बिहार को विशेष दर्जे की जरूरत समझाई नीतीश कुमार ने

0
191

पटना। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार लैंड लॉक्ड स्टेट है। अतः यहां अन्य कोस्टल राज्यों की तरह इंडस्ट्री एवं ट्रेड के लिए इन्वेस्टमेंट नहीं है। यह राज्य को स्पेशल कैटेगरी मिलने से ही संभव है। अन्य राज्यों की तुलना में यहां परकैपिटा इन्कम कम है, लेकिन यहां व्यक्तिगत काम के द्वारा लोगों की आमदनी बढ़ी है जो आंकड़ों में प्रतीत नहीं होता है। जो राज्य पिछड़े हैं, वहां संसाधनों की कमी है। वहां पर अन्य राज्यों की तरह इक्वेलिटी और इक्वेलाइजेशन के आधार पर संसाधन का वितरण करना उचित नहीं है। इसके कारण जो राज्य पिछड़े हैं, पिछड़ते ही चले जाएंगे। मुख्यमंत्री 15वें वित्त आयोग की बैठक में अपनी बातें रख रहे थे।

उन्होंने कहा कि बिहार राज्य की आबादी अधिक है। इसकी वजह ऐतिहासिक भी है, क्योंकि यह क्षेत्र उपजाऊ था, वातावरण बढ़िया था एवं अन्य भी कई कारण थे। यहां जनसंख्या का घनत्व बहुत ज्यादा है, अतः बेहतर सुविधा के लिए कई काम राज्य सरकार अपने फंड से कर रही है। जनसंख्या नियंत्रण के लिए लड़कियों को शिक्षित करना एक अनिवार्य कारण मानकर हमलोग प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्लस टू स्कूल खोलने की योजना पर काम कर रहे हैं। अभी तक राज्य सरकार अपने फंड से 1,200 ग्राम पंचायतों में प्लस टू स्कूल खोल चुकी है।

- Advertisement -

बिहार में कुल 8,400 ग्राम पंचायत हैं, शेष पंचायतों में स्कूल खोलने के लिए 8 से 9 हजार करोड़ रुपए की आवश्यकता है। इस पर 15वें वित आयोग को विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि लड़कियों को शिक्षित करने के लिए साइकिल योजना एवं पोशाक योजना लागू की गई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बजट से 1100 पंचायतों में पंचायत सरकार भवन का निर्माण कराया है। पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत बनाने में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। यह भवन उत्कृष्ट तरीके से बना है। इसमें बैंक खोलने के लिए भी हम जगह देने को तैयार हैं। इस भवन के माध्यम से उस ग्राम पंचायत के सारे कार्यों के निष्पादन में सहूलियत होगी। शेष पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बनाने के लिए और पैसे की आवश्यकता है, इस पर भी विचार करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां का क्रेडिट डिपॉजिट रेशियो कम है। यहां के लोग ज्यादातर पैसा बैंक में ही जमा रखते हैं। यह सोचने की जरूरत है कि हमारे यहां के लोगों का पैसा बैंक जमा के रूप में स्वीकार कर दूसरे राज्यों के अमीर आदमी को ऋण के रूप में दे रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में सत्ता संभालने के समय राज्य का बजट 30 हजार करोड़ रुपए का था और आज 1 लाख 80 हजार करोड़ रुपए का हो गया है। राज्य सरकार विकास के लिए हरेक क्षेत्रों में काम कर रही है। चाहे कृषि हो, शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, इन्फ्रास्ट्रक्चर हो। बिहार में जमीन का दर बढ़ गया है। एग्रीकल्चर एरिया, रेसिडेंसियल बनते जा रहा है और रेसिडेंसियल एरिया कॉमर्शियल बन रहा है। इन सब चीजों के कारण जमीन अधिग्रहण में भी समस्या होती है। इन्फ्रास्ट्रकचर के क्षेत्र में काम होने से यहां के कामगारों की व्यक्तिगत आमदनी  बढ़ी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार आपदा पीड़ित  राज्य है  यहां बाढ़ नेपाल,  उत्तराखंड  एवं  मध्यप्रदेश  की नदियों  से  आती है,  जिससे  70  प्रतिशत  क्षेत्र  बाढ़ से प्रभावित रहता है। हमलोग भूकंप जोन में भी आते हैं और इसका असर भविष्य में दिख सकता है। आपदा के लिए केंद्र सरकार 500 करोड़ देती है इसे भी बढ़ाने की जरुरत है। वर्ष 2017 में  आयी  भयानक  बाढ़  में  18  लाख पीड़ित  परिवारों को  6  हजार  रुपये  प्रति  परिवारों को सहायता  राशि  उनके  खाते  में  भेजी गई।  इस  मद  में 2400  करोड़  रुपए  राज्य  सरकार ने अपनी तरफ से व्यय किया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि राज्य के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का है। हमलोग दुर्घटनाएं एवं आपातकालीन घटनाओं के लिए मुआवजे के तौर पर 4 लाख रुपए तक की राशि 24 घंटे के अंदर उपलब्ध करा देते हैं। बिहार आपदा पीड़ित राज्य है, इसके लिए भी विचार कीजिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपलोग अपने बजट प्रावधान में वन क्षेत्र को अहमियत देते हैं। झारखंड से बंटवारे के समय बिहार में वन क्षेत्र लगभग 7 प्रतिशत था, जो अब लगभग 15 प्रतिशत हो गया है। इसके लिए हरियाली विकास मिशन की स्थापना की गई। 22 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाए गए। राज्य में हरित आवरण क्षेत्र आनुपातिक दृष्टिकोण से 17 प्रतिशत से ज्यादा नहीं हो सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में ऑर्कियोलॉजिकल साइट भरा पड़ा है। नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय, तेलहाड़ा में भी विश्वविद्यालय का पता चला है। लखीसराय में कृमिला जगह की खुदाई राज्य सरकार अपने खर्च से की है। मधुबनी में बलराजगढ़, वैशाली एवं इस तरह के कई पुरातात्विक स्थल उत्तरी बिहार में भरे पड़े हैं। राज्य सरकार ने अपने खर्च से विश्वस्तरीय बिहार संग्रहालय का निर्माण कराया है। पटना में अशोक कन्वेंशन केंद्र का निर्माण कराया गया। राजगीर में साइक्लोपियन वाल, जरासंध का अखाड़ा, पांडु पोखर सब दर्शनीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं में राज्य सरकार को भी राशि खर्च करनी पड़ती है, यह उचित नहीं है। राज्य सरकार स्टेट हाइवे का निर्माण एवं बेहतर रखरखाव के लिए खर्च कर रही है। एन0एच0 को ठीक करने के लिए 970 करोड़ रुपए की राशि पहले खर्च कर चुकी है जो राज्य सरकार अभी तक नहीं मिली है। प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर 2006 में जहां एक माह में 39 मरीज इलाज के लिए जाया करते थे, आज उनकी संख्या 11 हजार तक पहुंच गई है। बिहार का विकास दूसरे राज्यों से अलग है। यहां जमीनी स्तर पर हाशिए पर रह रहे लोगों को मुख्यधारा में लाने हेतु कार्य किया जा रहा है। बिहारी बिहार के बाहर भी अपना बेहतर योगदान सभी क्षेत्रों में दे रहे हैं। यहां व्यक्तिगत काम से आमदनी बढ़ी  है लेकिन  परकैपिटा इनकम एवं  जी.एस.डी.पी.  में  उतनी  वृद्धि  नहीं है क्योंकि हमारे राज्य की परिस्थिति अलग है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के अंत तक हर घर तक बिजली का कनेक्शन उपलब्ध हो जाएगा। अगले वर्ष तक हर घर में शौचालय का निर्माण, अगले दो वर्ष में पाइप लाइन के माध्यम से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नल का जल उपलब्ध होगा एवं पक्की गली नाली का निर्माण पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या सिर्फ मल्टीस्टोरी बिल्डिंग, माल, इंडस्ट्रीज स्थापित कर लेना ही विकास है ? हमलोगों का लक्ष्य है कि लोगों को बुनियादी सुविधाएं मिले, यही विकास के मायने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने सामान्य एवं विशेष राज्य के दर्जे में अंतर नहीं करने की बात कही थी, यह विरोधाभास है। 15वें वित्त आयोग को इस पर ध्यान देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत लाभुकों को एक लाख 20 हजार रुपए की राशि मिलती है, लेकिन जिनके पास जमीन नहीं है। उन्हें इस योजना का लाभ लेने के लिए राज्य सरकार अपनी तरफ से जमीन खरीदने के लिए 60 हजार रुपए उपलब्ध करा रही है। पुराने एवं जर्जर इंदिरा आवास योजना के तहत बने मकानों को फिर से बनाने के लिए राज्य सरकार अपने तरफ से खर्च कर रही है।

राज्य सरकार जीविका के माध्यम से महिलाओं का उत्थान कर रही है। राज्य के ऐसे वंचित परिवार जिन्हें योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है उनके जीविकोपार्जन के लिए राज्य सरकार जीविका की दीदीयों के माध्यम से इनके लिए संसाधन उपलब्ध करा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 15वां वित आयोग व्यावहारिकता के आधार पर बिहार के लिए निर्णय करें।

मुख्यमंत्री सचिवालय में हुई 15वें वित्त आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार शामिल हुए। वित्त आयोग की तरफ से आयोग के अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह, आयोग के सदस्य श्री शक्ति कांत दास, डॉ. अनूप सिंह, डॉ. अशोक लाहिड़ी, सचिव श्री अरविन्द मेहता एवं संयुक्त सचिव श्री मुखमित सिंह भाटिया, डा. रवि कोटा एवं आयोग के अन्य प्रतिनिधि शामिल हुए। बिहार सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी एवं सचिव वित्त (व्यय) श्री राहुल सिंह ने 15वें वित्त आयोग के समक्ष विस्तृत प्रस्तुति दी।

15वें वित्त आयोग के समक्ष मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि प्रस्तुतीकरण के माध्यम से आयोग को सारी बातों से अवगत करा दिया गया है और आयोग ने भी चर्चा कर सारी चीजों को बेहतर तरीके से समझा है। उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने आंकड़ों के द्वारा आयोग को वस्तु स्थिति से अवगत कराया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त आयोग संविधान के दायरे में रहकर काम करता है और पूरे देश के लिए सोचता है। राजस्व का संग्रह और संसाधनों के उचित वितरण के बीच संतुलन स्थापित करता है। देश के हाशिए पर रह रहे व्यक्ति को मुख्यधारा में लाना गांधी जी की भी अवधारणा थी। आर्थिक विकेंद्रीकरण के द्वारा इसे और आसान बनाया जा सकता है।

प्रस्तुतीकरण के उपरांत वित्त आयोग के अध्यक्ष श्री एन0के0 सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपने महत्वपूर्ण एवं तार्किक सुझाव रखें है, जिस पर गौर करने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि जो बिहार के हित में होगा, आयोग गंभीरता से सहानुभूतिपूर्वक सकारात्मक विचार करेगा। आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों का स्वागत पुष्प गुच्छ भेंटकर किया गया। मुख्यमंत्री द्वारा 15वें वित्त आयोग को मेमोरेंडम सौंपा गया। उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने भी आयोग के समक्ष अपनी बातें रखीं।

यह भी पढ़ेंः मुख्यमंत्री ने कहा, पटना की बदलेगी सूरत, अब हर-घर से उठेगा कचरा

- Advertisement -