दिल्ली। अगले साल यानी 2021 में उन पांच राज्यों में बीजेपी की अग्निपरीक्षा होगी, जहां चुनाव होने हैं। बंगाल में चुनाव की रूपरेखा बनाई जा रही है। इसके साथ ही केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी में चुनाव होने हैं। कोरोना काल में चुनाव आयेग ने कई राज्यों में राज्यसभा के चुनाव कराए। 60 सीटों पर विधानसभा के उपचुनाव भी हुए। बहिहार में भी विधानसभा के चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुए।
चुनाव कार्यों में लाखों अधिकारियों, कर्मचारियों, सुरक्षा बल, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं और मतदाताओं ने जिस संयम का परिचय दिया, उससे चुनाव आयोग का मनोबल बढ़ा है। चुनाव आयोग का मानना है कि सबके जज्बे और समर्पण भाव से कार्य करने के कारण यह संभव हुआ। चुनाव आयोग ने उस वक्त चुनाव कराये, जब कोरोना को लेकर कई राजनीतिक दलों ने चुनाव न कराने का अनुरोध चुनाव आयोग से किया था।
चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार में कोरोना से बचाव के लिए निर्धारित मानदंडों के उल्लंघन के मामले भी सामने आए। इसके लिए 156 मामले दर्ज किए गए। मतदाताओं को चुनाव के दौरान दस्ताने दिये गये थे, जिन्हें पहनकर उन्होंने ईवीएम का बटन दबाया। जिन राज्यों में अगले साल चुनाव होने हैं, वहां से चुनाव आयोग जरूरी सूचनाएं एकत्र कर रहा है।
पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। बीजेपी ने वहां काबिज होने के लिए जी तोड़ मेहनत शुरू की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे भी हो रहे हैं। बीजेपी ने चुनाव जीतने की रणनीति बनायी है तो तृणमूल कांग्रेस सरकार की मुखिया ममता बनर्जी ने भी प्रशांत किशोर को चुनावी रणनीतिकार के रूप में बहाल किया है। देखना है कि वहां ऊंट किस करवट बदलता है। लोकसभा चुनाव में पहली बार डेढञ दर्जन सीटों पर कामयाबी मिलने के बाद बीजेपी को भरोसा है कि वह ममता का किला ढहाने में कामयाब हो जाएगी।
असम में बीजेपी की सरकार है। उसे अपना किला बचाने की चुनौती है। एनआरसी के मुद्दे पर जहां पूरे देश में बवाल हुआ, वहीं असम में यह प्रक्रिया शांतिपूर्वक पूरी कर ली गयी। असम के मुख्यमंत्री सोनोवाल के काम से लोग कितने खुश हैं, यह अगले साल होने वाले चुनाव में साफ हो जाएगा। हालांकि अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी द्वारा अपने 6 विधायकों को तोड़ लिये जाने से जेडीयू खफा है और बिहार से बाहर बीजेपी से किसी तरह के गठबंधन से मना कर दिया है, उससे बिहारी वोटरों को लेकर असमंजस की स्थिति है।
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