पटना। कोविड ने नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। बिहार पर कोविड कहर बन कर टूटा है। संक्रमितों की संख्या बेकाबू हो रही है। सरकार को उपाय नहीं सूझ रहे। डेढ़ दशक तक लगातार मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के सामने शायद ही इतनी विकट परिस्थिति कभी उत्पन्न हुई हो। सवा साल छोड़ दें तो लगातार साथ निभाने वाली बीजेपी भी कन्नी काटने लगी है। प्रवासी मजदूरों के लिए बने क्वारंटाइन सेंटर पर बढ़ती भीड़ ने उन्हें मजबूर कर दिया कि जिन राज्यों से आये मजदूरों में संक्रमण के सर्वाधिक मामले मिले हैं, उन राज्यों से अब आने वाले और मजदूरों को क्वारंटाइन सेंटर पर नहीं रखा जाएगा। उन्हें सीधे घर भेज कर होम क्वारंटाइन में रखने की सलाह दी जाएगी।
बिहार लौटे 10 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर
सरकारी सूत्र बताते हैं कि कोविड के कारण अभी तक तकरीबन 10 लाख से अधिक प्रवासी आ चुके हैं। प्रवासी मजदूरों को लेकर 115 ट्रेनों में 1 लाख 88 हजार 450 लोग कल ही बिहार पहुंचे। आज के लिए 104 ट्रेनें शिड्यूल्ड हैं, जिनसे 1 लाख 70 हजार 300 लोग ट्रेवल करेंगे। काफी बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं। आपदा राहत केंद्रों की संख्या 139 है, जिसका 58,744 लोग लाभ ले रहे हैं। ब्लॉक क्वारंटाइन सेंटर्स की संख्या बढ़कर 13,825 हो गयी है, जहाँ 9 लाख 68 हजार 171 लोग आवासित हैं। बाहर से बिहार आने का सिलसिला जारी हैं। शायद यही वजह है कि सरकार ने अब आने वाले मजदूरों को होम क्वारंटाइन करने का फैसला किया है।
इससे दो बातें समझ में आती हैं। अव्वल तो नीतीश जी को यह अंदाज नहीं होगा कि कोविड के कारणइ तने बड़े पैमाने पर लोग लौटेंगे। या फिर उनके सलाहकारों ने कहा होगा कि क्वारंटाइन सेंटर से ही काम चल जाएगा। बगल के झारखंड में सबसे पहले मजदूरों का आना शुरू हुआ। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पहले ही यह तय कर लिया था कि जो मजदूर आएंगे, उन्हें सीधे घर भेज दिया जाएगा। इस हिदायत के साथ कि वे 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन में रहेंगे। इससे झारखंड सरकार को क्वारंटाइन सेंटर की संख्या बढ़ाने की कोई जरूरत ही नहीं पड़ी। खर्च भी बचा।
बीजेपी नेताओं का बदला सुर, केंद्र का कर रहे बखान
कहते हैं कि जब दिन खराब होते हैं तो अपने भी पराये की तरह व्यवहार करने लगते हैं। कोविड काल में नीतीश जी के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। बीजेपी नेताओं के सुर बदल गये हैं। बीजेपी कोटे के मंत्री, पदाधिकारी या प्रवक्ता नीतीश सरकार द्वारा किये जा रहे कामों का बखान नहीं कर रहे। वे उन बातों को ज्यादा रेखंकित कर रहे, जो केंद्र सरकार से जुड़ी हैं। नीतीश के साथ साये की तरह रहने वाले उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कोरोना संकट में केंद्र द्वारा बिहार के लिए दी जा रही सहायता का बखान कर रहे हैं। बीजेपी के पदाधिकारी-प्रवक्ता तो शुरू से ही केंद्र द्वारा बिहार को दी जा रही मदद या सहूलियतों का ही बखान करते आ रहे हैं।
सुशील मोदी ने फिर किया केंद्र सरकार का गुणगान
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने फिर कहा है कि कोविड के संकट काल में केंद्र सरकार बिहार की लगातार मदद कर रही है। 6,024 करोड़ से ज्यादा के मुफ्त खाद्यान्न के अलावा केंद्र सरकार ने 4 करोड़ 17 लाख गरीब जनधन खाताधारी महिलाओं, वृद्ध, विधवा व दिव्यांग पेंशनधारियों, उज्ज्वला योजना के लाभाथी महिलाओं व किसानों को 5,719 करोड़ से ज्यादा राशि बिना किसी दलाल व बिचैलिए के सीधे उनके खाते में दी है, जिससे गरीबों को बड़ी राहत मिली है। राज्य व केंद्र की सहायता से कोई भी ऐसा गरीब नहीं है, जिसके खाते में न्यूनतम 4 हजार रुपये व 15 किलो अनाज नहीं मिला होगा।
जनधन खाताधारी 2 करोड़ 38 लाख़ गरीब महिलाओं के खाते में लगातार तीन महीने अप्रैल से जून तक 500-500 रुपये कुल 1500 रुपए यानी 3,545 करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए भेजी गई है। अगर एक महिला के परिवार में औसतन 5 सदस्य हैं तो करीब 11 करोड़ लोग इससे सीधे लाभान्वित हुए हैं। इसी प्रकार केंद्रीय पेंशन योजना में शामिल 36.64 लाख वृद्ध, विधवा व दिव्यांगों को राज्य व केंद्र सरकार द्वारा तीन महीने की अग्रिम पेंशन राशि 1200-1200 रुपये देने के अलावा केंद्र सरकार ने एक-एक हजार रुपये अतिरिक्त के तौर पर 364.98 करोड़ रुपये दिया है। अग्रिम पेंशन राशि में भी प्रति पेंशनधारी 600 रुपये केन्द्र सरकार का हिस्सा भी शामिल है।
इसके अलावा प्रधाममंत्री उज्जवला योजना की लाभार्थी 84.04 लाख महिलाओं को 3 माह तक मुफ्त गैस सिलेंडर के लिए प्रति महीने 830 रुपये की दर से 630 करोड़ रुपये सीधे उनके खाते में दिए जा रहे हैं। वहीं, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना के अन्तर्गत 58,99 लाख किसानों के खाते में 2-2 हजार की दर से अग्रिम 1179.96 करेाड़ रुपए दिया गया हैं। केंद्र सरकार द्वारा इस तरह से नकद राशि की सहायता सीधे खातों में डीबीटी के जरिए देने से करीब दो महीने तक जारी रहने वाले लाॅकडाउन के दौरान गरीबों को बड़ी राहत मिली है।
जेपी नड्डा ने बीजेपी के दी सभी सीटों पर तैयारी की सलाह
इसी बीच बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी जनों को कह दिया कि सभी सीटों पर चुनाव की तैयारियों में जुटें। उनके कहने का निहितार्थ जो भी हो, लेकिन मौका इसके लिए माकूल नहीं था। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक या-अथवा के अंदाज में इसके दो मायने निकालते हैं। सीधा अर्थ यह कि बीजेपी अलग चुनाव लड़ने की तैयारी में है। दूसरा अर्थ यह लगाया जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे और 2020 के विधानसभा चुनाव में सीएम फेस को लेकर नीतीश कुमार के जेडीयू ने जिस तरह बीजेपी को परेशान किया, उसे ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने पहले ही रणनीति बना ली है। जेडीयू इस बात का संकेत दे चुका था विधानसभा चुनाव में उसे बीजेपी से अधिक या बराबर सीटें चाहिए। कोरोना को लेकर नीतीश कुमार जिस तरह दबाव में हैं और केंद्र सरकार के भरोसे हैं, उससे अब साफ हो गया है कि बीजेपी की शर्तों पर उन्हें चलना पड़ेगा, बीजीपी उनकी शर्तों पर नहीं चलेगी।
विपक्षी दल मौके का लाभ उठाने की फिराक में
दूसरी तरफ विपक्ष ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। सोनिया गांधी ने विपक्षी दलों के साथ बैठक कर विमर्श किया कि प्रवासियों के साथ सरकार ने जो सलूक किया है, उसका लाभ उठाने का अनुकूल अवसर है। बिहार सरकार दावा करती है कि 30 लाख प्रवासी आएंगे। प्रवासियों को आने से नीतीश कुमार लगातार मना करते रहे, लेकिन अंततः उन्हें झुकना पड़ा और उन्होंने केंद्र से स्पेशल ट्रेन चलाने की मांग की। विपक्ष का मानना है कि अगर 25-30 लाख प्रवासी आते हैं तो उनके परिजनों को मिला कर वोटरों की संख्या एक करोड़ तक हो सकती है। उनके आवागमन में नीतीश जी की आरंभिक आनाकानी और आने के बाद क्वारंटाइन सेंटरों पर हो रही अफरतफरी से यकीनन उनमें खीझ होगी। विपक्ष इसी का लाभ उठाना चाहता है। शायद यही वजह है कि आरजेडी ने ऐसे प्रवासी मजदूरों को अपना मेंबर बनाने का अभियान भी शुरू किया है।
शराब बंदी को लेकर पहले से ही नीतीश सरकार के प्रति एक खास तबके में नाराजगी है। शराब बंदी कानून में पिछड़े और दलित वर्ग के लोगों के जेल जाने को लेकर पहले से ही विपक्ष हमलावर रहा है। इससे विपक्ष उनकी हमदर्दी जुटाने में लगा रहा है। अब तो लॉकडाउन का सख्ती से अनुपालन कराने की वजह से भी लोगों पर केस हो रहे हैं या उन पर फाइन लगाया जा रहा है। जाहिर है कि ऐसे लोग नाराज होंगे और सरकार के लिए मुसीबत खड़ी करने में पीछे नहीं रहेंगे। लॉकडाउन उल्लंघन में कल तक 2,184 एफआईआर दर्ज की गयी थी और 2,345 लोगों की गिरफ्तारियां हुई थीं। 78,329 वाहन जब्त किये गये हैं। ऐसे लोगों से 18 करोड़ 41 लाख 64 हजार 36 रुपये की राशि जुर्माने के रूप में वसूल की गयी है। यानी सरकार ने इतने लोगों को अपना दुश्मन बना लिया है।
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