पटना। पिता से सियासी गुरुमंत्र लेकर लौटे तेजस्वी यादव में थोड़ा जोश उभरा है। उन्होंने दो आशंकाओं को निर्मूल करने के लिए अपनी जुबान खोली। पहला तो उन्होंने यह कहा कि महागठबंधन की बिहार में बड़ी रैली दिसंबर में होगी। गांधी, लोहिया और जयप्रकाश नारायण के जन्मदिन के मद्देनजर सिर्फ एक दिनी जयंती नहीं, बल्कि पखवाड़े भर का कार्यक्रम राजद मनायेगा। दूसरी सफाई उन्होंने अपने परिवार के लफड़े के बारे में दी है। उन्होंने कहा है कि यह सब नीतीश कुमार की चाल है। उनके परिवार में कोई लफड़ा नहीं है।
दरअसल लालू से उनके मिलने का प्रयोजन भी अपरोक्ष तौर पर इसी के इर्द-गिर्द था। लालू परिवार में खट्टापन इतना बढ़ गया है कि इसका एक उदाहरण ही काफी है। पार्टी के प्रमुख नेताओं की बैठक में तेजस्वी के बड़े भाई शामिल नहीं हुए। बताया गया कि वह यात्रा कर लौटे हैं, इसलिए थके हुए हैं। यह सामान्य शिष्टाचार है कि जब कोई घर पर आये तो लाख थके होने के कारण कोई सामने आये बगैर रोक नहीं सकता। क्षमा मांग कर चले जाने की बात तो समझ में आती है, लेकिन तेजप्रताप ने इतना भी उचित नहीं समझा।
बताते हैं कि लालू ने सिर्फ इतना कहा है कि अभी चूक गये तो तुम लोग जीवन भर पछताओगे। इसलिए खटपट पर पर्दा फिलहाल जाले रहो। चुनाव तक एकता साफ झलकनी चाहिए। चुनावी तैयारियों में जुटने की बजाय आप लोग हम बड़े-तुम छोड़े की बचकानी लड़ाई लड़ रहे हैं। लालू ने ही टुनावी सरगर्मी तेज करने के तरीके भी बताये। उन्होंने कहा कि गांधी जी की जयंती सामने है। लोहिया और जयप्रकाश भी जयंती है। ये हमारे दल के आदर्श भी रहे हैं और मौजूदा दौर में भाजपा इसे भुनाने की फिराक में है। लपकिए और न सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम, बल्कि पखवाड़े भर का कार्यक्रम रखिए। राजद के बैनर तले राज्यभर में ये आयोजन होने चाहिए।
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लालू की सलाह है कि तेजस्वी महागठबंधन को और सक्रिय बनायें। इसके लिए नवंबर-दिसंबर में उन्होंने नवंबर-दिसंबर का समय उचित बताया। मसलन अब राजद भी चुनावी मोड में आने को तैयार होने लगा है।
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