पटना। लॉक डाउन में लोक कलाकारों को विशेष पैकेज देने की मांग लोक गायिका नीतू कुमारी नवगीत ने सरकार से की है। लॉक डाउन के कारण लोक कलाकार संकट में हैं। वैश्विक महामारी कोरोना का असर वैसे तो सभी व्यवसायों पर पड़ा है, लेकिन लोक कलाकार बहुत ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। सभी प्रकार के सरकारी और गैर-सरकारी कार्यक्रम अभी बंद हैं। निकट भविष्य में भी किसी प्रकार के कार्यक्रम के आयोजन की संभावना नहीं बन रही है।
बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने कलाकारों के लिए विशेष पैकेज की घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि कलाकार स्वभाव से संवेदनशील और स्वाभिमानी भी होते हैं। सहायता के लिए किसी के आगे हाथ फैलाना गंवारा नहीं करते। इस कठिन परिस्थिति में आर्थिक परेशानियों के कारण उनकी कला पर भी प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
उन्होंने कहा कि जन सहयोग की कमी और सरकारी संरक्षण के अभाव में कई प्रकार की लोक कलाएं पहले ही विलुप्त होने के कगार पर हैं। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण वह खतरा और बढ़ गया है। ग्रामीण क्षेत्र के कई कलाकार रोजी-रोटी के लिए कला विधा को छोड़कर दूसरे कामों में लग सकते हैं, जिससे अंततः नुकसान लोक कलाओं का ही होगा।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कलाकारों की मदद के लिए एक योजना बनाई गई है, जिसमें वीडियो बनाकर भेजने पर ग्रामीण क्षेत्र के कलाकारों को ₹1000 की सहायता राशि दी जाएगी। यह सहायता ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। फिर यह योजना सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र के कलाकारों के लिए ही है। आजीविका की तलाश में जो कलाकार शहरों की ओर कूच कर गए हैं और अस्थायी और स्थायी रूप से शहरों में रह रहे हैं, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलने वाला। फिर ग्रामीण कलाकार टेक्नोलॉजी के मामले में उतने दक्ष भी नहीं हैं। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के भी अनेक कलाकार चाह कर भी सरकार द्वारा बनाई गई योजना का लाभ नहीं उठा पाएंगे।
निश्चित रूप से यह संकट की घड़ी है। संकट का समय कई मामलों में सृजन का समय भी होता है। कलाकारों की सृजनशीलता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी तौर पर विशेष पैकेज की दरकार है। कलाकारों की कार्य योजना के अनुसार उन्हें बड़ी रकम प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान की जानी चाहिए। इससे न सिर्फ कलाकारों का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि उनकी सृजनशीलता में भी वृद्धि होगी।
यह भी पढ़ेंः रोटियां जुगाड़ने-सहेजने का वक्त है यह, जानिए क्यों और कैसे