कोटा व अन्य प्रदेशों में पढ़ रहे छात्रों को भी आर्थिक सहायता मिले

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कोटा व अन्य प्रदेशों में पढ़ रहे छात्रों को राज्य सरकार आर्थिक सहायता मुहैया कराये। यह सुझाव दिया है भाजपा नेता व पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने।
कोटा व अन्य प्रदेशों में पढ़ रहे छात्रों को राज्य सरकार आर्थिक सहायता मुहैया कराये। यह सुझाव दिया है भाजपा नेता व पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने।
  • संजय वर्मा

पटना। कोटा व अन्य प्रदेशों में पढ़ रहे छात्रों को राज्य सरकार आर्थिक सहायता मुहैया कराये। यह सुझाव दिया है भाजपा नेता व पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने। उन्होंने कहा कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोटा से बच्चों को और विभिन्न प्रदेशों से मजदूरों को अपने प्रदेश बुलाकर मानवीय संवेदना का परिचय दिया। कई और राज्य भी इसका अनुसरण कर रहे हैं। योगी ने बहुत ही सराहनीय कार्य किया। अन्य प्रदेश चाहें तो उनका अनुसरण कर सकते हैं।

बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सम्राट चौधरी फिलहाल खगड़िया के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में गरीब-जरूरतमंद लोगों के बीच लॉक डाउन के बाद से ही लगातार राशन-भोजन का वितरण करा रहे हैं। जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता भी कर रहे हैं। जब उनसे मोबाइल पर बात हो रही थी, उस वक्त वे परवत्ता के गांव में लंच पैकेट बांट रहे थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लॉक डाउन का पालन और सोशल डिस्टेंस हर हाल में मेंटेन किया जाये।

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श्री चौधरी के मुताबिक इस वैश्विक महामारी कोरोना पर काबू पाने का एकमात्र उपाय है सोशल डिस्टेंसिंग। चौधरी ने इस बात के लिये सीएम नीतीश कुमार की प्रशंसा की कि प्रवासी मजदूरों को आर्थिक सहायता के तौर पर हर एक के एकाउंट में 1 हजार रुपया दे रहे हैं। खाने-पीने के लिये राहत कैम्प खोला है,  पर कोटा, बेंगलुरू या देश के विभिन्न प्रदेशों में प्रतियोगिता  परीक्षा की तैयारी के लिये बिहार से गये जो लाखों छात्र हैं, उन्हें भी जरूरत के हिसाब से सरकार को आर्थिक सहायता करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कोरोना को लेकर कठोरता तो जरूरी है, पर मानवीय पक्ष का भी ख्याल करना चाहिए। उतने सारे बच्चों को बिहार न लाने का जो स्टैंड सीएम नीतीश कुमार का है, वह स्वाभाविक तौर पर उचित है। इसे एक अभिभावक के निर्णय के तौर पर लेना चाहिए। भाजपा नेता सम्राट चौधरी का सुझाव है कि जो बच्चे बिहार आना चाहते हैं, सरकार उनकी भावना का भी सम्मान करे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार चाहे तो बीच का रास्ता अपना सकती है। सरकार उनसे यह लिखित मांगे कि बे बच्चे आने के बाद 15 दिनों तक होम क्वारंटाइन में रहेंगे। अगर वे बच्चे लिखित में राज्य सरकार को देते हैं तो उन्हें बुलाने पर सरकार को विचार करना चाहिए।

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उन्होंने बिहार में कोरोना मरीज़ों की संख्या बढ़ते जाने पर चिंता व्यक्त की और कहा कि लॉक डाउन में सोशल डिस्टेंसिंग के पालन के साथ ही अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। मास्क, ग्लब्स, सेनिटाइजर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। रहन-सहन भी अनुशासन में होना चाहिए। ढील का बेजां फायदा उठाने से बाज़ आना चाहिए। बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो पीएम ने कहा, उसे ही सीएम कार्यान्वित कर रहे हैं। इसलिए वे अगर कठोर निर्णय ले रहे तो जनता को भी उनकी भावना के साथ खड़ा होना चाहिए। परिस्थितियों  के अनुकूल फैसले लिये जाते हैं। जज्बाती फैसले हानिकारक होते हैं। एक पिता के तौर पर सोचेंगे तो लगेगा कि बच्चों को बुला लेना चाहिए। प्रवासी मजदूरों को भी बुला लेना चाहिए, परंतु जब गार्जियन बन कर सोचेंगे तो जस्ट उल्टा लगेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि जो सुझाव दिये हैं, उसे सरकार समझेगी। क्योंकि सरकार इन मामलों को बारीकी से देख ही नहीं रही, बल्कि गम्भीर और संवेदनशील भी है।

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