लालू यादव रिहा होंगे, यह महाधिवक्ता की सलाह पर निर्भर

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सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से चारा घोटाले की सूचनाएं खबर बनती थी। बचपन के दिनों में अक्सर सुनते थे कि सांढ़ स्कूटर पर ढोये गये। तब आश्चर्य होता था।
सीएजी की रिपोर्ट के हवाले से चारा घोटाले की सूचनाएं खबर बनती थी। बचपन के दिनों में अक्सर सुनते थे कि सांढ़ स्कूटर पर ढोये गये। तब आश्चर्य होता था।

रांची। लालू यादव रिहा होंगे, यह महाधिवक्ता की सलाह पर निर्भर करता है। हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में यह जिम्मा महाधिवक्ता को सौंपा गया है। वे सुप्रीम कोर्ट के गाइड लाइन का अध्ययन कर राज्य सरकार को सलाह देंगे। सरकार लालू के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। रिम्स के डाक्टरों ने भी कहा है कि लालू को कोरोना से संक्रमित होने का खतरा है।

सब तुछ ठीक रहा तो लालू यादव पैरोल पर रिहा हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो कोरोना का संकट लालू परिवार और आरजेडी के लिए वरदान साबित होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संकट के मद्देनजर राज्य सरकारों को सलाह दी थी कि वैसे कैदियों को पैरोल पर रिहा किया जाये, जिन्हें सात साल की सजा हुई है और वे जेल में बंद हैं। इसके लिए राज्य सरकारों को एक कमेटी बना कर ऐसे कैदियों की पहचान करने की सलाह दी थी।

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माना जा रहा था कि आज की बैठक में लालू के पौरोल पर राज्य सरकार फैसला ले लेगी और औपचारिकताएं पूरी होते ही वे रिहा होकर पटना जाएंगे। राज्य सरकार भी मानती है कि लालू प्रसाद यादव के स्वास्थ्य को देखते हुए उनकी  पैरोल पर रिहाई होनी चाहिए। पहले यह सूचना थी कि कैबिनेट की बैठक में इसका निर्णय हो जाएगा।

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उनकी रिहाई का संकेत दो-तीन दिन पहले झारखंड के मंत्री बादल पत्रलेख ने दिया था। लालू की रिहाई का फैसला सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के तहत हो सकता है, जिसमें कोरोनावायरस को देखते हुए सजायाफ्ता बंदियों की रिहाई की बात है। हालांकि इसके लिए तनी विशेषज्ञ कमेटी ने आर्थिक अपराध के कारण और दीर्घकालिक सजा को देखते हुए उनकी रिहाई के प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया था। लेकिन यह राज्य स्तर का मामला है, इसलिए फैसला सरकार ले सकती है। यही वजह है कि सरकार ने महाधिवक्ता को उच्चस्तरीय बैठक में बुला कर उनसे इसके कानूनी पहलुओं पर राय मांगी है।

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