पटना। 2022 तक किसानों की आय दोगुगनी करने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा, “देश के किसानों को संपन्न बनाने की अपनी कवायद के तहत आज केंद्र सरकार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए दिन-रात निरंतर कार्य कर रही है, जिसका प्रभाव गतवर्ष हुए रिकॉर्ड उत्पादन में साफ़ दिखा है। सरकार ने खरीफ़ फसलों के लिए, न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP, को फसलों की लागत का डेढ़ गुना बढ़ाने का निर्णय लिया है, जो आने वाले चंद दिनों में लागू हो जाएगा। इसके अलावा कृषि मंत्रालय ने पिछले महीने कृषि कल्याण अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत किसानो को उतम तकनीक मुहैया कराने और आमदनी बढ़ाने, सिंचाई और एकीकृत फसल के तौर-तरीकों के बारे में सलाह और सहायता प्रदान की जा रही है।
केंद्र सरकार ने केन्द्रीय बजट में कृषि को दिए जाने वाले फंड को भी दुगना किया है। कांग्रेस के समय जहां 2009 से 14 के बीच मात्र 1,21,082 करोड़ रुपए दिए गये थे, वहीं प्रधानमन्त्री जी ने मात्र चार सालों में ही इस मद में 2,11,694 करोड़ रुपए आवंटित कर दिए हैं। आज हर खेत को पानी पंहुचाने के लिए 50,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ नहरों और बांधों पर मिशन मोड में काम चल रहा है। खेती में पानी के उचित उपयोग के लिए ड्रिप सिंचाई की तकनीक को इन चार सालों में 26.87 लाख हेक्टेयर तक पंहुचाया गया है। आज देश के 11 करोड़ से ज्यादा किसानों के हाथ में सॉइल हेल्थ कार्ड है, जिससे मिल रही जानकारी के आधार पर, किसानों की ऊपज बढ़ने के साथ-साथ खाद पर खर्च भी कम हो रहा है। इसके अलावे किसानो को ऋण बांटने का लक्ष्य बढ़ाकर इस वित् वर्ष में 11 लाख करोड़ कर दिया गया है, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसानो को लाभ मिलेगा।”
कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए श्री रंजन ने आगे कहा, “हमारे देश के अन्नदाताओं की कांग्रेस ने क्या दुर्गति बना कर रखी थी यह किसी से छिपा नही है। लोग जानते हैं कि कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने किसानो को वोट बैंक से ज्यादा कभी समझा ही नही, जबकि किसानों की खुशहाली किसी भी सरकार का पहला कर्तव्य होना चाहिए। फरवरी 2004 में गठित राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिशों के आधार पर किसानों के लिए राष्ट्रीय नीति मंजूर की गयी थी, लेकिन कांग्रेस के राज में अधिकांश सिफारिशें ठंडे बस्ते में डाल दी गयी। हकीकत में कांग्रेस हमेशा ही किसानो के प्रति उदासीन रही है और आज भी वह किसानों की समस्याओं का समाधान ढूंढने में केंद्र की मदद करने की जगह उन्हें और बढ़ाने की फ़िराक में रहती है। कांग्रेस की सोच है कि पहले किसानों की समस्याओं को बढाओ फिर उनका भावनात्मक शोषण कर उनके वोटों को हड़प लो। इनकी इसी सोच की वजह से 48 वर्षों में किसान झूठे वादों से छले जाते रहे हैं, लेकिन अब परिस्थिति बदल चुकी है। कांग्रेस के नेता यह जान लें कि उनका किसानों के स्वाभिमान और मेहनत के साथ किया जाने वाला खिलवाड़ अब और नही चलने वाला।”