- कृपाशंकर चौबे
अरुण कमल गहरे अर्थ में प्रतिबद्ध कवि हैं और उनकी प्रतिबद्धता की जड़ें ठेठ भारतीय आबोहवा और जमीन में हैं। जो सामने है, वही उनकी कविता का विषय है। जो आस-पास का जीवन है, पेड़-पौधे, पक्षी-जंतु, धरती-आकाश ये सब उनकी कविता का विषय हैं। अरुण कमल साधारण की असाधारणता का संधान करते हैं और वैसे ही लिखते हैं, जैसे लोग बोलते हैं। उन्होंने अपनी बोली भोजपुरी के शब्दों को जस का तस उठाया। यहां तक कि उसके पूरे आवेग को भी।
सब उधार का, मांगा-चाहा/ नमक-तेल हींग-हल्दी तक, सब कर्जे का/ यह शरीर भी उनका बंधक/ अपना क्या है/ इस जीवन में सब तो लिया उधार/ सारा लोहा उन लोगों का/ अपनी केवल धार।
अरुण कमल के पास केवल अपनी धार है, जो खालिस उनकी है। वे अपनी पुतली पर संसार को बिठाते हुए कविता में नए इलाके का संधान करते हैं। हिंदी को अपनी केवल धार (1980), सबूत (1989), नए इलाके में (1996), पुतली में संसार (2001), मैं हूं शंख वो महाशंख (2012), योगफल (2019) जैसे महत्वपूर्ण काव्य संग्रह देनेवाले अरुण कमल की कविताएं दूसरे भाषिक समाजों में भी समादृत रही हैं।
बांग्ला में ‘नतून एलाकाय’ शीर्षक से उनका काव्य संग्रह 16 साल पहले 2005 में ही अनूदित होकर प्रकाशित हुआ था। अनुवादक हैं अमल कुमार घोष। श्री घोष से लेकर महाश्वेता देवी, रामकुमार मुखोपाध्याय और नवारुण भट्टाचार्य तक ने उस संग्रह की महत्ता को स्वीकार किया है।
बांग्ला लेखकों में अरुण कमल की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन कुछ साल पहले जब पटना पुस्तक मेले में गई थीं, तो अरुण कमल से खास तौर पर मिलने के लिए उनके पटना स्थित घर पर भी गई थीं। उस यात्रा में मैं, सुशील गुप्ता और अरुण माहेश्वरी भी तसलीमा के साथ थे।
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अरुण कमल ने एक कविता में कहा है कि उनकी जगह वहां है, जहां जूते उतारे जाते हैं। कवि उन अस्पृश्य लोगों का, कमजोर लोगों का पक्षकार है। अरुण कमल की कविता उनका पक्ष है, जिनका कोई नहीं, जो असहाय हैं और जो गैर बराबरी, अन्याय, शोषण, दोहन, दमन और उत्पीड़न का शिकार हैं। हाशिए के उन लोगों से अरुण कमल अपना सरोकार जोड़ते हैं। उनका पक्का भरोसा है- खड़े होंगे करोड़ों करोड़ एक साथ/ और चलेंगे सब प्रकाश की ओर।
कवि का विश्वास है कि जीवन से अंधकार मिटेगा और तभी जीवन जीने योग्य बनेगा। अरुण कमल का कुल सरोकार ही है- जीना और इस धरती को जीनेयोग्य बनाना। मनुष्य के जीवन को बेहतर बनाने की व्याकुलता उनकी कविता का मूल स्वर है। जन्मदिन पर कवि को बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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