सुशील मोदी ने दिया भरोसा, बिहार में नहीं होगी आटे की किल्लत

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कर्नाटक में बिहार के लोगों को रोकने की बात विपक्ष द्वारा फैलायी गयी महज अफवाह है। यह दावा किया है बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने।
कर्नाटक में बिहार के लोगों को रोकने की बात विपक्ष द्वारा फैलायी गयी महज अफवाह है। यह दावा किया है बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने।

पटना। सुशील मोदी ने भरोसा दिलाया है कि बिहार में नहीं होगी आटे की किल्लत नहीं होगी। एफसीआई से गेहूं आपूर्ति का आग्रह किया गया है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) केंद्र सरकार के निर्देश के बाद बिहार के फ्लावर मिल्स व खाद्यान्न के थोक व्यापारियों को एक माह में 55 हजार मेट्रिक टन गेहूं निर्घारित दर पर देगा। लाक डाउन के दौरान व गेहूं की नई फसल के अप्रैल के दूसरे सप्ताह तक बाजार में आने तक आटे की किल्लत नहीं हो, इसलिए बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से एफसीआई के जरिए गेहूं दिलाने का आग्रह किया था।

पहली खेप के तौर पर एक सप्ताह के लिए पटना के 13 व अन्य जिलों के 80 फ्लावर मिल्स व थोक व्यापरियों को एफसीआई की ओर से 22’800 मेट्रिक टन गेहूं उपलब्ध कराया जा रहा है। एफसीआई के जरिये बिहार के पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, कैमूर, रोहतास, गया, भागलपुर, जमुई, हाजीपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, दरभंगा, सहरसा आदि जिलों के फ्लावर मिल्स व थोक व्यापारियों को गेहूं उपलब्ध कराया जायेगा।

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इसके साथ ही आशीर्वाद ब्रांड आटा तैयार करने वाली कंपनी आईटीसी के अधिकारियों ने भी आश्वस्त किया है कि पश्चिम बंगाल के आसनसोल व बनारस की फैक्ट्री से माल मंगाने की बधाएं दूर कर ली गयी हैं तथा बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित फैक्ट्री में दोनों शिफ्ट में उत्पादन शुरू कर दिया गया है। इसलिए अब बिहार में आटे की किल्लत नहीं होगी।

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उपमुख्यमंत्री मोदी ने कहा कि लाक डाउन के समय सभी जिम्मेदार संगठन और राजनीतिक दल गरीबों की मदद करते हुए सरकार के प्रयास का समर्थन कर रहे हैं। दूसरी तरफ चुनावी सर्वे और नारे लिखने के धंधे से आये लोग इस गंभीर आपदा के समय राज्य सरकार को सहयोग करने की बजाय घटिया राजनीति कर रहे हैं। देश और बिहार का नेतृत्व इस समय सबसे अनुभवी, ईमानदार और गरीबो के प्रति सच्चा सेवाभाव रखने वालों के हाथ में है।

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उन्होंने कहा कि बिहार-यूपी के मजदूरों को दिल्ली की गंदगी और बोझ मानने वालों ने मुफ्त बिजली-पानी का झांसा देकर  वोट लेने के बाद कोरोना संकट के समय अफवाहें फैलाकर उन्हें सामूहिक पलायन में झोंक दिया। गांव-घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर पड़े लाखों गरीबों को जिस मुसीबत में डाल दिया गया, उसके लिए कौन जिम्मेवार है? ऐसी अमानवीय राजनीति की कड़ी निंदा करने के बजाय कुछ लोग आपदा प्रबंधन की मिसाल करने वाली यूपी-बिहार की सरकार में खोट ढूँढ रहे हैं।

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उन्होंने बताया कि लाकडाउन के दौरान बिहार पहुंचे 25 हजार से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को प्रारम्भिक जांच के बाद उनके गांव पहुंचाया गया, लेकिन उन्हें 14 दिन आइसोलेशन कैंप में रखा जाएगा और स्वस्थ होने की पुष्टि के बाद ही घर जाने दिया जाएगा। कोरोना संक्रमण रोकने के उपायों में कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है। गांव में बीडिओ से लेकर मुखिया तक मजदूरों गरीबों का ख्याल रखेंगे।

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