पटना। दुनिया के 178 देशों में अब तक 7,86,228 मरीज कोरोना पाजिटिव पाये गये हैं। इनमें 37,820 की मृत्यु को चुकी है और 1,66,000 लोग ठीक हुए हैं। बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिये किये जा रहे कार्यों के संबंध में मुख्यमंत्री के समक्ष एक विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।
उन्होंने दुनिया के बारे में जानकारी के साथ बिहार में कोरोना संक्रमण के संबंध में जिलावार कान्टैक्ट ट्रेसिंग एवं सैंपल कलेक्शन की भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मेडिकल कालेजों और जिला अस्पताल/ अनुमण्डलीय अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड के लिये 5,500 बेड तैयार किये गये हैं। अन्य निजी अस्पतालों को भी चिह्नित किया गया है। राज्य के जिलों में होटल, लाज को भी आइसोलेशन वार्ड के रूप में चिह्नित किया गया है। राज्य में आरएमआरआई, आईजीआईएमएस, पीएमसीएच में कोरोना संक्रमण की जांच की सुविधा उपलब्ध है। आज से एवं डीएमसीएच में भी यह जांच की सुविधा उपलब्ध हो गयी है। स्वास्थ्यकर्मियों एवं चिकित्सकों के लिये संसाधन के रूप में इलाज हेतु पर्सनल प्रोटेक्शन इक्यूपेंट्स (पीपीई), एन-95 मास्क, भीटीएम, आरएनए एसट्रैक्टर आदि की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है। प्रधान सचिव स्वास्थ्य ने एईएस, जेई के संबंध में की जा रही तैयारियों की भी जानकारी दी।
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बैठक में सचिव पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग एन सरवन कुमार ने बर्ड फ्लू, स्वाइन फीवर एवं स्वाइन फ्लू के संबंध में मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पॉल्ट्री फॉर्म पर भी नजर रखी जा रही है और इसके लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। प्रभावित पाल्ट्री फार्म वालों को मुआवजा दिया गया है। पक्षियों के सैंपल भी जांच के लिए कोलकाता भेजे गये हैं। बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू, स्वाइन फीवर को लेकर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग समुचित कार्रवाई कर रहा है। प्रभावित क्षेत्र के 9 किलोमीटर के दायरे को सर्विलांस जोन में रखकर तीन माह तक निगरानी की जाती रहेगी।
बैठक के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुनिया में कोरोना संक्रमण से उपजे हालात को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि जो कोरोना संक्रमित पाये गये हैं, उनके निकट सम्पर्क वालों की सघन जांच कराते रहें। कोरोना संक्रमण के इलाज में लगे डाक्टरों, नर्सों एवं मेडिकल स्टाफ की सुविधाओं का भी ख्याल रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एईएस, बर्ड फ्लू एवं स्वाइन फ्लू को लेकर भी सचेत रहें। जो निजी तौर पर मुर्गीपालन करते हैं, उनके यहां भी पक्षियों की गतिविधियों पर नजर रखें। एईएस, जेई के संदर्भ में अभी से ही पूरी तैयारी रखी जाये। पहले से सतर्क रहने से परिस्थिति उत्पन्न होने पर उसे नियंत्रित किया जा सकेगा। संभावित क्षेत्रों में सभी प्रकार के सुरक्षात्मक उपाय सुनिश्चित करें एवं वहां सम्पूर्ण स्वच्छता का ध्यान रखें।