रांची। तकरीबन 10 साल पहले की बात है। तब तीन राज्यों से निकलने वाले एक अखबार कुत्ता काटने पर दिये जाने वाले इंजेक्शन पीड़ितों में मुफ्त बांटने का अभियान चलाया। इसलिए उन दिनों सरकारी अस्पतालों में इसकी सप्लाई ठप पड़ जाने के कारण सामाजिक सरोकार (Corporate Social Responsibility) के तहत अखबार ने इस काम का बीड़ा उठाया। इंजेक्शन की कीमत खुले बाजार में 300 रुपये से अधिक थी। इसकी सूटना मिलते ही 25 साल का एक युवा अखबार के दफ्तर आया और उसने आधी से भी कम कीमत पर उसी कंपोजिशन का इंजेक्शन सप्लाई की पेशकश की। डाक्र से सलाह ली गयी और डाक्टर ने भी इंजेक्शन को सही ठहराया। इतना ही नहीं, अपनी ओर से उस युवा ने 20-25 इंजेक्शन भी मुफ्त में दिये। अभियान के समापन पर आयोजित कार्यक्र में झारखंड के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही भी आये। उन्होंने बात ही बात में इंजेक्शन की कीमत पूछ ली। जब उन्हें पता चला कि यह 110 रुपये में खरीदा जा रहा है तो महकमे के किसी डाक्टर से पूछा कि आप लोग कितने में खरीदते हैं तो उनका जवाब था- 350 रुपये में। बस, मंत्री जी ने पूरे झारखंड में सप्लाई का आर्डर उस युवक को दे दिया। वह युवक है अश्विनी राजगढ़िया। अपने कुछ साथियों के साथ मिल कर उन्होंने एक ट्रस्ट बनाया- जिंदगी मिलेगी दोबारा।
झारखंड की राजधानी रांची में जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन की शुरुआत 5 नवंबर 2017 को हुए थी। अपने 1 साल से भी कम समय में संस्था ने 1500 से भी अधिक शवों और मरीज़ों को घर तक पहुँचाने का काम किया है। जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद लोगों को फ्री में एंबुलेंस सेवा मुहैया करना है, ताकि गरीब और जरूरतमंद शवों को सम्मान के साथ उसके घर तक पहुंचाने में सहायता दी जाए। अपने 10 महीने के कार्यकाल में लगभग 1,500 सौ लोगों को फ्री एंबुलेंस सेवा इस संस्था ने दी है।
साथ ही साथ एम्बुलेंस में मुफ्त में बोतलबंद पानी, फोन तक की भी सुविधा दी जा रही है, ताकि दुख की घड़ी में किसी तरह की परेसानी ना हो। संस्था ने पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए फ्री एम्बुलेंस के साथ-साथ मरीज के परिजनों को उसके साथ घर ले जाने के लिए एक पौधा भी दे रही है, ताकि पर्यावरण हरा-भरा रखा जा सके।
जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन (Zindagi Milegi Dobara Foundation) का उद्देश्य गरीबों की सेवा करना है। इस वजह से सुरुआत में 100 किलोमीटर की दूरी रखी गई थी, लेकिन बहुत से ग़रीब मरीज़, जो झारखंड के बाहर से जो 100 किलोमीटर दूरी से भी आते थे और वे इतने ग़रीब थे कि उतनी दूरी की वजह से अपने मरीज़ों को नहीं ले जा सकते थे। तब संस्था ने अपने नियम तोड़ कर 100 किलोमीटर दूरी से भी अधिक का सफ़र तय करने की शुरुआत की। मरीज़ों और शवों को कोलकाता, बिहार के पटना, पश्चिम सिंहभूम, पूर्वी सिंहभूम, दुमका, गोड्डा, देवघर जैसे शहरों के अलावा 500 किलोमीटर से भी ऊपर की दूरी तय कर शवों को उनके घर तक पहुंचाने का काम शुरू हुआ। जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन ने तमाम कठिनाइयों के बावजूद अपनी सेवा मानवता के नाते ईमानदारी से कर रहा है। इसमे संस्था के सभी मेंबर की अहम भूमिका रही है। सभी ने इस संस्था को चलाने में अपना पूरा सहयोग दिया है। फिलहाल 4 एम्बुलेंस की सहायता से रिम्स, रांची (जहां लालू प्रसाद का फिलहाल इलाज चल रहा है) में फ्री एम्बुलेंस से ग़रीब मरीज़ों को सहायता की जा रही है। रांची में इस संस्था की सेवा के लिए 9709500007 पर संपर्क किया जा सकता है।
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