- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। कोलकाता में अगर आप रहते हैं तो आपके लिए खुशखबरी है। 5 रुपया देकर आप अंडा-भात का लुत्फ उठा सकते हैं। ममता बनर्जी की यह योजना सोमवार से शुरू होगी। असेंबली इलेक्शन ममता बनर्जी लोकलुभावन वादों से जीतना चाहती हैं। बीजेपी की सुनियोजित रणनीति से घिरीं ममता ममता बनर्जी ने नयी काट खोज ली है। पहले से ही बीजेपी सुनियोजित तरीके से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चारों ओर से घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। ममता बनर्जी को भी यह समझ आ गया है कि यह लड़ाई राजनीतिक तौर पर लड़ कर जीतना मुश्किल है। इसीलिए वह लोकलुभावन वादों के हथियार के माध्यम से जंग जीतने की जी तोड़ कोशिश कर रही हैं।
इसी प्रयास के तहत ममता बनर्जी ने सरकारी कर्मचारियों को मुफ्त में मकान देने की घोषणा कर दी है। ममता बनर्जी को पता है कि सरकारी कर्मचारियों को नाखुश कर चुनाव जीतना उनके लिए मुश्किल है। कुछ ही दिन पहले सरकारी कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते की एक किस्त की भी उन्होंने घोषणा की थी। बंगाल में 10 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी हैं। उनके परिवार में औसत तीन वोटर भी मान लें तो सीधे 30 लाख से अधिक वोट इस लुभावनी घोषणा से उनके पक्ष में जा सकते हैं।
पहले चरण में एमआईजी व एलआईजी स्कीम के तहत 4000 मकान बनाने की घोषणा ममता ने कर दी है, लेकिन इस स्कीम को लेकर कर्मचारियों में ही सवाल उठने शुरू हो गये हैं, क्योंकि बजट में इसका कोई एलोकेशन किया ही नहीं गया है। दूसरी ओर सोमवार से राज्य में 5 रुपये में लोगों को एक अंडा सहित खाना खिलाने की स्कीम सरकार ने घोषणा कर दी है, जिसकी बंगाल में काफी चर्चा है। घोषणा के मुताबिक सोमवार से कोलकाता के 16 बोरो एरिया में यह स्कीम शुरू की जाएगी। बाद में धीरे-धीरे कोलकाता के साथ पूरे बंगाल में स्कीम को चालू करने की घोषणा की गई है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ममता बनर्जी अभी सस्ती लोकप्रियता के जरिए चुनाव जीतने की कोशिश कर रही हैं। इसीलिए बजट में रुपये का प्रावधान किए बिना उन्होंने स्कीम लागू कर दी। लोगों का यह भी कहना है कि ममता बनर्जी के मुताबिक अगर मुफ्त में सभी को राशन में अनाज मिल रहा है तो 5 रुपये में भोजन की स्कीम लागू करने का क्या मतलब है। तब फ्री में मिल रहे अनाज का क्या होगा? अगर करना ही था तो 10 साल पहले क्यों नहीं किया? इन सवालों का सरकार के पास कोई जवाब नहीं है।
सवाल यह भी उठ रहा है कि एक अंडा का दाम अगर 5 रुपये है, तो कैसे और कब तक ममता बनर्जी की सरकार लोगों को 5 रुपये में खाना खिलाएगी। एक आकलन के मुताबिक अगर एक लाख लोगों को रोज खाना खिलाया जाए तो सरकारी कोष से महीने में कम से कम 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस राशि का बजट में कोई उल्लेख ही नहीं है।
केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना को खारिज कर चुनाव के कुछ महीने पहले ममता बनर्जी ने मोस्ट पॉपुलर हेल्थ स्कीम- स्वास्थ्य साथी की घोषणा की है। इसके जरिए हर एक परिवार को सालाना 5 लाख की राशि का हेल्थ कार्ड बनेगा। लेकिन हाल में पेश बजट में इस योजना के लिए केवल डेढ़ हजार करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। अगर राज्य के सभी 10 करोड लोगों को इस योजना का लाभ मिलना है तो डेढ़ हजार करोड़ में प्रत्येक के लिए डेढ़ सौ रुपये का हिसाब बनता है। अगर पूरा 5 लाख दिया जाए तो केवल 30 लाख लोगों तक ही यह सुविधा पहुंचायी जा सकता है।
4 फरवरी को ममता बनर्जी ने विधानसभा में लेखानुदान (वोट ऑन अकाउंट) के नाम पर विधानसभा चुनाव के मद्देनजर एक लोकलुभावन बजट पेश करने की कोशिश की, जिसमें 4300 क्लबों को कुल 85 करोड़, 221 स्पोर्ट्स कोचिंग सेंटर के लिए एक-एक लाख रुपये, युवा और खेल के लिए कुल 73 करोड़ रुपये देने का प्रवाधान है। इससे सीधा-सीधा समझ में आता है कि क्लब और स्पोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशन को हाथ में रख कर चुनाव कराने की ममता की कोशिश है।
राज्य का कुल बजट 2997688 करोड़ का है, लेकिन राजनीतिक और आर्थिक विषयों के जानकारों का कहना है कि इस बजट में पूरे कोलकाता को फ्लाईओवर से भरने की जो घोषणा की गई है, वह केवल असेंबली इलेक्शन के लिए चुनावी घोषणा है। क्योंकि केवल फ्लाईओवर बनाने में ही बजट की कुल रकम खत्म हो जाएगी। मजे की बात यह कि आदिवासियों के लिए 500 स्कूल, चाय बागान इलाके के लिए 100 व राजवंशों के लिए 200 स्कूल बनाने की घोषणा भी ममता ने की है, लेकिन 800 स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए कोई बजट नहीं गया। इन लोकलुभावन घोषणाओं को देखते हुए यह लग रहा है कि ममता बनर्जी अगला असेंबली इलेक्शन राजनीतिक तौर पर न लड़ते हुए वोट खरीदने की कोशिश कर रही है।
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