लाक डाउन में पूरबिया मजदूरों की सहायता में जुटे हैं अनिल सिंह

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लाक डाउन के दौरान बेंगलुरू में फंसे पूरबिया मजदूरों की सहायता में रोहतास के रहने वाले सेवा निवृत सेना कर्मी अनिल सिंह जृजान से जुटे हैं।
लाक डाउन के दौरान बेंगलुरू में फंसे पूरबिया मजदूरों की सहायता में रोहतास के रहने वाले सेवा निवृत सेना कर्मी अनिल सिंह जृजान से जुटे हैं।

बेंगलुरु। लाक डाउन के दौरान बेंगलुरू में फंसे पूरबिया मजदूरों की सहायता में रोहतास के रहने वाले सेवा निवृत सेना कर्मी अनिल सिंह जी-जान से जुटे हैं। रोहतास जिला अन्तर्गत पवनी ग्राम निवासी अनिल सिंह, समाजसेवी अन्ना हजारे की तरह सेना सेवा कोर की सर्विस से नायक के पद से रिटायरमेंट के  उपरांत समाज सेवा में ही अपने को लगा दिया है। निःस्वार्थ भाव से वे लोगों की सेवा करते हैं। उन्होंने जन सेवा के लिए अपने अंतिम सेवा के स्थान बेंगलुरू को ही अपनी कर्मभूमि मान ली है।

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प्रचार से दूर चुचाप जन सेवा करना उनका नियमित कार्य है।  2005 में आर्मी से सेवा से अवकाश के उपरांत यह भूतपूर्व सैनिक समाज के हर तबके के लोगों को संगठित करने एवं उनके समस्याओं को हल करने में अपना तन, मन, धन  अर्पित कर चुका है।  प्रवासी उत्तर भारतीयों के बीच तो उनकी पहचान एक मसीहा के रूप में होने लगी है। विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के लोगों से उनका लगाव ज्यादा है।

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वे बेंगलुरु में रहने और काम करने वाले मजदूरों की हर तरह की समस्यायों को देखते-सुनते हैं और उनके निदान के लिए पूरी कोशिश करते हैं। सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी एवं भोजपुरी समाज सेवा समिति (रजि) बेंगलुरु के संस्थापक अध्यक्ष एवं चेयरमैन संजय सिंह उज्जैन उनके बारे में बताते समाजसेवी पूर्व सैनिक अनिल सिंह की प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि आज जब हमारा देश कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है, तब यह सैनिक एक मसीहा की भांति अप्रवासी बिहार, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड के दैनिक मजदूरों की सेवा में जुटा है।

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वे खुद अपने हाथों से खाना बना कर जरूरतमंदों को खिलाते हैं। ऐसे लोगों के बीच राशन, साबुन एवं मास्क का वितरण का वितरण खुद करते हैं। उनके मन में सेवा भाव इस कदर कूट-कूट कर भरा है कि कोई अपनी समस्या न भी बताये तो दूसरों से पूछ कर वे जरूतमंदों का पता लगाते हैं। फिर उन्हें जरूरत की सामग्री देते हैं।

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