बंगाल में थर्ड फ्रंट का गठन लगभग तय, सिद्दीकी होंगे साथ

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बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।
बंगाल में अंतिम चरण के चुनाव में भी हिंसा नहीं थमी। सुरक्षा के व्यापक तामझाम के बावजूद बंगाल में आठवें चरण का मतदान भी शांतिपूर्ण नहीं रहा।
  • डी. कृष्ण राव

कोलकाता। बंगाल में थर्ड फ्रंट का गठन लगभग तय हो गया है। फुरफुराशरीफ की पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट अब कांग्रेस और लेफ्ट के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी। सोनिया गांधी से इजाजत का कांग्रेस को इंतजार है। इजाजत मिलते ही अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट को कांग्रेस और वाम फ्रंट अपने साथ शामिल कर लेंगे। एआईएमएम प्रमुख ओवैसी का साथ छोड़ते हुए अब्बास सिद्दीकी ने बंगाल में  कांग्रेस व वाम मोर्चा के साथ ही गठबंधन करना मुनासिब समझा।

हालांकि सीटों को लेकर अब भी कांग्रेस व वाम मोर्चा के साथ खींचतान जारी है। इस बीच कांग्रेस नेता अब्दुल मन्नान ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिख कर बंगाल में इंडियन सेकुलर फ्रंट के साथ गठबंधन की अनुमति मांगी है। अब्दुल मन्नान ने बताया कि दिल्ली से उन्हें हरी झंडी मिल गई है। किसी भी वक्त लिखित अनुमति मिल सकती है। इसके बाद थर्ड फ्रंट का गठन हो जाएगा।

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अब्बास सिद्दीकी का मानना है कि बंगाल में कांग्रेस व वाम मोर्चा की तरह ही उनकी पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ है। क्योंकि तृणमूल के जरिए ही पश्चिम बंगाल में भाजपा का उत्थान हुआ है। वह बंगाल में भाजपा और तृणमूल को रोकने के लिए इस गठबंधन में शामिल हो रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस और वाम मोर्चा अब्बास सिद्दीकी को केवल 20 सीटें देना चाह रहे हैं, लेकिन अब्बास सिद्दीकी का मांग 40 सीटों की है।

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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सीट बंटवारे को लेकर पेंच कहीं फंसता नहीं दिख रहा है। क्योंकि अब्बास सिद्दीकी के पास भी ज्यादा विकल्प नहीं है। रविवार को वाम मोर्चा व कांग्रेस के बीच बाकी बची 101 सीटों को लेकर बैठक होने वाली है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इन 101 सीटों में से अगर इंडियन सेकुलर फ्रंट को 30 सीटें भी मिलती हैं तो आगामी विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक रहेगा।

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