- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। बंगाल बीजेपी (Bengal BJP) में सीएम फेस (CM Face) को लेकर अभी से ही एक अनार, सौ बीमार की स्थिति पैदा हो गयी है। आगामी विधानसभा चुनाव में बंगाल के रण में किसकी हार और किसकी जीत होगी, यह तो समय तय करेगा, लेकिन बीजेपी किसे मुख्यमंत्री चेहरा के रुप में सामने लाएगी, यह लाख टके की बात है।
चुनाव जितना करीब आएगा, जाहिर है कि ममता बनर्जी अपनी हर सभाओं में इस बात को लेकर तंज कसेंगी। इसलिए अपनी पार्टी में तो ममता बनर्जी ही मुख्यमंत्री का एकमात्र चेहरा है, लेकिन बीजेपी में कई लोगों के मन में अभी से लड्डू फूट रहे हैं। बीजेपी के लिए पहले से किसी एक चेहरे पर चुनाव लड़ना मुश्किल है। किसी एक नाम को उजागर कर वह कोई जोखिम भी मोल लेना नहीं चाहेगी। अभी तक जो लोग बीजेपी में मुख्यमंत्री बनने के सपने संजोये हुए हैं, उनमें पहला नाम राज्य अध्यक्ष दिलीप घोष का है। राज्यपाल रह चुके तथागत राय के मुंह से भी लार टपक रही है। टीएमसी छोड़ बीजेपी में आये शुभेंदु अधिकारी तो इसके लिए जी-जान से लगे हुए हैं।
पूर्वी भारत में बीजेपी का दबदबा कायम रखने के लिए बंगाल पर बीजेपी का कब्जा जरूरी है। इसीलिए बंगाल के मुख्यमत्री का चयन अहम होगा। यह तय है कि चुनाव खत्म होने के पहले भाजपा अपनी मुट्ठी खोलकर दिखाना नहीं चाहती है, ताकि लोगों में कौतूहल बना रहे। सच कहा जाए तो बीजेपी के पास ममता के खिलाफ उतारने के लिए कोई चेहरा भी नहीं है। बीजेपी यह तर्क देगी कि यूपी, हरियाणा, झारखंड, अरुणाचल समेत कई राज्यौं में सीएम चेहरा (CM Face) पेश किये ही चुनाव लड़ा गया और जीत भी गई।
जिन नामों को लेकर भाजपा में मंथन जारी है या यह कहें कि जो अपने को सीएम पद का प्रबल दावेदार मानते हैं, उनमें पहला नाम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष का है। इनका जो प्लस प्वाइंटट है, वह यह कि उनके सिर पर आरएसएस का सीधा हाथ है, लेकिन उनकी बोली बहुत ही खराब है। वह खुद ही बोलते हैं कि TMC के खिलाफ मुंह से शक्कर नहीं निकलेगा। दूसरा जो नाम चर्चा में है, वह है तथागत राय का। उन्होंने कई सारे किताबें लिखी हैं। कट्टर हिंदुबादी नेता भी हैं। इन पर भी आरएसएस मेहरबान है।
स्वपन दासगुप्ता भी दौड़ में शामिल हैं। स्वपन बाबू शिक्षित बंगाली भद्रलोक के बौद्धिक आदमी हैं। लेकिन आरएसएस में उनकी पकड़ नही है। स्वामी कृपाकारानन्द एक और चेहरा हैं। वे शिक्षित चिकित्सक हैं और यूएस मे कई साल सफल चिकित्सक रहे। उनका स्पीच युवाओं को प्रभावित करता है। अभी बनारस रामकृष्ण मिशन के चिकित्सा विभाग के वे मुखिया हैं। इन्हें लोग बंगाल का योगी आदित्यनाथ भी कहते हैं।
इधर शुभेन्दु अधिकारी के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनका नाम भी चर्चा में काफी आगे है। लेकिन तृणमुल से आने के कारण दौड़ मे रहना उनके लिए कठिन है। बाबुल सुप्रियो भी अपने को किसी से कम नहीं मान रहे। अगर सौरभ गांगुली बीजेपी ज्वायन करते है तो सारे समीकरण बदल सकते हैं।
यह भी पढ़ेंः अगले साल यानी 2021 में 5 राज्यों में होगी बीजेपी की अग्निपरीक्षा(Opens in a new browser tab)