पाकुड़। स्वामी अग्निवेश पर कल पाकुड़ में हुए हमले और मार कुटाई पर जहां एक तबका उबाल खा रहा है, वहीं कुछ लोग इस अपमान को वाजिब ठहराने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा नेता हरि प्रकाश लाटा ने अपने फेसबुक वाल पर लिखा है-
स्वंम्भू ” स्वामी ” अग्निवेश घोर भाजपा विरोधी है। यह विपक्षी दलों के हाथ का मोहरा है। विरोधी दलों और पक्षों को जब अपने मंच पर भगवाधारी की जरूरत महसूस होती है, अग्निवेश वहां हाजिर हो जाते हैं। चाहे वह नक्सलवादी समर्थकों का मंच हो या जय भीम जय मीम वालों का मंच हो। चाहे अभिव्यक्ति की आजादी का झूठा प्रपंच रचने वालों की सभा हो या कश्मीर अलगाववादीयों की सभा। राम मंदिर का मुद्दा हो या गौहत्या बन्दी का, ये आर्यसमाज के झूठे (अनधिकृत ) प्रतिनिधि के तौर पर खड़े हो जाते हैं। यही इनकी राजनीति है। यही इनका शौक।
परन्तु फिर भी उनके साथ मारपीट नहीं की जानी चाहिए थी। यह सही नहीं है। इससे अग्निवेश सुधर जायेगें ऐसा, नहीं है और न ही यह हमारी संस्कृति और संस्कार के अनुकूल है।
वरिष्ठ टीवी पत्रकार अजित अंजुम लिखते हैं- अभी तो बहुत कुछ होना बाकी है। तमाशा देखते रहिए, नफरतों की फसल अभी लहलहाई कहां है? स्टूडियो में कहीं मौलाना और महिला में मारपीट हो रही है तो कहीं लंपटों की भीड़ सरे राह अग्निवेश पर हमले कर रही है।
महिला पर हाथ उठाने वाले मौलाना पर जिनका खून गरम हो रहा है, वही अग्निवेश की पिटाई पर जश्न मना रहे हैं या जस्टीफाई कर रहे हैं। अग्निवेश के विचारों और तौर-तरीकों से मैं अक्सर असहमत रहा हूं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं हुआ कि सरेआम उन्हें इस कदर पीटा जाए। उनके कपड़े फाड़े जाएं और बता दिया जाए कि मुंह बंद रखो, वरना अंजाम कुछ भी हो सकता है। ऐसे लंपटों के हौसले कैसे बढ़ते हैं?
सरकार इनकी, पुलिस इनकी, विचार इनके, समर्थक इनके, कल को पकड़े भी गए तो छूटते ही माला पहनाकर मुंह मीठा कराने वाले मंत्री इनके।
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