पटना। नीतीश कुमार ने भी माना है कि बिहार असेंबली की कल हुई घटना शर्मनाक है। इसके लिए विपक्ष को कोसा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पत्रकारों से बात कर रहे थे। नीतीश कुमार ने बिहार विधानमंडल परिसर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक-2021 समेत कई अन्य विधेयक विधानसभा और विधान परिषद से पारित हो गये हैं। सभी विधेयकों को राज्यपाल के पास भेजा जायेगा। उनकी स्वीकृति मिल जाने के बाद विधेयक लागू हो जायेगा।
सदन में विपक्ष के हंगामे को लेकर पूछे गये सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष का जो भी रवैया रहा, वह सबको मालूम है। जिस तरह से विपक्षी सदस्यों ने व्यवहार किया है, वह अच्छी बात नहीं थी। कल विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा में कार्यवाही नहीं होने को लेकर काफी व्यवधान उत्पन्न किया। उन्होंने कहा कि अगर किसी विधेयक को लेकर विपक्षी सदस्यों के मन में कोई शंका थी तो उस पर चर्चा करनी चाहिए थी। विधेयक के बारे में पूरी स्पष्टता से सारी बातें बताई गयी हैं। विधेयक में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसके बारे में दुष्प्रचार किया गया। विपक्षी सदस्यों को सदन की चर्चा में भाग लेना चाहिए था। विधेयक पर चर्चा करनी चाहिए थी। कल सदन में ऐसी घटना घटी है, जो पहले कभी नहीं घटी थी। अब स्पीकर महोदय के अधिकार क्षेत्र में है कि वे कल की घटना को लेकर क्या करते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीए के सभी विधायक कल विधानसभा में शांति से बैठे हुए थे। स्पीकर के चैंबर का भी कल घेराव किया गया। सदन में स्पीकर के आसन के आसपास जिस प्रकार का आचरण किया गया, उसे सभी ने देखा। इस तरह का व्यवहार सदन में कभी नहीं होता है। आज कहा जा रहा है कि सदन में पुलिस क्यों आयी थी? ये स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में है कि वो स्थिति को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। स्पीकर के चैंबर के बाहर आज तक किसी ने भी ऐसा हंगामा नहीं किया था। बिहार में पहली बार स्पीकर को बंधक बनाया गया। स्पीकर के आसन का भी अपमान किया गया। रिपोटर्स टेबुल को भी तोड़ा गया। सदन में पेपरवेट भी फेंका गया। सदन के अंदर ऐसी गतिविधियां आज तक नहीं हुई थी। इन सभी चीजों को बर्दाश्त करते हुए कल विधानसभा की कार्यवाही हुई और जिन विधेयकों को सदन से पारित किया जाना था, उसे पारित किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव भी संपन्न हो गया है। सदस्यों ने अपना मत प्रकट किया है। आज सदन में बहुमत से ज्यादा 124 सदस्यों ने उपाध्यक्ष के चुनाव में एनडीए प्रत्याशी को अपना मत दिया और महेश्वर हजारी उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए। आज विधान परिषद में भी कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश की गयी। विधानसभा और विधान परिषद के सभी माननीय सदस्यों की जिम्मेवारी है कि सदन नियमों के अनुकूल चले। सभी सदस्यों को नियमों के मुताबिक कार्य करना चाहिए। सदन के अंदर अपनी बातें कहनी चाहिए। सदन के अंदर अगर विपक्षी सदस्य अपनी बातें रखते तो उसका जवाब दिया जाता। सदन में चर्चा के बाद वे अपने मन के मुताबिक विधेयक के पक्ष या विपक्ष में अपना मत देते।
उन्होंने कहा कि हमने गृह विभाग को निर्देश दिया है कि इस बिल के बारे में सभी बातों की जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दें। इस बिल का प्रचार प्रसार कीजिए। इस बिल में ऐसा कुछ भी नहीं है जो किसी का अहित करे। ये लोगों के हित में है। अन्य राज्यों में भी इस तरह के कानून हैं। किसी को परेशान करने के लिए यह कानून नहीं लाया गया है। दोनों सदनों में इसके संबंध में सारी बातें संक्षेप में बतायी गयी हैं।
विपक्षी दलों द्वारा दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कौन सी कार्रवाई, कौन सा दोषी अधिकारी? पहले वे बतायें कि उन्होंने बिहार विधानसभा अध्यक्ष के चैंबर का क्यों घेराव किया और अध्यक्ष के आसन का अनादर क्यों किया ? विधानसभा के अंदर क्या किया ? सत्तापक्ष के सब सदस्य सदन में शांति से बैठे रहे और विपक्षी सदस्य सदन में क्या-क्या बोलते रहे। जो जुलूस निकाल रहे थे वे पत्थर फेंक रहे थे। वे लोग बतायें कि किस-किस तरह की हरकतें उनलोगों ने की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पूरा कैंपस सीधे विधानसभा अध्यक्ष महोदय के नियंत्रण में है। यहां सरकार का या मुख्यमंत्री का या किसी अन्य का नियंत्रण नहीं है। विपक्षी सदस्यों ने जिस प्रकार का दृश्य यहां पैदा किया उसे नियंत्रित करने के लिए बिहार असेंबली अध्यक्ष को जो उचित लगा उन्होंने कार्रवाई की। स्थिति को संभालने के लिए उन्हें जिसकी जरुरत पड़ी उनको बुलाया गया। इसके अलावा काई चारा नहीं था। जिस तरह का व्यवहार विपक्षी सदस्यों ने सदन के अंदर किया ये आज तक कभी नहीं किया गया। इस पर उन्हें जो कुछ भी कहना है, स्पीकर साहब के सामने एक्सप्लेन करें। स्पीकर साहब को यह निर्णय लेना है कि इस तरह के व्यवहार करने वालों पर वे क्या कार्रवाई करते हैं। विधानसभा की कार्यवाही के सुचारू संचालन का उन्हें अधिकार है। विधान परिषद को चलाना सभापति महोदय का अधिकार है।
नीतीश कुमार ने कहा कि किसी भी प्रोसेडिंग को रोकने के लिये आप लगातार खड़े हैं, बोल रहे हैं, ये सब होता है, चलता रहा है लेकिन आप सीधे स्पीकर के आसन को इस तरह से डिस्टर्ब करियेगा, स्पीकर साहब को चैम्बर से निकलने नहीं दीजियेगा, ये आज तक कभी नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि पता नहीं विपक्षी सदस्यों को ऐसा करने की सलाह कौन देता है। हमने तो यहां तक कहा है कि विधानसभा की कार्यवाही जिस तरह से होती है इसके लिये जो नियम, कानून हैं, प्रावधान हैं सब चीजों के बारे में जितने निर्वाचित सदस्य हैं, जो नये सदस्य आये हैं, उनके लिये एक ट्रेनिंग की व्यवस्था कर दीजिये ताकि एक-एक चीज को वे सब जान सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सदन की कार्यवाही में सबको अपनी बात रखने का अधिकार है, चाहे वह सत्तापक्ष के हां या विपक्ष के। आप सभी लोग जानते हैं कि हम 1985 में पहली बार विधायक बने उसके बाद हम सांसद बने। वर्ष 2005 के 24 नंवबर से बिहार के लोगों की सेवा कर रहे हैं। आज तक हमने ऐसा दृश्य नहीं देखा था। हम इतना जरूर आग्रह करेंगे कि विधानसभा हो, विधान परिषद हो ये सबकी जिम्मेवारी है कि सदन के सुचारू संचालन में सहयोग करें। अपनी भूमिका का सबको निवर्हन करना चाहिये और जो कुछ भी अपना विचार है उसे प्रकट करना चाहिये। सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलने देना चाहिये। सत्तापक्ष के जो माननीय विधायकगण हैं वे सब नियमों के अनुसार काम करना चाहते थे। पुलिसकर्मियों के साथ भी विपक्षी सदस्यों ने दुव्र्यवहार किया।