लव जेहाद और लव मैरेज के फर्क को समझिए, तब विरोध कीजिए 

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लव जेहाद और लव मैरेज के फर्क को समझिए, तब विरोध कीजिए। लव जेहाद पर इनदिनों देश में घमासान मचा हुआ है। विपक्ष के कई दल इसके खिलाफ हैं।
लव जेहाद और लव मैरेज के फर्क को समझिए, तब विरोध कीजिए। लव जेहाद पर इनदिनों देश में घमासान मचा हुआ है। विपक्ष के कई दल इसके खिलाफ हैं।
लव जेहाद और लव मैरेज के फर्क को समझिए, तब विरोध कीजिए। लव जेहाद पर इनदिनों देश में घमासान मचा हुआ है। विपक्ष के कई दल इसके खिलाफ हैं। देश के 104 IAS अफसरों ने उत्तर प्रदेश के सीएम को पत्र लिखा है। उन्हें इस पर आपत्ति है। आम आदमी भी लव मैरेज और लव जेहाद के फर्क को नहीं समझ पा रहा। वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने इसे समझाने की कोशिश की है।
  •  सुरेंद्र किशोर
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार
सुरेंद्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार

104 पूर्व आई.ए.एस. अफसरों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को  लिखा है कि लव जेहाद के खिलाफ कानून अल्पसंख्यकों को परेशान करने के लिए है। दरअसल आजादी के बाद इस देश में ऐसे-ऐसे अफसर तैनात रहे, जिन्हें यह खास जिम्मेदारी दी गई थी कि अल्पसंख्यकों को उनके काम में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। बहुसंख्यकों को हो तो हो। जाहिर है कि आम अल्पसंख्यकों की आर्थिक स्थिति सुधारने का कोई निदेश ऐसे अफसरों को नहीं मिला था। अन्यथा, सच्चर आयोग की रपट में उनकी दुर्दशा का विवरण नहीं होता।

कुछ दशक पहले केंद्र सरकार के एक पूर्व विदेश सचिव और शिव सेना के एक राज्यसभा सांसद टी.वी. डिबेट में आमने-सामने थे। मैं भी सुन रहा था। पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि बांग्लादेश की सीमा पर यदि हम घेराबंदी करेंगे तो पूरी दुनिया में हमारी छवि खराब हो जाएगी। उस पर शिवसेना के नेता ने उनसे सवाल किया, ‘श्रीमान आप भारत के विदेश सचिव थे या बांग्लादेश के? बेचारे उस पूर्व सचिव का क्या कसूर? वे तो नेहरू के ‘आइडिया आफ इंडिया’ का तोता रटंत कर रहे थे।

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खैर, यदि इन 104 अफसरों में से कोई अफसर बंद दिमाग वाला नहीं है तो उसे मेरि यह टिप्पणी किसी तरह पढ़वा लेनी चाहिए। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि इस देश के अधिकतर अफसर सिर्फ अंग्रेजी पढ़ते हैं। हिन्दी पढ़ना उनके लिए तौहीन की बात है। सारी, वे जानेंगे कैसे कि हिन्दी में मेरे जैसा कोई व्यक्ति कहां क्या बक-बक कर रहा है? चलिए, हिन्दी जानने वाले तो इसे पढ़ें और समझें कि हमारे देश की  तकदीर में क्या -क्या बदा है।

लव मैरेज और लव जेहाद का फर्क 

अरे भई, यह कानून ‘लव मैरेज’ के खिलाफ नहीं है, चाहे लव मैरेज दो धर्मों के बीच ही क्यों न हो! देश के कुछ राज्यों में जो लव जेहाद विरोधी कानून बन रहे हैं, वे कानून मूलतः नाम बदल कर लव करने व फिर धर्म परिवर्तन के लिए बाध्य कर देने के खिलाफ हैं।

शाहरूख खान और आमिर खान की जिस तरह हिन्दू लड़कियों से शादियां हुईं, उस तरह की शादियों पर यह कानून लागू नहीं होता। न ही मुख्तार अब्बास नकवी और अब्दुल बारी सिद्दिकी जैसों पर लागू होगा। क्योंकि शाहरूख, आमिर, नकवी और सिद्दिकी ने अपना सही नाम बता कर ही प्रेम और विवाह किया था। इनमें कोई धोखा नहीं था, न ही कोई वादाखिलाफी। यह कानून तारा शाहदेव-रकीबुल हसन (रांची- 2014) और निकिता तोमर-तौशिफ (फरीदाबाद- 2020) जैसे मामलों पर लागू होगा।

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क्या भारत का संविधान यह कहता है कि कोई तौशिफ किसी निकिता से लव करे और उससे कहे कि तुम अपना धर्म बदल लो और मुझसे शादी कर लो, अन्यथा तुम्हें मार देंगे? यह कैसा लव था, जिसके लवर तौशिफ ने निकिता की दिन के उजाले में बीच सड़क पर हत्या  कर दी? दरअसल वह लव नहीं, बल्कि ‘लव जेहाद’ था। निकिता तोमर और तारा शाहदेव जैसों के बचाव में कोई सख्त कानून नहीं बनना चाहिए? ध्यान रहे कि ऐसी घटनाएं इक्की-दुक्की नहीं हैं।

डा.राम मनोहर लोहिया ने ठीक ही कहा था कि ‘बलात्कार और वादाखिलाफी को छोड़कर स्त्री और पुरुष के बीच के सारे संबंध जायज हैं।’ क्या यह वादाखिलाफी नहीं है कि कोई रकीबुल अपना नाम रणजीत बता कर तारा शाहदेव से प्रेम करता है? और, पहले हिन्दू रीति से विवाह कर लेता है। बाद में तारा को वह बताता है कि मैं मुस्लिम हूं। अब तुम भी मुस्लिम बन जाओ। जब तारा मना करती है तो उसके जीवन में तूफान आ जाता है। विभिन्न राज्यों में लव जेहाद के खिलाफ जो कानून बन रहा है, वह रकीबुल और तौशिफ जैसे लोगों की धोखेबाजी-वादाखिलाफी के खिलाफ ही बन रहा है।

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