जिला कृषि पदाधिकारी को सजा के बदले प्रमोशन का रिवार्ड !

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जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा अररिया में पास मांगने पर चौकीदार को अपमानित करने के आरोप में उन्हें दंडित करने के बजाय रिवार्ड मिला है। (फाइल फोटो)
जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा अररिया में पास मांगने पर चौकीदार को अपमानित करने के आरोप में उन्हें दंडित करने के बजाय रिवार्ड मिला है। (फाइल फोटो)

पटना। जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा अररिया में पास मांगने पर चौकीदार को अपमानित करने के आरोप में उन्हें दंडित करने के बजाय रिवार्ड मिला है। उन्हें डिप्टी डायरेक्टर पद पर प्रमोशन दिया गया है। कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार को प्रमोशन देने का तर्क कृषि विभाग ने यह दिया है कि वे पहले से ही उसी वेतमान में थे। इसलिए इसे प्रमोशन कहना उचित नहीं है। सोशल मीडिया में मनोज कुमार विलेन की तरह सामने आए थे। इसके बावजूद कृषि विभाग ने उन्हें जिला कृषि पदाधिकारी से डिप्टी डायरेक्टर बना दिया।

सरकार की ओर से ट्वीट कर दी गयी सफाई
सरकार की ओर से ट्वीट कर दी गयी सफाई

आरोप लगाये जा रहे हैं कि मनोज कुमार ने अपने रसूख के बल पर सब कुछ मैनेज कर लिया है। दो दिन पहले ही उस चौकीदार को बिहार के डीजीपी ने फोन करके कृषि पदाधिकारी वाले मामले में व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी थी, जिसे कृषि पदाधिकारी ने पास मांगने पर उठक-बैठक कर माफी मांगने को मजबूर किया था। अचरज तो इस बात से है कि माफी तो कृषि पदाधिकारी को मांगना चाहिए थी, लेकिन डीजीपी ने यह औपचारिकता निभायी।

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हालांकि चौकीदार ने कृषि पदाधिकारी पर मामला दर्ज करा. है। मामले के तूल पकड़ने के बाद तत्काल प्रभाव से कृषि पदाधिकारी और उनका सहयोग करने वाले एसएचओ को निलंबित कर दिया गया था, जिसे लोग अब महज दिखावा मान रहे हैं। बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने भी इस मामले में कृषि पदाधिकारी को दंडित करने का वादा किया था। बिहार के डीजीपी तो पूरी तरह गुस्से में थे। राज्य सरकार ने भी स्पष्टीकरण दिया, लेकिन पाँच दिनों के अंदर ही कृषि पदाधिकारी को प्रमोशन दे दिया गया।

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मृत्यंजय कुमार सिंह
मृत्यंजय कुमार सिंह

बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह का कहना है कि कुछ दिन पहले अररिया जिला कृषि पदाधिकारी ने होम गॉर्ड के जवान से बीच सड़क पर उठक बैठक कराया था। कृषि पदाधिकारी की कार्रवाई ने वर्दी को शर्मसार किया तो कार्रवाई उन पर आज तक न होना दुर्भाग्यपूर्ण है। क़ानून का जानकार ही क़ानून का रोड पर अपमान करेगा तो क़ानून कमज़ोर होगा। उस मामले में शामिल सहायक अवर निरीक्षक गोविंद सिंह पर तत्काल कार्रवाई कर दी गई, जो उचित निर्णय था। बिहार सरकार के कृषि मंत्री द्वारा कृषि प्राधिकारी पर भी कार्रवाई की बात भी समाचार पत्र और सोशल मीडिया पर आयी थी।

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कार्रवाई के नाम पर अररिया से उनका पटना ट्रांसफर कर प्रोन्नति देकर  उप निदेशक (प्रशिक्षण) कार्यालय- अपर कृषि निदेशक प्रसार बिहार पटना बना दिया गया है। इस घटना को देख कर बिहार पुलिस के सभी कर्मी एवं आम जनता आश्चर्यकित है। दण्डित  केवल पुलिस अधिकारी को करने से वर्दी का बीच सड़क पर अपमान का न्याय मिल गया। कृषि अधिकारी दोषमुक्त हो गए कैसे? जिनका वीडियो पूरे देश ने देखा। दण्ड का दोहरा मापदंड कितना न्यायसंगत है। अतः बिहार पुलिस एसोसिएशन मांग करती है कि कृषि पदाधिकारी पर पर दंडात्मक करवाई की जाये। नहीं तो सहायक पुलिस अवर निरीक्षक को भी दोषमुक्त कर निर्दोष मानकर थाने में पोस्टिंग की जाए।

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