PATNA : बिहार में CM चेहरे को लेकर इन दिनों विपक्षी दलों के महा गठबंधन में सियासी घमासान तेज हो गया है। चेहरे को लेकर हर दल के अपने दावे हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने एनडीए के सीएम फेस पर स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने एनडीए के सर्वमान्य चेहरे नीतीश कुमार के नाम की घोषणा पहले ही कर दी है। नीतीश के नाम पर एनडीए के किसी घटक दल को न तो आपत्ति है और न उनके पास नीतीश के बरख्श कोई दूसरा चेहरा ही है। यह बात अलग है कि सीट शेयरिंग का कोई फार्मूला अभी तक एनडीए ने भी फाइनल नहीं किया है। जेडीयू पहले ही लोकसभा के फारमूले से इतर विधानसभा में सर्वाधिक सीटों की मांग जरूर कर रहा है।
दूसरी ओर महागठबंधन में सीएम के चेहरे को लेकर मारामारी मची है। आरजेडी तेजस्वी यादव को सीएम फेस बनाने पर अड़ा है। हालांकि दूसरे घटक दल तेजस्वी के नाम पर एकमत नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी इससे सहमत नहीं हैं। वीआईपी के मुकेश सहनी को छोड़ महागठबंधन के दूसरे दल इसे एकतरफा फैसला मानते हैं। आरजेडी में इसे लेकर दो वरिष्ठ नेता उलझ गये हैं। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने तेजस्वी को सीएम फेस बनाये जाने की बात कही तो पार्टी के दूसरे वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने इसे एकतरफा फैसला बताया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन के दूसरे घटक दलों की राय भी लेनी चाहिए।
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अब इस जंग में कांग्रेस भी कूद पड़ी है। कांग्रेस ने मीरा कुमार का नाम उछाल कर नई पैंतरेबाजी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने मीरा कुमार सामने किया है। विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा और कांग्रेस के दो बड़े नेता शकील अहमद और अनिल कुमार ने अलग-अलग बयान में कहा है कि कांग्रेस में नेताओं की कमी नहीं है। उनके पास मुख्यमंत्री के रूप में एक से एक चेहरे
सच कहें तो सीएम फेस से ज्यादा फोकस घटक दलों का सीट शेयरिंग पर है। आरजेडी सर्वाधिक सीटों पर लड़ना चाहता है तो घटक दल भी ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। अभी तक सीटों की संख्या किसी ने स्पष्ट नहीं की है, लेकिन समझा जाता है कि जो कुछ भी हो रहा है, वह सीटों के बंटवारे को लेकर हो रहा है। सीटों की संख्या को लेकर दबाव बनाने की यह घटक दलों की कोशिश है।
दूसरी ओर आरजेडी इस बात पर भी गौर कर रहा है कि क्यों न चुनाव अपने दम पर अकेले लड़े। आरजेडी के ऐसा सोचने के पीछे उसकी मंशा है कि वह अपने पारंपरिक वोट आधार मुस्लिम-यादव समीकरण को पुनर्जीवित करने में कामयाब हो जाएगा। वह ऐसा इसलिए सोच रहा है कि हाल के समय में एनआरसी, सीसीए और एनपीआर को लेकर पूरे देश में जिस तरह माहौल गर्म है, उसमें वह मुस्लिम वोटों का संरक्षक-पोषक बन कर उभर सकता है। चुनाव में अभी कई महीने बाकी हैं। अपने जनाधार को मजबूत करने में सभी दल जुटे हैं। तेजस्वी यादव ने एनआरसी के विरोध में सीमांचल से अपनी यात्रा शुरू की है, जहां माना जाता है कि मुस्लिम आबादी अधिक है। यादवों के वोट को लेकर आरजेडी कभी सशंकित नहीं रहा है।