- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। ममता बनर्जी ने विधानसभा चुनाव में महिलाओं पर इस बार ज्यादा भरोसा किया है। अपने कोटे की 291 में 50 सीटें उन्होंने महिलाओं को दी हैं। उनके दूसरे चहेते युवा बन कर उभरे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने 107 ऐसे लोगों को अपना उम्मीदवार बनाया है, जिनकी उम्र 50 साल से कम है। ममता बनर्जी की चुनावी रणनीति का यह नया पहलू है। अलबत्ता टिकट बंटवारे में बुजुर्गों की ओर उनका रुझान कम दिखा।
आगामी विधानसभा चुनाव के लिए आज तृणमूल कांग्रेस की ओर से 294 में से 291 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों की सूची जारी कर दी गयी। तृणमूल ने दार्जिलिंग की 3 सीटें विमल गुरुंग के नेतृत्व वाले गोरखा जनमुक्ति नोरचा के लिए छोड़ी है। पहाड़ में यानी दार्जिलिंग में विमल गुरुंग की अच्छी पकड़ है।
जारी की गयी उम्मीदवारों की लिस्ट में 107 ऐसे उम्मीदवार है, जिनकी उम्र 50 साल से भी कम है। पार्टी ने 50 महिला उम्मीदवारों को इस बार टिकट दिया है। हालांकि इस बार ही नहीं, महिला उम्मीदवारों की संख्या हर बार तृणमूल बढ़ाती रही है। 2016 के चुनाव में तृणमूल ने कुल 45 महिलाओं को टिकट दिया था। इसी तरह 2006 में 31 महिला उम्मीदवारों को खड़ा किया था। यानी महिला उम्मीदवारों की संख्या तृणमूल चुनाव दर चुनाव बढ़ाती रही है।
तृणमूल की 291 सीटों पर 8 पर ऐसे उम्मीदवार हैं, जो जो अनुसूचित जाति से हैं। 16 सीटों पर अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों को खड़ा किया गया है। हालांकि ममता बनर्जी ने जिन बिंदुओं को सामने रख कर अपने उम्मीदवारों को चुनने की कोशिश की थी, वे कहीं-कहीं फेल होते दिख रहे हैं। उन्होंने 75 साल की उम्र पार करने वालों को टिकट न देने की बात कही थी, लेकिन पूरी तरह इसका पालन नहीं किया। शोभन देव चट्टोपाध्याय, मदन मित्र जैसे उम्मीदवारों को ममता ने टिकट दे दी है।
वैसे राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र, वरिष्ठ नेता और शिक्षक रविंद्र नाथ भट्टाचार्य, पुराने विधायक शीतल शारदा जीतू लाहिड़ी, संजय बख्शी जैसे लोगों को पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जिन वरिष्ठ लोगों को टिकट नहीं दे पाए, उनके लिए विधान परिषद में व्यवस्था की जाएगी। ऐसे लोगों में सौगत राय, पूर्व मंत्री पूर्णेन्दु बसु भी शामिल हैं। सनद रहे कि बंगाल में अभी विधान परिषद की व्यवस्था नहीं है, लेकिन ममता ने कहा कि अगर तृणमूल की फिर सरकार बनती है तो विधान पिरषद का गठन किया जाएगा। ममता ने एक तरह से टिकट से वंचित लोगों के लिए चारा फेंका है, ताकि वे विद्रोही तेवर न अपना सकें।