- भगवान महावीर का जन्म इसी बिहार में हुआ था
- भगवान बुद्ध को बिहार में हुई थी ज्ञान की प्राप्ति
- यहां बौद्ध धर्म का प्रमुख अध्ययन केंद्र हुआ करता था
- मुगल और हिंदू वास्तुकला के कुछ शानदार नमूने देखने को यहां मिलते हैं
- 5वीं से 11वीं सदी के बीच यहां विश्व का प्रारंभिक विश्वविद्यालय विकसित हुआ
पटना। बिहार का गौरवशाली इतिहास सर्वविदित है। यहां प्राचीन सभ्यता, धर्म, इतिहास और संस्कृति का अनूठा मेल है, जो भारत की पहचान है। यह राज्य भारत के कुछ महान साम्राज्यों जैसे मौर्य, गुप्त और पाल के उदय और उनके पतन का गवाह रहा है। 5वीं से 11वीं सदी के बीच यहां विश्व का प्रारंभिक विश्वविद्यालय विकसित हुआ। उसके अवशेष आज भी बिहार पर्यटन के आकर्षणों में से एक हैं। बौद्ध धर्म के कुछ पवित्र स्थल भी इसी राज्य में हैं। हिंदू धर्म, सिख धर्म और जैन धर्म, सूफीज्मपरंपरा के कुछ महत्वपूर्ण स्थान भी यहां हैं।
भारत के उत्तरी भाग में स्थित पर्यटन की यह पट्टी पूर्वी गंगा के मैदानीं हिस्सों में अवस्थित है। बौद्ध और जैन धर्म का उद्गम स्थल होने के कारण भारत के सांस्कृतिक इतिहास में बिहार का महत्वपूर्ण स्थान है। यहां आकर सैलानियों को मुगल और हिंदू वास्तुकला के कुछ शानदार नमूने देखने को मिलते हैं। बिहार में एक संपन्न प्राचीन सभ्यता का पोषण हुआ है और भारत के कुछ प्रमुख धर्मों, जैसे बौद्ध और जैन धर्म का जन्म यहीं हुआ। इस राज्य का नाम ‘विहार’ शब्द से आया है। इसका अर्थ बौद्ध मठ होता है क्योंकि यह स्थान बौद्ध धर्म का प्रमुख अध्ययन केंद्र था। बिहार का इतिहास छह शताब्दी ईसा पूर्व तक जाता है। यहीं पर वैशाली में भगवान महावीर का जन्म हुआ था और भगवान बुद्ध को बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे ‘आत्मज्ञान’ मिला था।
नालंदा से 15 किमी. दूर स्थित राजगीर, मंदिरों और मठों से भरी जगह है। यह एक घाटी में बसी जगह है और इसके आसपास के स्थान बहुत सुंदर हैं। आसपास के जंगल राजगीर की सुंदरता को और बढ़ाते हैं।पाटलीपुत्र के गठन से पहले राजगीर मगध महाजनपद की राजधानी था। यह क्षेत्र भगवान बु़द्ध और बौद्ध धर्म से लंबे समय तक संबंधित रहा है। बुद्ध ने अपने जीवन का लंबा समय यहां बिताया।राजगीर जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। राजगीर में भगवान महावीर ने भी लंबा समय बिताया। यह जैन धर्म का एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है। इतिहासऔरसंस्कृतिराजगीर में बुद्ध के सबक दर्ज किये गए। इस शहर ने पहली बौद्ध परिषद के रुप में भी कार्य किया। आज के समय में राजगीर बौद्ध धर्म का सबसे प्रमुख धर्म स्थल है। धर्म का केन्द्र होने के अलावा राजगीर एक लोकप्रिय स्वास्थ्य रिसोर्ट भी है। राजगीर के गर्म पानी के तालाबों में त्वचा संबंधी बीमारियां ठीक करने के गुण भी बिहार का मनेर शरीफ ऐतिहासिक अतीत के अवशेषों से भरा है। प्राचीन समय में मनेर शरीफ इस क्षेत्र में शिक्षा और ज्ञान का प्रमुख केन्द्र हुआ करता था। प्रसिद्ध वैयाकरण पाणिनी और वररुचि मनेर शरीफ के ही निवासी थे और यहीं उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। मनेर शरीफ में दो बहुत प्रसिद्ध मुस्लिम मकबरे हैं। एक शाह दौलत या मखदूम दौलत का, जिसे छोटी दरगाह भी कहते हैं। दूसरा मकबरा शेख याहिया मनेरी या मखदूम याहिया का है, जिसे बड़ी दरगाह कहते हैं।
अगर हम बात करें वाल्मीकि नगर की तो ये बिहार के पश्चिमी चंपारण का एक छोटा सा गांव है। यह भारत नेपाल सीमा पर स्थित है। बगहा से 42 किमी. दूर है। वाल्मीकि नगर में रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि के नाम पर वाल्मीकि आश्रम स्थित है। गंडक नदी वाल्मीकि नगर की सुंदरता में चार चांद लगाती है। सिंचाई तंत्र को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने गंडक नदी पर एक बैराज भी बनाया है।
बिहार को एक तीर्थस्थल के तौर पर भी जाना जाता है। राज्य में कई बौद्ध स्थल हैं जो तीर्थस्थलों की एक लंबी कतार बनाते हैं और बिहार की यात्रा करने वाला प्राचीन खंडहरों और पुरानी धार्मिक लिपियों के आकर्षण में खो जाता है। बड़ी संख्या में लोग बिहार की यात्रा करते हैं क्योंकि यह जैन और हिंदू धर्मों का पवित्र स्थल है।
चित्रकारी की मधुबनी शैली बिहार की समृद्ध परंपरा है। बिहार अपने हस्तशिल्पों के लिए बहुत मशहूर है। पीढ़ी दर पीढ़ी बिहारी महिलाएं चित्रकारी की लोक कला को आगे बढ़ाती हैं। इनमें अक्सर पौराणिक कहानियां, स्थानीय देवताओं के चित्र और हिंदू देवी-देवताओं के चित्र बनाए जाते हैं।