विनोद खन्ना कद-काठी से अमिताभ बच्चन पर भारी पड़ते थे

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विनोद खन्ना
विनोद खन्ना
  • नवीन शर्मा

विनोद खन्ना अपने दौर के सबसे स्मार्ट और हैंडसम अभिनेता रहे हैं। अभिनय में भले ही अमिताभ उन पर भारी पड़ते हों, पर कद-काठी से हीरो  विनोद ही लगते थे।। लंबे, चौड़े और मर्दाना चेहरा वाले विनोद खन्ना को हिंदी सिनेमा का सबसे आकर्षक स्टार बनाता था। उनकी कई फिल्में सुपरहिट रही हैं।

विलेन के रोल से शुरू कर हीरो बनने वाले रेयर लोगों में विनोद खन्ना शामिल हैं। वे नायक और खलनायक दोनों भूमिकाओं में समान रूप से जंचते थे। हैंडसम विनोद को सुनील दत्त ने ‘मन का मीत’ (1968) में विलेन के रूप में लांच किया। यह फिल्म दत्त ने अपने भाई को बतौर हीरो लांच करने के लिए बनाई थी। वह तो पीछे रह गए, लेकिन विनोद की चल निकली।

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हीरो के रूप में स्थापित होने के पहले विनोद ने आन मिलो सजना, पूरब और पश्चिम, सच्चा झूठा जैसी फिल्मों में सहायक या खलनायक के रूप में काम किया। गुलजार द्वारा निर्देशित ‘मेरे अपने’ (1971) से विनोद खन्ना को पहचान मिली और बतौर नायक वे नजर आने लगे।

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मल्टीस्टारर फिल्मों से विनोद को कभी परहेज नहीं रहा और वे उस दौर के स्टार्स अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, सुनील दत्त आदि के साथ फिल्में करते रहे।   अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की जोड़ी को दर्शकों ने काफी पसंद किया। हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथोनी, मुकद्दर का सिकंदर ब्लॉकबस्टर साबित हुईं। मुकद्दर का सिकंदर में तो वो छोटा रोल होने के बाद भी अपनी छाप छोड़ते हैं।

ओशो के संन्यासी बने, फिल्‍में छोड़ी

विनोद खन्ना ने ऐसे समय जब दौलत, शोहरत उनके चरण चूम रही थी। अमिताभ बच्चन के बाद वे सबसे लोकप्रिय अभिनेता थे,  संन्यास का फैसला किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि भले ही उनके पास दौलत-शोहरत है लेकिन एक कमी से लगती है। इसी वजह से संन्यास का फैसला किया और अमेरिका में आध्यात्मिक गुरु ओशो के आश्रम चले गए।

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ओशो के आश्रम में विनोद खन्ना ने बेहद सादगी से जीवन व्यतीत किया। यहां वो 5 साल तक रहे। आश्रम में माली भी बने और टॉयलेट भी साफ किया। फिल्मों से संन्यास के बाद उन्हें ‘सेक्सी संन्यासी’ तक कहा जाने लगा। संन्यासी बनने की वजह से विनोद खन्ना का परिवार टूट गया। जब वो इंडिया लौटे तो पत्नी ने उन्हें तलाक दे दिया।

फिल्‍मों में दूसरी पारी शुरू

फिल्मों के प्रति प्यार विनोद को फिर फिल्मों में खींच लाया और 1987 में उन्होंने ‘इंसाफ’ फिल्म से वापसी की। चार-पांच साल तक नायक बनने के बाद विनोद धीरे-धीरे चरित्र भूमिकाओं की ओर मुड़ गए। 1990 में विनोद ने कविता से शादी की। कविता और विनोद का एक बेटा साक्षी और बेटी श्रद्धा है। विनोद खन्ना सलमान खान के साथ बहुत सी फिल्मों में नजर आ चुके हैं। सलमान उन्हें अपने लिए लकी मानते हैं। इस दौर में दयावान,चांदनी, जुर्म,लेकिन, बंटवारा, रिहाई, कोयलांचल और दबंग जैसी फिल्में कर फिर से अपनी जगह बनाई।

विनोद खन्ना फिल्मों में स्टाइलिश अभिनेता के तौर पर जाने जाते थे। विनोद खन्ना अभिनेता होने के अलावा, निर्माता और सक्रिय राजनेता भी थे।  चार बार पंजाब के गुरदासपुर से सांसद चुने गए। केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे।उन्हें फिल्‍मों में योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया।

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