लाक डाउन क्या 3 मई को खत्म नहीं होगा, जानिए क्यों है इसमें संदेह

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लाक डाउन क्या 3 मई को खत्म नहीं होगा? केंद्र द्वारा अप्रवासी कामगारों व छात्रों की वापसी की घोषणा में इसके संकेत छिपे हैं।
लाक डाउन क्या 3 मई को खत्म नहीं होगा? केंद्र द्वारा अप्रवासी कामगारों व छात्रों की वापसी की घोषणा में इसके संकेत छिपे हैं।

केंद्र द्वारा आंतरिक अप्रवासी कामगारों व छात्रों की वापसी की घोषणा में छिपे संकेत

  • श्याम किशोर चौबे
श्याम किशोर चौबे, वरिष्ठ पत्रकार
श्याम किशोर चौबे, वरिष्ठ पत्रकार

रांची। लाक डाउन क्या 3 मई को खत्म नहीं होगा? केंद्र द्वारा अप्रवासी कामगारों व छात्रों की वापसी की घोषणा में इसके संकेत छिपे हैं। कोरोना संकट के कारण लागू लाक डाउन-2 की तय अवधि 3 मई के बाद इसके तीसरे संस्करण के भी जारी होने की संभावना बढ़ गई है। बुधवार 29 अप्रैल की संध्या गृह मंत्रालय द्वारा आंतरिक अप्रवासी कामगारों और दूसरे राज्यों में पढ़ रहे छात्रों को गृह राज्यों में जाने की सशर्त अनुमति देने के घोषणा में इस बात के संकेत अंतर्निहित हैं कि लाक डाउन की अवधि बढ़ने वाली है। ऐसे भी कोरोना आतंक माउंटिंग पोजिशन में है। इसका डाउनिंग ट्रेंड रहता तो उम्मीद बनती भी कि लाक डाउन हटा लिया जाएगा।

छूट की घोषणा का निहितार्थ

केंद्र की घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब लाक डाउन-2 की निर्धारित अवधि समाप्त होने में महज चार दिन शेष हैं। दूसरी ओर केवल झारखंड और बिहार की ही स्थिति देखें तो क्रमशः नौ लाख और 15 लाख आंतरिक अप्रवासी कामगार दिल्ली, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि राज्यों में फंसे हुए हैं। इसके अलावा अन्य राज्यों में पढ़ाई के लिए गए हजारों छात्र अलग से हैं। इस स्थिति पर विचार किया जाये तो इतनी बड़ी तादाद में लोगों को दूरस्थ राज्यों से गृह राज्य और उनके निवास स्थल तक लाने में काफी परिवहन संसाधन की जरूरत होगी। यदि बस से उनको लाया जाये तो अकेले झारखंड के लिए कितनी संख्या चाहिए, इसका हिसाब लगाना मुश्किल नहीं है।

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एक बस में यदि 40 लोगों को भी सवार कराया जाये तो केवल आंतरिक अप्रवासी कामगारों के लिए ही 22,500 बसें चाहिए। यदि रेल से लाया जाये तो भी बड़ी संख्या में जरूरत पड़ेगी। बारी-बारी से लाने पर हड़बोंग मचेगा, जैसा कि कुछ दिनों पूर्व मुंबई के रेलवे स्टेशन पर हुआ था। दूसरी बात यह कि उक्त दूरस्थ राज्यों से इन लोगों को लाने में कम से कम तीन से चार दिन का वक्त लगेगा। तबतक लाक डाउन-2 की अवधि समाप्त हो जाएगी। जाहिर है कि ऐसा होने पर संबंधित राज्यों के उद्योग और निर्माण कार्य लाक डाउन की ही स्थिति में रहेंगे। कोरोना आतंक के साये में दूसरे राज्यों में रह रहे लोग घर-परिवार से यूं ही भेंट-घाट कर वापस जाने को कतई राजी नहीं होंगे। वे निश्चय ही कुछ दिन अपने लोगों के बीच चैन से गुजारना चाहेंगे। ये बातें समझते हुए केंद्र ने बुधवार को सशर्त  छूट की जो घोषणा की है, उसमें अंतर्निहित संकेत यही समझ में आता है कि लाक डाउन के तीसरे संस्करण के लिए भी तैयार रहना चाहिए।

हेमंत सोरेन और नरेंद्र मोदी

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कदमों की विरोधी भले ही आलोचना करें, किंतु वर्तमान परिस्थितियों में उन्होंने कितना सही किया, इस पर भी सम्यक विचार किया जाना जरूरी है। लाॅक डाउन की शर्तों और मर्यादाओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में आंतरिक अप्रवासी कामगारों और छात्रों को गृह राज्य लाने की अनुमति मांगी थी। साथ ही यह भी जानना चाहा था कि जिन राज्यों ने लाॅक डाउन की परवाह न करते हुए अपने ढंग से व्यवस्था कर ली, उन्होंने किस हद तक जायज कार्य किया। केंद्र सरकार द्वारा केंद्र सरकार द्वारा की गई घोषणा से साबित होता है कि हेमंत केंद्र के निर्देशों का अनुपालन करते रहे। सचिवालय से छनकर आई खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मुख्यमंत्रियों संग की गई वीडियो कान्फ्रेंसिंग टाॅक में इनको बोलने का अवसर नहीं दिये जाने को भी ये नीलकंठ बनकर पी गए।

ऐसे समय में 2012 की वह घटना याद आती है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ मनमोहन सिंह द्वारा ली जा रही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक का गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने बहिष्कार करते हुए कान्फ्रेंस हाॅल से बाहर निकल गए थे। उस समय जैसी कि खबर आई थी, वे इतने पर ही नहीं रुके, उन्होंने भाजपा मुख्यमंत्रियों को गोपनीय पत्र लिखकर भी ‘मन की बात’ कही थी। इस लिहाज से हेमंत ने इस संकट काल में जिस सहनशीलता, सदाशयता और सहृदयता का परिचय दिया है, वह काबिलेतारीफ है।

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ऐसे भी झारखंड, बिहार सहित प्रभावित विभिन्न राज्यों में कोविड संक्रमण थमने की ओर नहीं नजर आ रहा, बल्कि यह दिनोंदिन बढ़ ही रहा है। इस सूरत में चाहे जितनी परेशानी हो, लेकिन लाक डाउन हठात हटाने का सीधा मतलब होगा कोविड को अपने अति संक्रामक और जहरीले पंजे और विस्तारित करने को आमंत्रण देना।

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