ममता का साथ छोड़ सकते हैं मुसलमान, 7 इमाम बीजेपी के संपर्क में

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ममता बनर्जी ने टीएमसी का घोषणापत्र आज जारी कर दिया। घोषणापत्र एक तरह से वादों का 'पिटारा' है। घर-घर राशन यानी डोर डिलीवरी का वादा किया है।
ममता बनर्जी ने टीएमसी का घोषणापत्र आज जारी कर दिया। घोषणापत्र एक तरह से वादों का 'पिटारा' है। घर-घर राशन यानी डोर डिलीवरी का वादा किया है।

कोलकाता (डी. कृष्ण राव)। आगामी लोकसभा चुनाव के पहले राज्य के वोट बैंक में काफी फेरबदल होने की संभावना दिख रही है। राज्य के विभिन्न जिलों से कम से कम 6 मस्जिदों के इमाम राज्य भाजपा के विभिन्न नेताओं से सम्पर्क बनाये हुए हैं। खासकर राज्य भाजपा के नेता मुकुल राय से इन लोगों ने सम्पर्क साधा है। वैसे भी भाजपा में मुसलमान सदस्यों की संख्या बढ़ रही है।

इधर सत्ताधारी  तृणमूल कांग्रेस के कई जुझारू नेता व मंत्री भी भाजपा के सम्पर्क में हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि चुनाव के पहले कई तृणमुल नेता भाजपा में शामिल होंगे। दो दिन पहले तृणमूल कोर कमिटी की बैठक में तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पार्टी नेताओं  को चेतावनी देते हुए कहा था कि उनकी जानकारी में पार्टी के कई नेता भाजपा के साथ सम्पर्क साधने की कोशिश में हैं। उससे फायदा नहीं होगा। ममता बनर्जी ने खुद स्वीकार किया था कि उनके मंत्रिमंडल के एक प्रभावशाली मंत्री भाजपा के साथ संपर्क में हैं।

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इधर राज्य की 28 हजार दुर्गा पूजा कमिटियों को 10-10 हजार रुपये सहायता देने की घोषणा सरकार ने की है। हालांकि हाईकोर्ट मंगलवार तक इस पर रोक लगा दी है। इससे राज्य के ज्यादातर इमाम नाराज हैं। उनकी मांग है कि इमामों को जो भत्ता मिलता है, वह नाकाफी है। सरकार को उसमें वृद्धि करनी चाहिए। इस घटना से नाराज कई इमाम भाजपा से संपर्क बना रहे हैं। उन लोगों का कहना है भाजपा ही एकमात्र धर्म निरपेक्ष पार्टी है। इधर राज्य भाजपा के नेताओं का दावा है कि पूजा कमिटियों को रुपये देने की घोषणा से नाराज इमाम उनसे संपर्क साध रहे हैं। उनका कहना है कि पंचायत चुनाव के पहले भाजपा में मुसलमान सदस्यों की संख्या में इजाफ़ा हुआ था, जो कि तीन तलाक के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भाजपा में मुसलमान सदस्यों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।

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इधर कुछ दिन पहले मुसलमानों के एक संगठन ने कोलकाता में एक जुलूस के दौरान तृणमूल कांग्रेस से मांग की थी कि राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 16 सीटें मुसलमानों को देनी होगी। पूजा कमिटियों को रुपये देने पर मस्जिदों को भी आर्थिक मदद देनी होगी। इसके अलावा ईद में भी दूर्गा पूजा की तरह सात दिनों की छुट्टी देने की मांग की गयी। इन घटनाओं के बाद राज्य में मुसलमानों का वोट बंटना निश्चित है। तृणमूल नेता इस विषय पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

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