मेक इन इंडिया से मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह पर है भारत: BJP

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पटना। देश के विनिर्माण क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ने की बात कहते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा कि चार साल पहले जब प्रधानमन्त्री जी ने मेक इन इण्डिया योजना की नींव रखी थी तो याद करें कि विपक्ष में बैठे दल किस तरह से इस अतिमहत्वकांक्षी परियोजना की खिल्ली उड़ाते थे। लंबे समय तक सत्ता में रहने के आदी इन दलों को लगता था कि भारत विनिर्माण क्षेत्र में कभी आगे नही बढ़ सकता। इसीलिए इन्होंने कभी इस दिशा में कभी कोई सार्थक प्रयत्न तक नही किया।

समय बदला और आज यही मेक इन इंडिया की सफलता को देख इनके मुंह पर ताला लग चुका है। आज दुनिया देख रही है कि इसी मेक इन इंडिया की बदौलत आज देश कैसे तेजी से मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की राह अग्रसर है। भारत सरकार द्वारा इस कार्यक्रम की घोषणा के बाद से देश के अनेक क्षेत्रों में निर्माण अब भारत में ही होने लगा है।

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रक्षा, तकनीक, इलेक्ट्रॉनिक, ऑटो-मोबाइल समेत सभी क्षेत्रों की बड़ी कंपनियों नें पिछले चार सालों में भारत में बड़ी मात्रा में निवेश किया है। ग्राहकों की संख्या के हिसाब से तो भारत एक बड़ा बाजार पहले भी था, लेकिन अब निर्माण के क्षेत्र में भी भारत अपनी भूमिका मजबूत कर रहा है। यह अनायास नहीं है कि आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा स्टील निर्माता है।

कई बड़े देशों को पीछे छोड़ आज भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता भी बन चुका है। 2014 से पहले जहां देश में महज दो मोबाइल फोन के कारखाने थे, वहीं आज 100 से भी कारखाने मोबाइल बना रहे हैं। इस पहल के अंतर्गत आज नोकिया, एलजी और सैमसंग जैसी कंपनियां भी भारत में अपने उत्पादों का निर्माण शुरू कर चुकी हैं, जिससे तकरीबन 1 लाख लोगों को रोजगार मिला है।

बिजली के निर्माण में भी आगे बढ़ते हुए भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर काबिज हो चुका है। इसके अलावा एफ़-16 विमान बनाने वाली कंपनी लॉकहीड र्मार्टिन ने भी भारत में अपना कारखाना शुरू करने की सहमति जता दी है।

भाजपा प्रवक्ता ने आगे कहा कि मेक इन इण्डिया पहल के अंतर्गत प्रधानमन्त्री जी ने दूसरे क्षेत्रों के साथ ही रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में भी स्वदेशी की बढ़ावा देना शुरू किया था। प्रधानमंत्री जी ने मिसाइल, गोला-बारूद, टैंक आदि निर्मित करने के लिए विदेशी कंपनियों के बजाय स्वदेशी कंपनियों को तरजीह देने के निर्देश दिए थे। आज ‘मेक इन इंडिया’ के जरिए रक्षा मंत्रालय ने एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत की है।

इसके अलावा नौसेना में शामिल हुए आइएनएस करंज और आइएनएस कलावरी के स्वदेशी निर्माण के कारण देश के करोड़ों रुपए बचे हैं। हकीकत में मेक इन इंडिया भारत को भविष्य की आर्थिक महाशक्ति बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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