पावं लागीं मलिकार! रउरा त एकदमे गुलर के फूल हो गइल बानी। ना कवनो पाती आ न कवनो सनेशा। पइसवा बैरी त रउरा के परदेसी बनाइए दिहलस, राउर पातीए पढ़ के संतोष क लीले, बाकिर जब उहो ढेर दिन हो जाला त मन मछरी अइसन मछिआये लागेला। अउरी कुछ होखे भा ना, बाकिर पाती पठावल मत छोड़ेब।
गांव-जवार के हाल ठीके बा। एने दू बेर आन्हीं-पानी आइल हा। कई ठांवा पथरो परल बा। पांड़े बाबा भोरहियां खबर कागज पढ़ के सुनावत रहवीं लोग के कि कहवां-कहवां का नोकसान भइल बा। दस आदमी के जानो चल गइल बा। गोंयड़ा के गेहूं कटाइल बा। काल्ह सोचले रहनी दंवा देबे के। हरिचरन के सनेशा भेजववले रहनी कि ए बाबू, तनी थरेसरवा ले अइह। सब पलान पर पानी फेर गइल ई आन्हीं-पानी।
एगो बात त रउरा ना मालूम होई मलिकार, मामा के मउसी के बड़की बेटिया फउज में बहाल हो गइल। मामी बतावत रहली कि फूलन देवी अइसन ऊ दुशमन पर दे दनादन बंदूक चलावे के टरेनिंग ले तिया। ई मामा के ओही मउसी के बेटी ह, जवना के बाप दारू पीयल ना छोड़ले त ऊ उनकरे के पुलिस बोला के पकड़वा दिहलस। ऊ अपना मतारियो के ना सुनलस। पियकड़ई में ओकर बाप धूरे धूर बेच दिहले। खाली घड़ारी बांचल बा। तबे बुझा गइल रहे कि ई दोसरा माटी-मिजाज के बिया। चलीं, अब ओकर घर संवर जाई। मामा बतावत रहले कि जेल से अइला के बाद बापो बदल गइल बाड़े। दारू-ताड़ी त छूटिये गइल, घरो में शांति बा। हमरा त बुझाता मलिकार, नीतीश ई एगो सब से बड़ आ नीक काम कइले। भगवान उन कर भला करस।
हमहूं कवन पुरान लेके बइठ गइनी। आपन कहे-सुने के जगहा दोसर बतकही में अझुरा गइनी। लगन-पताई के दिन बा। नेवता-हकारी में कुछ खरचा बढ़ी। एह महीना दस-पांच बेसिये भेजब रउरा। नान्ह-बार ठीक बाड़े सन।
राउरे,
मलिकाइन
मलिकाइन के पातीः दारू छूटल, झगड़ा-लफड़ा ओराइल
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