बिहार के राज्यपाल ने ‘उद्यान प्रदर्शनी’ का उद्घाटन किया

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राज्यपाल ने राजभवन में आयोजित ‘उद्यान प्रदर्शनी’ का परिभ्रमण कर अवलोकन किया
राज्यपाल ने राजभवन में आयोजित ‘उद्यान प्रदर्शनी’ का परिभ्रमण कर अवलोकन किया

पटना। बिहार के राज्यपाल फागू चौहान ने राजभवन के राजेंद्र मंडप में आयोजित ‘उद्यान प्रदर्शनी’ का उद्घाटन किया। प्रदर्शनी में 414 किसानों ने भाग लिया। उन्होंने कहा कि देश के विकास में कृषि एवं कृषि के अनुषंगी क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है। देश की आर्थिक व सामाजिक प्रगति इसी पर निर्भर है। कृषि एवं इसके अनुषंगी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के प्राण तत्व हैं। देश की एक चैथाई राष्ट्रीय आय, कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों से ही प्राप्त होती है। देश के कुल निर्यात मे 16 प्रतिशत हिस्सा कृषि से ही प्राप्त होता है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर द्वारा ‘उद्यान प्रदर्शनी’ का आयोजन किया गया है।

राज्यपाल श्री चैहान ने कहा कि परंपरागत खेती से हटकर किसानों को मधुमक्खी-पालन, मुर्गीपालन, मशरूम, फल-फूल तथा सुगंधित एवं औषधीय पौधों के उत्पादन, बकरी-पालन और गो-पालन जैसे कृषि आधारित उद्योगों से जुड़ना होगा। उन्होंने कहा कि गो-पालन एक लाभदायक व्यवसाय है। विशेषकर देशी गायों का दूध, गोबर और गोमूत्र- तीनों ही उपयोगी हैं।

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राज्यपाल ने कहा कि बिहार राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। बिहार-विभाजन के बाद अधिकांश खनिज संपदा झारखंड के ही हिस्से में चली गई। फलतः बिहार का विकास मूल रूप से कृषि पर ही अवलंबित हो गया। राज्य विभाजन के बाद बिहार ने काफी कुशलतापूर्वक अपनी अर्थव्यवस्था को संभाला एवं विकास-प्रयासों को गति दी।

राज्यपाल श्री चौहान ने कहा कि आज बिहार की विकास-दर देश की विकास-दर से भी अधिक 15 प्रतिशत है। निश्चय ही यह राज्य के ठोस विकास-प्रयासों और कुशल वित्तीय प्रबंधन का परिचायक है। उन्होंने कहा कि विकास-दर में कृषि प्रक्षेत्र का योगदान बढ़े- अब इस दिशा में भी सोचने का समय आ गया है। राज्यपाल ने कहा कि आज राजभवन में ‘उद्यान प्रदर्शनी’ आयोजित करते हुए राज्य के किसानों को सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि राजभवन को आम जनता के लिए खोलने की भी शुरूआत आज के इस आयोजन के माध्यम से कर दी गई है। ऐसे आयोजन आगे भी जारी रहेंगे, जिनमें जन-भागीदारी देखने को मिलेगी।

राज्यपाल ने कहा कि किसानों को उनकी जमीन की उत्पादकता बढ़ाने में मदद के लिए ‘स्वायल हैल्थ कार्ड स्कीम’ शुरू की गई है। समेकित कृषि-प्रणाली के जरिये किसानों की वार्षिक आय में लगभग 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बिहार राज्य में दो हजार से अधिक किसानों ने समेकित कृषि-प्रणाली को अपनाया है, जिससे उन्हें प्रति हेक्टेयर प्रतिवर्ष दो से ढ़ाई लाख रूपये तक आमदनी हुई है। राज्यपाल ने कहा कि राज्य में ‘नीली क्रांति’ योजना लागू करते हुए मछली-उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली गई है। राज्य में खाद्य-प्रसंस्करण उद्योग के बढ़ावा के लिए ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना’ शुरू की गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ तो आज किसानों की आय का सुरक्षा-कवच ही है।

राज्यपाल ने कहा कि बिहार सरकार ने कृषि-विकास के लिए सार्थक प्रयास किया है। “तीसरे कृषि रोड-मैप” के जरिये समेकित तथा जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए राज्य की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा रही है। वर्ष 2017 से 2022 तक पाँच वर्ष की अवधि में ”तीसरे कृषि-रोड मैप“ के आलोक में कृषि पर 01 लाख 54 हजार करोड़ रूपये व्यय किए जायेंगे। राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए ‘इनपुट अनुदान’ की व्यवस्था के साथ-साथ ‘जैविक कारिडोर’ बनाने हेतु भी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि जैविक सब्जी की खेती करने के लिए किसानों को बीज एवं जैविक उत्पादन के क्रय हेतु राशि सीधे उनके खातों में ‘इनपुट अनुदान कार्यक्रम’ के तहत प्रदान की जा रही है। साथ ही सहकारी प्रक्षेत्र का सहयोग लेते हुए सब्जी-संग्रहण, प्रसंस्करण एवं विपणन की त्रिस्तरीय व्यवस्था बहाल की गई है।

राज्य में पशु एवं मत्स्य संसाधनों के विकास के जरिये ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ किया जा रहा है। देशी नस्ल की गायों के जरिये दुग्ध-उत्पादन को बढ़ावा देकर बिहार एवं पूरे देश का आर्थिक सशक्तीकरण हो रहा है। राज्यपाल ने विश्वास व्यक्त किया कि दूसरी “हरित क्रांति” का सर्वाधिक बेहतर परिणाम बिहार में ही देखने को मिलेगा।

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कार्यक्रम में स्वागत-भाषण करते हुए बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के कुलपति डा॰ अजय कुमार सिंह ने कहा कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय अपनी उपलब्धियों के बल पर राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त करने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशिक्षण एवं अनुसंधान पर विशेष ध्यान दे रहा है। कार्यक्रम में बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना के कुलपति डा॰ रामेश्वर सिंह, राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा, कृषि विभाग के अपर सचिव आर॰एन॰ राय, उद्यान निदेशक नंद कुमार आदि भी उपस्थित थे। राज्यपाल ने राजभवन में आयोजित ‘उद्यान प्रदर्शनी’ का परिभ्रमण कर अवलोकन किया तथा फल-फूल, सब्जी, सुगंधित एवं औषधीय पौधों आदि से जुड़े विभिन्न उत्कृष्ट प्रदर्शों को देखा और संबंधित किसानों को प्रोत्साहित किया।

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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि राज्य में कृषि के साथ-साथ इसके अनुषंगी क्षेत्रों के विकास हेतु भी ‘तृतीय कृषि रोड-मैप’ के आलोक में चरणबद्ध प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने राज्य के 13 जिलों में ‘जैविक कैरिडोर’ तत्काल स्थापित करने की योजना की जानकारी देते हुए कहा कि जैविक कृषि तथा फल-फूल-सब्जी-उत्पादन के प्रयासों को सरकार भरपूर प्रोत्साहित कर रही है। संबोधन के दौरान मंत्री श्री कुमार ने कृषि-विकास के प्रयासों का विस्तार से उल्लेख किया। प्रदर्शनी में 414 किसानों ने भाग लिया, जबकि आनलाइन रजिस्ट्रेशन के जरिये लगभग 200 दर्शनार्थियों ने भी इस दो दिवसीय ‘उद्यान प्रदर्शनी’ का अवलोकन राजभवन पहुँचकर किया।

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