नोएडा और दिल्ली के बाद अब रांची में होगी शुरुआत
रांची: रिटायर्ड पर्सन्स की सक्रियता बढ़ाने और उन्हें मानसिक रूप से फिट रखने के लिए जिला प्रशासन के सहयोग से हेल्दी एजिंग इंडिया संस्था द्वारा ट्रेनिंग कार्यक्रम का आगाज हो चुका है। डीईओ कार्यालय परिसर स्थित ब्लॉक संसाधन केंद्र में इसके लिए इंटर-जेनरेशन लर्निंग सेंटर (आईजीएलसी) बनाया गया है। नोएडा और दिल्ली के बाद अब रांची में भी रिटायर्ड पर्सन द्वारा सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाया जायेगा। ऐसा करने वाला रांची, देश का तीसरा शहर होगा।
5 स्कूलों से शुरु करने का लक्ष्य
झारखंड शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण परिषद (जेसीईआरटी) की स्टेट रिसोर्स पर्सन ने 40 बुजुर्गों को ट्रेनिंग सेशन में बताया कि बच्चों को कैसे पढ़ा सकते हैं। 100 बुजुर्गों को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य रखा गया है। शहर के 20 स्कूलों में कक्षा छठी से आंठवीं तक के बच्चों को ट्रेनिंग के बाद ये बुजुर्ग पढ़ाएंगे। शुरुआत पांच स्कूलों में 15 सितंबर से करने की तैयारी चल रही है। बाकी बचे स्कूलों में एक साथ पढ़ाई शुरू कराने की बजाय दो महीने में पांच-पांच स्कूलों में यह व्यवस्था की जाएगी।
सबसे पहले 2017 में नोएडा से हुई शुरुआत
हेल्दी एजिंग इंडिया संस्था बुजुर्गों को अकेलेपन से दूर करने लिए उन्हें शिक्षा से जोड़ रही है। सितंबर 2017 में सबसे पहले इसकी शुरुआत नोएडा के जूनियर स्कूल से हुई। इस शैक्षणिक सत्र अप्रैल में दिल्ली के पांच स्कूलों में भी यह शुरू हुआ। नई दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के 41 स्कूलों के बच्चों को बुजुर्ग पढ़ाएंगे। जबकि, आईजीएलसी परियोजना के लिए रांची जिला प्रशासन के साथ संस्था ने 30 मई को एमओयू किया है।
ट्रेनिंग के बाद उनका होगा डेमोस्ट्रेशन
वैसे रिटायर्ड पर्सन जो शिक्षित हों, अपनी सक्रियता बढ़ाने के लिए परियोजना से जुड़ने को इच्छुक हों, उन्हीं का चयन इसमें होगा। ट्रेनिंग के बाद उनका डेमोस्ट्रेशन होगा। हेल्थ चेकअप भी उनका किया जाएगा कि वे कितने फिट हैं। अगर अधिक देर खड़े नहीं रह सकते तो उन्हें वैसे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाएगी जो पढ़ने में कमजोर हैं।
योजना के बारे में बुजुर्गों की राय
सरकारी विभाग से क्लर्क पद से रिटायर हुए संजय श्रीवास्तव कहते हैं कि ऐसी पहल से समाज निर्माण में मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि रिटायरमेंट के बाद घर में रहना अच्छा नहीं लग रहा था। इसलिये इससे मानसिक रुप से स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी।
पहले शिक्षक रहीं मालिनि सिंह ने बताया कि जो बच्चे गरीब और पढ़ने में कमजोर हैं उन्हें प्रथमिकता दी जाएगी। ऐसा करने से कमजोर तबके के बच्चों को काफी मदद मिलेगी और अपना भविष्य बेहतर बना सकेंगे।