पटना। महागठबंधन में मची भगदड़ का कारण राहुल गाँधी के नेतृत्व को बताते हुए भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सह पूर्व विधायक श्री राजीव रंजन ने कहा कि खुद को सर्वश्रेष्ठ मानने के कांग्रेसी अहंकार तथा राहुल गाँधी के अक्षम नेतृत्व के कारण आज तथाकथित महागठबंधन के दूसरे दल कांग्रेस से दूरी बना रहे हैं। ताजा मामला मायावती का है, जिन्होंने खुल कर कांग्रेस को कोसते हुए महागठबंधन से हटने का एलान कर दिया है।
ऐसे भी यह सर्वविदित है कि पूरी तरह अवसरवाद और मतलबपरस्ती का प्रतीक कहे जा रहे इस गठजोड़ में शामिल हर दल की अपनी महत्वकांक्षा और स्वार्थ है, जिसके कारण ये दल कभी भी एक दूसरे की पीठ में छुरा घोंप सकते हैं और आज इनका यही चरित्र खुल कर सामने आ रहा है। हकीकत में भाजपा के खिलाफ महागठबंधन बनाने में कई अड़चनें हैं, जिन्हें छिपाने की ये दल पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इनकी सबसे बड़ी अड़चन तो खुद प्रधानमन्त्री बनने का ख्वाब पाले बैठे और आज तक के सबसे अक्षम नेता साबित हो चुके राहुल गांधी हैं।
सपा, बसपा, एनसीपी, टीडीपी जैसे किसी भी दल को राहुल की अगुवाई मंजूर नहीं है। प्रस्तावित महागठबंधन में 19 दल शामिल हैं, लेकिन इनमें से 11 दलों के शीर्ष नेताओं ने 2019 में गठबंधन की सरकार बनने की सूरत में खुद को पीएम पद के तौर पर पेश करने के लिए भी कमर कस ली है। इनके इस अभियान में दूसरी बड़ी बाधा इन दलों का अन्तर्विरोध है। यह सब जानते हैं कि इनमें से कई दल स्वाभाविक रूप से एक दूसरे के प्रतिद्वंदी है, जो सिर्फ अपना अस्तित्व बचाने के लिए आज एक दुसरे का हाथ थामे हुए हैं और मौका मिलते ही एक दुसरे पर वार करने से बाज नहीं आने वाले। इनकी तीसरी सबसे बड़ी समस्या मोदी सरकार का अंधविरोध है। कई विरोधी दल चूंकि विपक्ष में इसलिए महज विरोध करने के नाम पर एक दिखना चाहते हैं। दरअसल मोदी विरोध का आलम यह है कि केंद्र सरकार कितनी भी अच्छी नीतियां देशहित में क्यों न बना ले, विपक्ष उसके विरोध में हो-हल्ला करता ही है।
इसके अलावा यह दल कांग्रेस के लगातार गिरते जनाधार पर भी पैनी नजर रखे हुए हैं और इसी बुनियाद पर सरकार बनने पर खुद के लिए ज्यादा से ज्यादा हिस्सा मांग रहे हैं, जो कांग्रेस अपने अहंकार में कभी नहीं देने वाली। आज इनकी आपसी कलह सतह पर आ चुकी है, जिसका आगे और बढ़ना तय है और इसी वजह से आने वाले लोकसभा चुनावों से पहले इनका गठबंधन निश्चय ही तार-तार हो जाएगा।
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