंत्री से लोग जानना चाहेंगे कि हाल में चमकी बुखार से 1000 बच्चों की मौत के आंकड़े का आधार क्या है? क्या मौत के मनगढ़ंत आंकड़े पेश करना किसी जिम्मेदार व्यक्ति का काम हो सकता है?
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