बिहार में सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन में कोई कटौती नहीं होगी

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महम्मदपुर नरसंहार के असली साजिशकर्ता राजेश यादव को को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का संरक्षण प्राप्त है। सुशील मोदी ने यह आरोप लगाया है।
महम्मदपुर नरसंहार के असली साजिशकर्ता राजेश यादव को को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का संरक्षण प्राप्त है। सुशील मोदी ने यह आरोप लगाया है।

पटना। बिहार में सरकारी कर्मियों के वेतन, पेंशन में कोई कटौती नहीं होगी। बिहार के कर्मचारियों को ससमय वेतन-पेंशन का भुगतान हो रहा है और होता रहेगा। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, तेलंगना व आन्ध्र प्रदेश आदि राज्यों ने जहां अपने कर्मियों के वेतन में 50 से 75 और चतुर्थवर्गीय कर्मियों से 10 फीसदी तक कटौती व डेफर्ड पेमेंट का निर्णय लिया है, वहीं केरल अपने सभी कर्मियों से अनिवार्य कटौती कर उसे आपदा राहत कोष में जमा कर रहा है।

इसी आधार पर सोशल मीडिया में चल रहे दुष्प्रचार का खंडन करते हुए श्री मोदी ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में केन्द्रीय करों में राज्य के हिस्से के तौर पर 25 हजार करोड़ कम मिलने व वर्तमान विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बिहार सरकार अपने कर्मियों के वेतन व पेंशन में कोई कटौती नहीं करेगी तथा मार्च माह के वेतन-पेंशन का विगत वर्ष की भांति ही ससमय भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है।

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उन्होंने कहा कि राज्य में कर्मियों की 3.10 लाख व पेंशनभोगियों की संख्या 3.80 लाख हैं जिनके वेतन व पेंशन पर प्रतिमाह 4980 करोड़ रुपये व्यय होता है। वहीं विश्वविद्यालय शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन पर 330 करोड़ व नियोजित तथा अन्य शिक्षकों के वेतन पर 850 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च होता है। इस प्रकार वेतन व पेंशन मद में प्रतिमाह कुल 4880 करोड़ रुपये व्यय होता है।

सारे कर्मियों के वेतन व पेंशन भुगतान के लिए सीएमएफएस प्रणाली में शुक्रवार 3 अप्रैल से ही आवंटन माड्यूल व ई-बिलिंग माड्यूल को खोल दिया गया जिससे आज से ही मार्च माह के वेतन व पेंशन का भुगतान प्रारंभ हो गया है। आवंटन प्राप्त होने के बाद सभी विभाग, निदेशालय व क्षेत्रीय कार्यालय ई-बिलिंग के जरिए वेतन विपत्र तैयार कर आनलाइन कोषागार को प्रेषित रहे हैं जहां से कर्मियों के बैंक खातों में राशि हस्तांतरित हो रही है।

सुशील मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया

उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि नोटबंदी, सर्जिकल स्ट्राइक, धारा-370 का शिथिलीकरण और  नागरिकता कानून पर कांग्रेस ने जिस तरह से देशहित के विरुद्ध जाकर भी प्रधानमंत्री मोदी का अंध-विरोध जारी रखा, उसके चलते वह लोकसभा में मुख्य विरोधी दल का दर्जा पाने लायक भी नहीं रही। अब कोरोना के विरुद्ध जनता कर्फ्यू, ताली-थाली, लाकडाउन और कैंडिल-दीया जलाने जैसे हर बड़े उद्देश्य में वह निराशा-नकारात्मकता का अँधेरा ही खोज रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस को “तमसो मा ज्योतिर्गमय” की संस्कृति के देश में प्रकाश के विरुद्ध बोलने से पहले कोरोना फैलाने के लिए डाक्टरों पर थूकने वाले जाहिलों की करतूत का विरोध करने की हिम्मत दिखानी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाकडाउन के दौरान 80 करोड़ गरीब-मजदूर परिवारों के लिए 1.70 लाख करोड़ का पैकेज देने और जनधन खातों के जरिये पैसे भेजने की व्यवस्था करने के बाद उनका मनोबल बढ़ाने के लिए  कैंडिल, दीया और टार्च जलाने की जो अपील की है, वह सराहनीय है। कठिन दिनों के अंधकार को केवल भोजन, दवा और भौतिक संसाधनों से ही नहीं, बल्कि धैर्य, साहस और इच्छाशक्ति के प्रकाश से जीता जा सकता है। विरोधी प्रधानमंत्री की जिस  नेतृत्व शैली की आलोचना करते हैं, दुनिया उसका अनुसरण करती है।

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