पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में बढ़ते अपराध ने विचलित कर दिया है। उनकी चिंता का आलम यह है कि उन्होंने तमाम आला अधिकारियों की इस मुद्दे पर आज उच्चस्तरीय बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि हाल के दिनों में माब लिंचिंग (Mob Lynching) की घटनाओं में 6 लोगों की मौत से वह खासा परेशान हैं।
बता दें कि पिछले पखवाड़े भर में बिहार में माब लिंचिंग में 6 लोगों की जान गयी है। पहली घटना सीतामढ़ी कोर्ट परिसर में हुई थी। पेशी के लिए कोर्ट लाये गये कुख्यात अपराधी संतोष झा की गोली मार कर हत्या कर दी गयी। कुछ ही दिन बाद बेगूसराय में एक स्कूली छात्रा का अपहरण करने पहुंचे तीन कुख्यात अपराधकर्मियों की पुलिस के सामने ही लोगों ने पीट-पीट कर हत्या कर दी। सीतामढ़ी में एक वैन ड्राइवर से रुपये छीनने के आरोप में एक व्यक्ति को भीड़ ने मार-पीट कर निपटा दिया। कल सासाराम में रेलवे के रुपये लूटने आये तीन अपराधकर्मियों में पकड़े जाने पर एक की लोगों ने लाठी-डंडे से पीट कर हत्या कर दी।
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इस तरह माब लिंचिंग की लोगों में बढ़ रही प्रवृत्ति ने नीतीश कुमार के सामने मुश्किल पैदा कर दी है। इसी नीतीश कुमार के पहले शासन में अपराधी इस कदर भयभीत हो गये थे कि उन्हें अपना ठिकाना बदलने पर मजबूर होना पड़ा। बड़े-बड़े अपराधी जेलों में ठूंस दिये गये और फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा की सुनवाई कर उन्हें सजा दिलाने में नीतीश कुमार की भूमिका रही। यही वजह थी कि लोग उनके सान काल को सुशासन कहने लगे और उन्हें सुशासन बाबू।
आश्चर्य यह है कि उसी नीतीश कुमार का शासन अब भी है, लेकिन अपराध बेकाबू हो गये हैं। अपराधियों के बारे में लोग खुद फैसला करने लगे हैं। इसे लेकर विपक्ष उन पर उंगलिया उठा रहा है। आम आदमी भी उनके घटते इकबाल की चर्चा करने लगा है। देखना है कि आज की बैठक के बाद अपराधों पर कितनी लगाम लगती है।
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