पीएम के काशी दौरे पर अब तक खर्च हुए 130 करोड़

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  1. हरेन्द्र शुक्ला 
वाराणसी। काशी के सांसद श्री नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री की हैसियत से अबकी बार 13 वीं बार काशी आ रहे हैं। सांसद जी अबकी बार 14 ,15 जुलाई को काशी प्रवास के दौरान पटेल बाहुल्य क्षेत्र रोहनिया के कचनार में जहां लाभार्थियों, पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर हजारों करोड की विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर वाराणसी में विकास की गंगा बहायेंगे। वहीं काशी के सैकड़ों मानिंदों से डीजल इंजन रेल कारखाना परिसर में मिलकर सरकार की चार साल की उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड सौंपेगे।
पीएम की सुरक्षा के लिए डीरेका से लेकर कचनार तक हाई सिक्योरिटी जोन में तब्दील है।  सुरक्षा के लिए 12 हजार सुरक्षाकर्मियो की तैनाती की गई है। जमीन से लेकर आसमान तक सुरक्षा का घेरा ऐसा की परिंदा भी पर नहीं मार सकेगा। प्रधानमंत्री की कार्यक्रम की सफलता के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एक बार, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ दो बार, लगभग आधा दर्जन केन्द्रीय मंत्री ,सूबे के अनगिनत मंत्री, विधायक सहित केन्द्र /राज्य के अधिकारियों की फौज ने युद्ध स्तर पर तैयारी को अंतिम रुप दे रहे है।
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अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में प्रधानमंत्री के रुप में रिकार्ड कायम करने वाले मोदी जी के एक दौरे पर यदि नजर डाला जाय तो लगभग 10 करोड़ का खर्च गिरना स्वभाविक है।  इस तरह देखा जाय तो भारत की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है और पीएम के काशी के 13 बार की दौरे में खर्च होने वाले रकम का गुणा किया जाय तो उनके काशी आने जाने पर भारत की जनसंख्या 130 करोड़ के बराबर खर्च हो चुका है।  हां यह जरुर है कि बनारस की विकास के लिए मां गंगा के बुलावे पर आने वाले मोदी जी विकास के लिए बहुत चिंतित भी रहते है। यही कारण है कि उन्होने केवल बनारस के विकास के लिए लगभग 30 हजार करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर चुके हैं लेकिन केवल डीरेका से अस्सी, रविन्द्रपुरी, जवाहर नगर कालोनी सहित दो अन्य धनवानों की कालोनियों की सडके चलने देखने की लायक जरुर संवार दी गई है बाकी शहर के 95% की आबादी वाले लोग शहर में रहकर भी गवई आनंद लेने को विवश है। क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और इस दिशा में काम भी शिफ़र ही है। जो पैसा ख़र्च भी हुआ विकास के नाम वह कमाई भी गुजरात गयी।
ठग विद्या में महारत इस शहर को बड़े ठग ने ही ठग लिए। ये दुखी करने वाली बात है।विकास थोरा कम होता तो भी यहाँ के लोग सह लेते लेकिन ठगने से ये शहर आहत है। जब मोदी जी सांसद चुने गये थे तो लोगों को यह उमीद जगी थी की अब बनारस में भी उद्योगों का जाल बिछ जायेगा। सदियों से आर्थिक और शैक्षिक बदहाली के शिकार लोगों को रोजगार मिल जायेगा।  लेकिन ऐसा धरातल पर नहीं उतरकर सिर्फ अखबारों और टीवी चैनलो पर ही दम तोड दिया। आपके संसदीय क्षेत्र में 4 साल में एक “खुरपा” बनाने का कारखाना भी स्थापित नहीं हो सका।  ऐसी स्थिति में कैसे बेरोजगारी दूर होगी कैसे आर्थिक विकास होगा यह समझ से परे है। भारत की जनसंख्या के बराबर आपके काशी में सियासी दौरे पर कुल खर्च हुये लगभग 130 की लागत से यदि कोई उद्योग बनारस सहित पूर्वांचल के किसी भी भू-भाग पर स्थापित किया गया होता तो पूर्वांचल के करीब 10 हजार बेरोजगारो को रोजगार जरुर मिल गया होता।  वह बेरोजगारी के तनाव में न्यूरो के मरीज बनकर अपनी पुश्तैनी जमीन बेंचकर अस्पतालों में इलाज नहीं कराते।
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