पटना। बुरा वक्त तो सबका आता हैं। कोई बिखर जाता है, कोई निखर जाता है। वक्त सबको मिलता है जिंदगी बदलने के लिये। जिंदगी सबको नहीं, वक्त बदलने के लिये। बिहार की औरंगाबाद की रहने वाली मध्यमवर्गीय परिवार की सपना के लिये सपनों जैसा जीवन जीना कभी आसान नहीं था, लेकिन अपनी हिम्मत और आत्मविश्वास की धनी साधारण-सी लड़की ने कभी अपने सपनों को मिटने नहीं दिया। वो लम्हा आया, जब वक्त से अपनी लड़ाई लड़ कर सपना ने अपना सपना पूरा किया।
एक आम जिंदगी जीने वाली सपना के साथ बुरा वक्त तब आया, जब उसका शादीशुदा जीवन अचानक बिखर गया। मुश्किल समय में टूटने के बदले खुद को नये सिरे से तैयार किया सपना ने। अपने लिये नयी मंजिलों को तय कर उस राह में बढ़ गयीं। खुद की व्यवसायी क्षमता को निखार कर अपना काम शुरू किया।
यह भी पढ़ेंः गांव में स्कूल के लिए जमीन का आखिरी टुकड़ा भी कर दिया दान
ग्लैमर की दुनिया ने सपना को हमेशा अपनी ओर खींचा था। एक दिन वो लम्हा आया, जब उनकी मुलाकात देवांजनि मित्रा से हुई, जहां उन्हें मिसेज इंडिया प्रतियोगिता के बारे में पता चला। मगर मन में एक डर था, जो देवांजनि के साथ बात करने के बाद दूर हो गया। सपना 7 दिनों के लिये प्रतियोगिता में बिताया वक्त बहुत बेशकीमती मानती हैं। उनका कहना है की इंसान इतने बड़े मंच पर पहुँच जाये, तभी उसकी जीत हो पाती है।
यह भी पढ़ेंः बिहार के 5 दिव्यांगों ने मिल कर बना डाला दवाई बैंक!
उन्होंने विजेता के फैसले को सहर्ष स्वीकार किया। फिर वो लम्हा आया, जब उनका नाम मिसेज हम्बल टाइटल के लिये चुना गया। अपनी हार को जीत में बदल देने का सपना का आत्मविश्वास एक अनूठी मिसाल है। अपनी सफलता का श्रेय सपना उन सबको देती हैं, जिनको उन पर विश्वास था। साथ ही अपने आत्मबल को, जिसकी वजह से वह खुद को मुश्किलों से बाहर निकाल सकीं। विशेष धन्यवाद अपनी मेंटर देवांजनि को देती हैं, जिनके मार्गदर्शन से यह मंजिल उनको मिली।
यह भी पढ़ेंः बिहार में नीतीश का कोई तोड़ नहीं, काम से मनवा रहे लोहा