पटना। सीट शेयरिंग के सवाल पर बिहार एनडीए में बड़ी खामोशी से घमासान मचा है। मीडिया में आयीं खबरों के मुताबिक भाजपा ने सीटों के बंटवारे का जो फार्मूला पेश किया है, वह एनडीए के घटक दलों को कत्तई पसंद नहीं आया है। कोई खुल कर बोल नहीं रहा है, लेकिन सभी कोफ्त में हैं।
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जदयू ने तो इस खबर को सिरे से यह कह कर नकार दिया है कि अभी इस पर बातचीत नहीं हुई है। जब अधिकृत तौर पर कोई बात आयेगी तो पार्टी कोई प्रतिक्रिया दोगी। बिहार भाजपा के वरिष्ठ नेता और नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री मोदी ने भी साफ कर दिया है कि अभी कोई निर्णय नहीं हुआ है। मीडिया में जिस भी सूत्र के हवाले से यह आयी, वह शायद हवा का रुख भांपने के लिए था। जिस तरह सीटों के बंटवारे की संख्या बतायी गयी, उससे यही लगता है कि भाजपा ने साथी दलों का रुख भांपने के लिए ऐसा किया है। फिर भी अगर इस सूचना में तनिक भी सच्चाई है तो निश्चित तौर पर जदयू के लिए सोचने पर मजबूर होना पड़ेगा।
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बिहार एनडीए में नीतीश को बड़ा भाई मानने के जदयू के अपने तर्क हैं। उसका कहना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव के पहले बिहार में उसने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था, भाजपा को महज 15 सीटें ही मिली थीं। भाजपा का मानना है कि यह गुजरे जमाने की बाद हुई। 2014 से हालात बदल गये हैं। भाजपा अकेले अपने दम पर बिहार में 22 सीटें लाने में कामयाब हुई, जबकि नीतीश कुमार को महज 2 सीटों से काम चलाना पड़ा।
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जहां तक दूसरे घटक दलों- राम विलास पासवान के लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा के रालोसपा का सवाल है तो यह सभी जानते हैं कि हाल के दिनों में उपेंद्र कुशवाहा के बयान अजीबोगरीब और गठबंधन के प्रतिकूल आ रहे हैं। हफ्ते भर में उनके दो बयान साफ करते हैं कि एनडीए में सबकुछ ठीकठाक नहीं है। पहले उन्होंने खीर के बहाने दलित, पिछड़े, कुशवाहा और यादवों की एकजुटता की जरूरत बतायी और शुक्रवार को तो यहां तक कह दिया एनडीए में ही कुछ लोग नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना नहीं चाहते। उनके दोनों बयानों को हल्के से नहीं लेना चाहिए। रामविलास पासवान के साथ तो यह कहावत ही जुड़ी है कि वे मौसम विज्ञानी हैं। हवा का रुख देख कर कोई फैसला लेते हैं। हालांकि बीच-बीच में वे और उनके बेटे चिराग इसारों-इशारों में असंतोष जाहिर करते रहते हैं।
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जदयू के बास सीट शेयरिंग का अपना फार्मूला है। जदयू सूत्रों के मुताबिक पार्टी चाहती है कि कम से कम 16 सीटें उसे मिलें और इतनी ही सीटें भाजपा ले। बाकी बची 8 सीटें उपेंद्र कुशवाहा और रामविलास पासवान के बीच बंटें। अगर भाजपा सूत्रों से निकली पहली खबर ही सच निकलती है तो जदयू को भाजपा से पिंड छुड़ाने में तनिक भी संकोच नहीं होगा। नीतीश कुमार को समझने वाले बताते हैं कि कब कौन-सा फैसला वह लेंगे, उनके सिवा दूसरा कोई नहीं जानता। सीट शेयरिंग के लीक हुए फार्मूले पर अब तक उनकी चुप्पी और केसी त्यागी के इस बयान कि अभी बातचीत चल रही है, इसलिए फार्मूले पर उन्हें संदेह है, से साफ जाहिर है कि जदयू इससे खुश नहीं है।