कोलकाता। ममता बनर्जी बार-बार आपा खो रही हैं। कहीं हार का आभास तो उन्चुहें नहीं हो गया है। ममता बनर्जी ने आज भी पूर्व मेदिनीपुर की एक सभा में आपा खो दिया। इसके कई उदाहरण हाल के दिनों में मिल जाएंगे। आज पूर्व मेदिनीपुर के नंदकुमार की सभा में अचानक ही गुस्सा हो गईं और मंच पर उपस्थित अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं पर बरसने लगीं। इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि ममता बनर्जी जब स्लोगन लगा रही थीं, उनके साथ कार्यकर्ताओं ने जोर से स्लोगन नहीं लगाया।
ममता के आपा खोने की यह पहली घटना नहीं है। चुनाव आयोग से लेकर सेंट्रल फोर्स तक पर उनको विश्वास नहीं रह गया है। नंदकुमार की सभा में अपने कार्यकर्ताओं को सावधान करते हुए उन्होंने कहा कि बाहरी गुंडे सेंट्रल फोर्स के जरिए गांव-गांव में प्रवेश कर सकते हैं। इसे रोकने के लिए महिलाओं से हथियार उठाने का आवाहन उन्होंने कर डाला। केंद्रीय बल से सावधान रहने की चेतावनी देते हुए कहा कि केंद्रीय फोर्स गांव में अपना कैंप बनाने की कोशिश करें तो लोगों उन्हें रोकें।
मालूम है कि इसके पहले जब केंद्रीय चुनाव आयुक्त ने बंगाल में 8 चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की थी, तब ममता बनर्जी ने केंद्रीय चुनाव आयुक्त पर यह आरोप लगाया था कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी के इशारे पर चुनाव आयोग काम कर रहा है। इसके बाद भी कई बार ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए आयोग को भाजपा का पक्षधार बताया है। राज्य में कार्यरत डीजीपी व नंदीग्राम में उन पर हुए हमले के बाद मुख्यमंत्री की सिक्योरिटी डायरेक्टर विवेक सहाय को हटाए जाने पर भी चुनाव आयोग की उन्होंने आलोचना की थी।
नंदकुमार की सभा में चुनाव आयोग और केंद्रीय बल पर आशंका जताते हुए टीएमसी कार्यकर्ताओं को सावधान करते हुए ममता ने कहा- बैलट बॉक्स निगरानी करते समय या मतों की गिनती करते समय वे केंद्रीय सुरक्षा बल या सरकारी कर्मचारियों की ओर से दिए जाने वाले चाय, दूध, पानी, सिगरेट, बिरयानी जैसी खाने-पीने की चीजें न लें। क्योंकि उसमें कुछ भी मिलाया जा सकता है। उन कर्मचारियों की कोशिश होगी कि टीएमसी एजेंटों को बेहोश कर मत बेटी लूट लो। उन्होंने बताया कि केवल टीएमसी की ओर से दिया खाना ही खाएं।
उन्होंने अपनी पार्टी के पोलिंग एजेंटों को सावधान करते हुए कहा कि भाजपा और उसके साथ सरकारी कर्मचारी मिलकर पूरी तरह मत लूटने की कोशिश करेंगे। इसके लिए कार्यकर्ताओं को हमेशा सचेत रहने की जरूरत है। चुनाव शुरू होने के पहले 30 से ज्यादा मत डाल कर चेक करने का आदेश दिया। उन्होंने यह भी संदेह जताया कि उनके वोटरों को भगाने के लिए जान-बूझकर मशीन खराब कर दी जाएगी। नई मशीन लाने तक लोगों को इंतजार करने और नए ईवीएम आने पर उसे पूरी तरह चेक कर इस्तेमाल करने के भी उन्होंने निर्देश दिए।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि आखिर ममता बनर्जी इतना असहिष्णु और सरकारी तंत्र पर विश्वास रखने में नाकाम क्यों हो रही हैं? राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जब किसी पॉपुलर नेता को अपने पैरों के नीचे से जमीन खिसकती महसूस होती है, तब उनका सरकारी तंत्र से भरोसा हट जाता है। और, ममता के बारे में भी उनकी यही राय है।