पटना। असम-बंगाल में चुनाव लड़ने को आरजेडी बेचैन क्यों है, इसका राज बताया है राज्यसभा सदस्य और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने। उन्होंने कहा कि आरजेडी के दो नेता असम और पश्चिम बंगाल में पार्टी के चुनाव लड़ने की संभावनाओं का पता लगा कर लौटे, लेकिन इन राज्यों के किसी भी प्रभावशाली दल ने राजद को घास नहीं डाला।
2019 में राजद के नेता कोलकाता रैली में जिस ममता बनर्जी के साथ हाथ मिला कर खडे़ हुए थे, वह इस चुनाव में इन्हें पांच सीट देने को भी तैयार नहीं हुईं। आरजेडी ने पुलवामा हमले, डोकलाम गतिरोध और किसान आंदोलन की आड़ में तिरंगे के अपमान से लेकर टूलकिट मामले तक हमेशा भारत विरोधी ताकतों के पक्ष में बयान दिये या चुप्पी साधी। आरजेडी बताये कि उसके वरिष्ठ पदाधिकारी ने किनको खुश करने के लिए सचिन तेंदुलकर से भारत रत्न वापस लेने की मांग की थी?
मोदी ने कहा कि बिहार के अलावा किसी अन्य राज्य में लालू-राबडी की प्राइवेट लिमिटेड पार्टी आरजेडी का कोई असर नहीं है। हमारे तीन पडोसी राज्यों में या तो आरजेडी का एक भी विधायक नहीं है या उनकी संख्या दहाई अंकों में भी नहीं है। इसके बावजूद आरजेडी यदि पश्चिम बंगाल, केरल और असम में चुनाव लड़ने की बात कर रहा है, तो उसे अपने इरादे साफ करने चाहिए। जिन तीन राज्यों में राजद उम्मीदवार खड़े करना चाहता है, वे तीनों राज्य विदेशी घुसपैठ और भारत विरोधी ताकतों की विध्वंसक गतिविधियों का अड्डा रहे हैं। क्या राजद भारत विरोधी ताकतों की फंडिंग से उनकी राजनीतिक सहायता के लिए इन राज्यों में चुनाव लड़ना चाहता है?
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