केस डायरी नहीं आने के कारण तीन बार बेल हुई रिजेक्ट
रांची। पुलिस के एक डीएसपी की साजिश का शिकार बने दो परिवारों के इकलौता कमाऊ बेटा निर्दोष होते हुए भी जेल में रहने को विवश हैं। हटिया डीएसपी विनोद रवानी ने दो निर्दोष युवकों मानवीय कुमार और नंदकिशोर को अवैध शराब कारोबारी बता कर जेल भेज दिया था। 23 दिन से दोनों निर्दोष युवक जेल में बंद हैं। तीन बार उनकी बेल का आवेदन न्यायालय के द्वारा इसलिए रिजेक्ट कर दिया गया, क्योंकि पुलिस ने इस मामले से जुड़ी केस डायरी न्यायालय में समर्पित नहीं की।
परेशान और हताश है पूरा परिवार : हटिया डीएसपी विनोद रवानी की साजिश का शिकार यह पूरा परिवार अपने इकलौते बेटे की रिहाई का इंतजार पिछले 23 दिनों से कर रहा है। अवैध शराब का कारोबारी बता कर मानवीय कुमार को पुलिस ने जेल भेज दिया गया था। मानवीय के घर में उनके बूढ़े मां-बाप, ह्रदय रोग से जूझ रही पत्नी और दो बच्चे हैं। पुलिस के द्वारा दर्ज प्राथमिकी में मानवीय कुमार की गिरफ्तारी धुर्वा के शालीमार बाजार से दिखायी गयी है, लेकिन हकीकत में वह अपने एक मित्र की दुकान पर बैठे हुए थे जहां से पुलिस ने उन्हें उठाया था। मानवीय कुमार के दोस्त वीर बहादुर के अनुसार वे लोग दुकान पर बैठे हुए थे, तभी पुलिस की दो गाड़ियां पहुंचीं और पूछा कि इनमें से मानवीय कुमार उर्फ बनर्जी कौन है। पहचान होते ही मानवीय कुमार को पुलिस यह कह कर अपने साथ ले गयी कि उससे कुछ जरूरी पूछताछ करनी है।
खबर पाकर परिवार के लोग भागे-भागे धुर्वा थाना पहुंचे, लेकिन उन्हें कोई जानकारी हासिल नहीं हो पायी। दूसरे दिन उन्हें यह सूचना मिली कि मानवीय कुमार और नंदकिशोर को पुलिस ने अवैध शराब के कारोबार के मामले में गिरफ्तार किया है। उसके बाद हटिया डीएसपी ने रांची के सिटी एसपी को बुलाकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और शराब का अवैध कारोबारी बता कर दोनों को जेल भेज दिया। मानवीय कुमार के पूरे परिवार को यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर इस साजिश का शिकार उनका ही परिवार क्यों हुआ। हृदय रोग से पीड़ित मालवीय कुमार की पत्नी सुनीता देवी के अनुसार उनके पति की किसी से दुश्मनी नहीं थी। इसके बावजूद उन्हें ही क्यों इस कांड में फंसाया गया, यह समझ से परे है। सुनीता देवी के अनुसार मानवीय कुमार के बेल के लिए उन लोगों ने तीन बार न्यायालय में अपील की, लेकिन तीनों ही बार केस डायरी नहीं होने की वजह से बेल को रिजेक्ट कर दिया गया। कोर्ट के द्वारा बार-बार मांगे जाने के बावजूद अभी तक केस डायरी जमा नहीं किया गया जबकि हर कोई यह जानता है कि दोनों निर्दोष हैं। इसके बावजूद वे पिछले 23 दिनों से जेल में बंद हैं।
नंदकिशोर का परिवार रांची से बाहर : साजिश का शिकार हुआ दूसरा युवक नंद किशोर भी निर्दोष होने के बावजूद जेल में बंद है। उसका बेल भी तीन बार रिजेक्ट हो चुका है। उसके परिवार के लोग फिलहाल रांची से बाहर हैं। इसलिए उनसे बातचीत नहीं हो पायी। नंदकिशोर जिस पर पुलिस ने यह आरोप लगाया है कि जिस वाहन में शराब की तस्करी की जा रही थी उसे वही चला रहा था। लेकिन जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है कि नंदकिशोर एक मामूली दूध विक्रेता है जो मोहल्ले में साइकिल से दूध बांटा करता है। उसे तो चार पहिया वाहन चलाने ही नहीं आता।
क्या है पूरा मामला
खड़ी कार में उठा कर रख दी थी शराब : हटिया डीएसपी के नेतृत्व में शराब तस्करी की झूठी कहानी रच कर दो युवकों को चोरी की गाड़ियों में शराब के साथ रंगे हाथ गिरफ्तारी दिखा कर 31 अगस्त को जेल भेज दिया गया था। इसमें हटिया डीएसपी विनोद रवानी ने अधिकारियों को सूचना दी थी कि एक सफारी (जेएच-05एच-1441) और एक मारूति कार (जेएच-11ए-4495) से दो शराब तस्कर पकड़े गये हैं। दावा किया गया कि धुर्वा स्थित शालीमार मार्केट से बिहार के लिए चली गाड़ियां जब्त की गयी है। इसके विपरीत दोनों गाड़ियां डोरंडा के पत्थल रोड के बगल में एक घर के सामने से उठायी गयी थी। पुलिस इसे क्रेन से उठवा कर चुपचाप ले गयी थी। इस मामले में दो निर्दोषों को भी जेल भेज दिया गया।
बिना बैट्री वाली कार को दिखाया चलती कार : यह पूरा माजरा मोहल्ले में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। वाहन के मालिकों के मुताबिक दोनों गाड़ियां घर के बाहर लंबे समय से मरम्मत के लिए खड़ी थी। सफारी में बैटरी भी नहीं थी, फिर भी चलती कार दिखा कर उसमें शराब लाद कर भेजने की कहानी रची गयी थी। इस पूरी कहानी को सच बना कर एक प्रेस वार्ता भी करायी थी। इसमें सिटी एसपी को मोहरा बना दिया गया था। जबकि उन्हें उनकी जालसाजी की जानकारी तक नहीं थी। इस प्रकरण का सच वाहन मालिकों के सामने आने के बाद सामने आया था।
हटाये गये थे तीन थानेदार, लेकिन डीएसपी पर नहीं हुई कार्रवाई : मामले में एसएसपी ने कार्रवाई करते हुए धुर्वा थानेदार तालकेश्वर राम, तुपुदाना थानेदार प्रकाश कुमार और डोरंडा थानेदार आबिद खान को लाइन हाजिर कर दिया था। एसएसपी ने इस पूरे प्रकरण की सुपरविजन की जिम्मेवारी सिटी एसपी अमन कुमार को दी थी। सदर डीएसपी दीपक कुमार पांडेय को केस का अनुसंधानकर्ता बनाया था। लेकिन मुख्य साजिशकर्ता हटिया डीएसपी विनोद रवानी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं, रांची एसएसपी अनीश गुप्ता के अनुसार फिलहाल मामले की जांच जारी है और डीएसपी सदर पूरे मामले का सुपर विजन कर रहे हैं। वह लगातार न्यायालय के संपर्क में हैं। हालांकि, हटिया डीएसपी को लेकर एसएसपी कुछ भी कहने से बचते रहे।
पीएम सुरक्षा में भी नहीं लगाया गया है हटिया डीएसपी को : झारखंड पुलिस के अधिकारी यह भली-भांति जानते हैं कि पूरे मामले में हटिया डीएसपी ही दोषी हैं। शायद यही वजह है कि हटिया डीएसपी को प्रधानमंत्री के रांची दौरे को लेकर सभा स्थल पर कोई जिम्मेदारी नहीं दी गयी है। जबकि पीएम का कार्यक्रम हटिया डीएसपी के क्षेत्र में ही हो रहा है। रांची एसएसपी के अनुसार हटिया डीएसपी सभा स्थल के बाहर का लॉ एंड आर्डर की स्थिति संभाल रहे हैं।
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