पटना। सुशील मोदी ने आरजेडी पर फिर हमला बोला है। वे अपने ट्वीट के जरिये वे आरजेडी और कांग्रेस पर लगातार हमला करते रहे हैं। लोहिया जयंती पर फिर घेरा है। उन्होंने ट्वीट में शनिवार को आरेजेडी का नाम लिये बगैर कहा कि जिनके 15 साल के राज में गरीबी कम होना तो दूर, लाखों गरीबों को जिंदा रहने भर रोजी-रोटी कमाने के लिए पलायन करना पड़ा और जिस पार्टी के प्रमुख 1000 करोड़ के चारा घोटाले के चार मामलों में सजायाफ्ता हैं, वे भी लोकलाज छोड़कर सादगी-ईमानदारी के प्रतीक डा. लोहिया की जयंती मना रहे हैं। ऐसे महापुरुष के लिए राजद की नीति-रीति में यदि जरा भी स्थान होता तो लालू-राबड़ी के शासन में न घोटाले होते, न परिवारवाद को बढ़ावा दिया गया होता।
उन्होंने कहा कि लोहिया जी की जयंती मनाने और उनकी तस्वीर पर फूल चढ़ाने से पहले तेजस्वी प्रसाद यादव को 29 साल की उम्र में करोड़ों रुपये की 54 सम्पत्तियां हासिल करने के बारे में लगे सभी आरोपों का बिंदुवार जवाब देना चाहिए था। वे लोहिया का नाम लेकर गरीबों का वोट हासिल करना चाहते हैं, लेकिन बेडरूम से बाथरूम तक 46 AC लगाकर अमीरों की तरह रहना पसंद करते हैं।
बिहार में होने वाले उपचुनाव पर उन्होंने कहा कि बिहार में मात्र पांच सीटों पर होने वाले उपचुनाव में महागठबंधन एकजुट नहीं है। ये सभी दल अहंकार और स्वार्थ में इस तरह डूबे हैं कि वे न आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा कर सके, न चुनावी मंच साझा करेंगे। एक दूसरे को हराने के लिए जो चुनाव लड़ेंगे, वे ही अपने महागठबंधन को अटूट बता रहे हैं।
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लोहिया के विचारों का मखौल उड़ाने वाले श्रद्धांजलि दे रहेः राजीव रंजन
महागठबंधन के घटक दलों द्वारा राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि मनाने पर सवाल खड़े करते हुए भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक राजीव रंजन ने कहा कि यह किसी से छिपा नही है कि कांग्रेसवाद का विरोध डॉ. लोहिया के हृदय में रचा-बसा था, लेकिन उन्ही के पदचिन्हों पर चलने का दावा करने वाले दल आज उनके सिद्धांतों को तिलांजलि देते हुए कांग्रेस की गोद में बैठे हुए हैं। यह कौन नही जानता कि डॉ. लोहिया अंग्रेजों के शासनकाल में जितनी बार जेल गए, उससे कहीं अधिक बार उन्हें कांग्रेस की सरकारों ने जेल भेजा। इसके बावजूद उसी कांग्रेस के साथ इन फर्जी समाजवादियों को गलबहियां करते देख आज लोहिया जी की आत्मा भी स्वर्ग में कराह रही होगी।
उन्होंने कहा कि वंशवादी राजनीति को हमेशा लोकतंत्र के लिए घातक मानने वाले डॉ लोहिया आज अपने तथाकथित अनुयायियों के कारनामे देख कितने विचलित और व्यथित हो रहे होंगे, इसे कोई भी समझ सकता है। यह दिखाता है कि यह दल लोहिया जैसे महापुरुषों के विचारों में नही, बल्कि सत्ता, स्वार्थ और शोषण में विश्वास करने वाले दल हैं। इन पार्टियों की बस एक ही विचारधारा है कि जैसे-तैसे सत्ता हथियाओ और बाद में भ्रष्टाचार के सहारे अपनी संपति बढाओ. डॉ. लोहिया जहां जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों और महिलाओं के बीच बराबरी के पक्षधर रहे, वहीं उनके नाम पर राजनीति करने वाले यह दल महिलाओं को हमेशा पीछे देखना चाहते हैं। यही वजह है कि तथाकथित लोहियावादी पार्टियों ने तीन तलाक की अमानवीय प्रथा को खत्म करने के राजग सरकार के प्रयास का विरोध किया। इन पार्टियों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इनके लिए डॉ. लोहिया के विचार और आदर्श बड़े हैं या फिर वोट बैंक की राजनीति? बहरहाल ये दल जान जाएं कि जनता इनके खेल को पूरी तरह समझती है।
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