- डी. कृष्ण राव
कोलकाता। पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेट्री अलापन बंद्योपाध्याय के दिल्ली ट्रांसफर के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र से टकराव के मूड में हैं। केंद्र ने 31 मई तक चीफ सेक्रेट्री अलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली रिपोर्ट करने को कहा है। सूचना यह यह कि वह दिल्ली जाने के मूड में नहीं है, बल्कि कल वह मुख्यमंत्री की मीटिंग में शामिल रहेंगे।
अलापन को ममता बनर्जी की सिफारिश पर तीन महीने का एक्सटेंसन मिला है। उनके खिलाफ केंद्र अगर सख्ती करता है तो वह इस्तीफा भी दे सकते हैं। इससे उन पर कोई फर्क भी नहीं पड़ने वाला है। इसलिए कि नौकरी की उम्र उन्होंने पूरी कर ली है। ममता बनर्जी के भरोसेमंद होने के कारण उन्हें राज्य सरकार कोई न कोई निगम सौंप सकती है।
ममता बनर्जी का केंद्र से टकराव नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में शुरू हुआ और अब तक जारी है। कई केंद्रीय योजनाओं को ममता ने बंगाल में लागू ही नहीं किया। इनमें पीएम किसान निधि योजना और आयुष्मान योजना शामिल है। CAA और NRC के मुद्दे पर उनका केंद्र से टकराव है। उन्होंने पहले ही कह दिया था कि पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं होने देंगी। इस बार चुनाव के दौरान टकराव की साफ झलक उनके भाषणों में दिखी।
ममता का मानना है कि केंद्र ही उनसे टकरा रहा है। कल उन्होंने केंद्र के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहा कि उनके शपथ ग्रहण के दिन से ही केंद्र सरकार बदले की राजनीति कर रही है। केंद्र सरकार कभी बंगाल में हिंसा का जायजा लेने के लिए केंद्रीय टीम भेजती देती है, तो कभी मानवाधिकार टीम। तीसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के साथ ही राज्यपाल जगदीप धनखड़ मेरे खिलाफ बोलते आ रहे हैं। भाजपा मेरे खिलाफ खुलकर षड्यंत्र कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार पर ही संघीय ढांचा नष्ट करने का आरोप लगाया।
उन्होंने यहां तक कह दिया कि बंगाल के हित के लिए वह प्रधानमंत्री के पांव पकड़ लेंगी, लेकिन बंगाल को लेकर गंदी राजनीति अब बंद होनी चाहिए। इस बीच टीएमसी सांसद अपरूपा पोद्दार ने कहा है कि मोदी-ममता के बीच भाई-बहन जैसा संबंध है, लेकिन बंगाल बीजेपी ही दोनों के बीच तालमेल से काम नहीं होने दे रही है। उनके इस बयान के राजनीतिक मायने भी हो सकते हैं।
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