बिहार की आबादी 12.5 करोड़ और डाक्टर सिर्फ 7500 !

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कोरोना का कहर, हर दिल-दिमाग रणभूमि। मौत दर मौत। सब नेगेटिव। खिन्न मन। अच्छा सोचो। अच्छा करो। अच्छा पढ़ों। अच्छा लिखो। सब ठीक होगा। कैसे होगा? धैर्य रखो।
कोरोना का कहर, हर दिल-दिमाग रणभूमि। मौत दर मौत। सब नेगेटिव। खिन्न मन। अच्छा सोचो। अच्छा करो। अच्छा पढ़ों। अच्छा लिखो। सब ठीक होगा। कैसे होगा? धैर्य रखो।

बिहार की आबादी लगभग 12.5 करोड़ है। देश की कुल आबादी के लगभग 10% लोग बिहार में रहते हैं। इतनी बड़ी आबादी के लिए 7500 से भी कम डाक्टर हैं। इनमें परमानेन्ट और ठेके पर रखे गये सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर शामिल हैं। इनमें से अधिकतर डॉक्टर पूर्ण रूप से सिर्फ सरकारी अस्पतालों में काम न कर के अपना निजी क्लिनिक चलाते हैं और अब अपने निजी क्लिनिक में कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को देखने से बच रहे हैं। अब सरकार की सख्ती से शायद सरकारी अस्पताल जा रहे हों। इनमें पटना और पटना के आसपास के जिलों में ज्यादातर डॉक्टरों की नियुक्ति की गई है। बिहार के कई जिले हैं, जहां सरकारी डॉक्टर न के बराबर हैं। ट्रेंड नर्स न के बराबर हैं, जिन्हें संक्रमण से बचाव के लिए बकते जाने वाले एहतियात की समझ हो।

कुछ अपवाद को छोड़कर, अधिकतर प्राइवेट डॉक्टर कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को देखने से बच रहे हैं, इस डर से कि कहीं उनको भी संक्रमण न हो जाए। बिहार में पहले कोरोना के मरीज की पहचान तब होती है, जब उसका देहांत हो जाता है। आप खुद सोचिए कि स्थिति कितनी खराब है। इसका अंदाज न केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को है, न मीडिया को ही। करोड़ों की आबादी वाले जिलों में कुछ सौ isolation केंद्र भी नहीं बनाये गये हैं। बिहार के किसी भी जिले में 1 लाख की आबादी के लिए 1 से ज्यादा सरकारी डॉक्टर नहीं हैं। इतनी बुरी हालत दुनिया में किसी जगह नहीं है।

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बिहार की स्थिति पुरी दुनिया में सबसे भयावह हो सकती है, क्योंकि जनसंख्या घनत्व के अनुसार स्वास्थ्य व्यवस्था के इंतज़ाम न के बराबर हैं। कुल मिलाकर देखा जाये तो इतनी बड़ी आबादी की देखरेख की कोई मुकम्मल स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं है। अगर बिहार में कोरोना का फैलाव हुआ तो कोरोना के डर और सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के न होने से कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों से भी भारी संख्या में लोगों की जान जा सकती है।

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फिलहाल इसका एक ही उपाय नज़र आ रहा है कि बिहार में रहने वाले लोग लंबे समय के लिए एकांतवास में रहें। एक दिन के परहेज से कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। जो लोग यह कह रहे हैं कि कोरोना वायरस 24 घंटे में स्वतः मर जाता है, यह गलत है। साथ ही गर्म वातावरण में इसका फैलाव रुक जाता है, यह भी कहीं प्रमाणित नहीं हुआ है। Whatsapp से पता चले इस तरह की फालतू दलीलों और आकाशवाणियों से बचें। ज्यादा से ज्यादा समय घर में अकेले बितायें और अगर बिहार में रह रहे हैं तो कम से कम एक आध हफ्ते तक परहेज करें, घर से न निकलें।

  • शाश्वत गौतम

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