समस्तीपुर से प्रमोद प्रभाकर
राज्य सरकार शिक्षा को सुधारने को लेकर चाहे जितना भी दावा कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यह भी बताना जरूरी है कि भवण निर्माण मंत्री इसी कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतते हैं। इस स्कूल में दलित-महादलित वर्ग के बच्चे पढ़ते हैं।
मैं आपको कल्याणपुर प्रखंड ऐसे स्कूल में लिए चलता हूं, जो स्कूल मंदिर के रहमोकरम पर मंदिर के बरामदे में चल रहा है। इस स्कूल में स्कूल की घंटी बजाना मना है। जी हां, यह प्राथमिक विद्यालय मुक्तापुर कोठी का नवसृजित विद्यालय है, जो विगत 12 सालों से राम जानकी मंदिर के बरामदे में चल रहा है। इतना ही नहीं, यहां ब्लैक बोर्ड भी नहीं लगा हुआ है।
यहां मात्र दो शिक्षिकाएं हैं। इनका कहना है कि काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूल का अपना भवन नहीं रहने के कारण किसी तरह बच्चों को मंदिर में ही पढ़ाना पड़ता है। क्लास वन से लेकर क्लास पांच तक के बच्चों को शिक्षा दी जाती है। सबसे हैरत की बात यह है कि इस मंदिर परिसर में ना तो कोई शौचालय है और ना ही पीने के पानी की कोई व्यवस्था है। बच्चों को शौचालय के लिए बाहर जाना पड़ता है। मध्याह्न भोजन के बाद बच्चों को पानी पीने के लिए दूसरों का सहारा लेना पड़ता है। इतना ही नहीं, यहां जो मध्याह्न भोजन बनाया जाता है, वह भी खुले आसमान के नीचे। शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी का इस विद्यालय की ओर ध्यान नहीं है। इसका नतीजा यह है कि यहां पढ़ने वाले मासूम देश के होनहार बच्चों का भविष्य अंधकार में दिख रहा है। यहां पढ़ने वाले बच्चों ने भी सरकार से अपने स्कूल के भवन की मांग की।
यहां पढ़ाने वाले शिक्षिकाओं का बताना है कि 2006 से यह विद्यालय राम जानकी मंदिर के बरामदे पर चलाया जाता है । काफी परेशानियों के बावजूद यहां किसी तरह पठन-पाठन का कार्य हो रहा है। विभाग के अधिकारियों को मौखिक और लिखित इस विद्यालय की समस्या से अवगत कराया जाता रहा है।
यहां पढ़ने वाले मासूम बच्चे दलित और महादलित परिवारों के हैं। बताते चले कि भवन निर्माण मंत्री कल्याणपुर विधान सभा क्षेत्र से ही जीते हैं। साथ ही वे भी महादलित वर्ग से आते हैं।
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