ममता बनर्जी क्या केंद्र से टकराव टालने के मूड में हैं ?

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों का करारा जवाब दिया है। उन्होंने अमित शाह को लिमिट पार न करने की चेतावनी दी।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों का करारा जवाब दिया है। उन्होंने अमित शाह को लिमिट पार न करने की चेतावनी दी।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। ममता बनर्जी क्या केंद्र सरकार से टकराव टालने के मूड में हैं? हाल के दिनों में ममता बनर्जी के कुछ कदम तो इस ओर ही इशारा कर रहे हैं। बंगाल की राजनीति में हाल के दिनों में कुछ नये घटनाक्रम हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों को इन घटनाक्रमों ने चौंका दिया है। बात-बात में राज्यपाल को निशाने पर लेने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मन अब पसीज गया है। दो दिन पहले ही उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात की। कहा कि सौजन्यमूलक मुलाकात थी। ममता बनर्जी के राज्यपाल से रिश्तों की कड़वाहट सबको पता है। इस मुलाकात पर दोनों ओर से चुप्पी है। न राज्यपाल ने मुंह खोला और न मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का राज्यपाल जगदीप धनखड़ के प्रति बदले वर्ताव से सभी हतप्रभ हैं। बुधवार सुबह राज्यपाल ने तमलुक के वर्गभीमा मंदिर में पूजा करने के बाद कहा कि 2021 राज्य के लिए शुभ हो और आने वाला चुना रक्त रंजित न हो। उसी दिन शाम को ममता बनर्जी ने राज्यपाल से मुलाकात की। राज्यपाल के साथ बैठक कर निकलते समय ममता ने कहा कि यह सौजन्यमूलक मुलाकात है। राजापाल ने भी यही जानकारी दी।

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29 दिसंबर को तृणमूल की ओर से आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में सांसद सीखेन्दु शेखर राय ने आरोप लगाया था कि राजभवन से भाजपा कार्यालय चल रहा है। राज्यपाल न संविधान और न कोर्ट के आदेश और न नियम-कानून को मानते हैं। उनके खिलाफ राष्ट्रपति को  छह पन्नों का पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस ने राज्यपाल को हटाने की मांग भी की थी।

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बंगाल की राजनीति पर नजर रखने वालों को यह पता होगा कि ममता व राज्यपाल के बीच किस तरह का ट्वीट युद्ध चलता रहा। राज्य द्वारा केंद्रीय योजनाओं को लागू नहीं करने और राजनीतिक हिंसा पर राज्यपाल ट्वीट करते हैं तो ममता बनर्जी राज्यपाल पर तीखी भाषा में लमला करती रही हैं। यहीं वजह है कि अचानक ममता बनर्जी के रुख में इस तरह का परिबर्तन किसी को पच नहीं रहा।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि दरअसल लोगों में ममता के प्रति राज्यपाल व केंद्र विरोधी रुख अपनाने की छवि बन गयी है। ममता को अब इस बात का एहसास होने लगा है। सियासी हलके में तो चर्चा यह है कि ममता के रुख में आया परिवर्तन उनके रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके की सलाह पर आया है। ममता अब खुद को अपनी इस छवि से मुक्त होना चाह रही हैं। उन्होंने लंबे समयस से अंटका कर रखी केंद्रीय योजनाओं को अब लागू करना शुरू कर दिया है।

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ममता की राज्यपाल से मुलाकात के बारे में एक अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि ममता विधानसभा के अगले सत्र पर चर्चा के साथ कुछ सरकारी काम से भेंट करने गयी थीं, लेकिन असल में अगर ऐसा होता तो बात-बात में ट्वीट करने वाले राज्यपाल जरूर इसके बारे में खुद बता देते। राजनीतिक जानकारौं का मानना है कि ममता बुरी तरह केंद्र, सीबीआई के दबाव में फंस चुकी हैं। जिस तरह कोयला व पशु तस्करी मामले में सीबीआई छानबीन कर रही है, उस से तृणमूल में भगदड़ मच सकती है। इसलिए ममता अब केंद्र और राज्यपाल से कोई टकराव नहीं करना चाहतीं। सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक PM किसान योजना के तहत किसानों के खाते में रुपये सीधे ट्रांसफर (डीबीटी) के लिए राज्य में एक नोडल अफसर नियुक्त करने का अनुरोध केंद्र से किया था। एक दिन में नोडल अफसर की नियुक्ति पर केंद्र ने मुहर लगा दी। अगर इनके संकेत समझें तो  ममता केंद्र से लड़ाई खत्म करने के मूड में हैं।

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