संविधान और गांधी जी की भावना का सरकार कद्र करती हैः दास

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  • मुख्यमंत्री बोकारो के ललपनिया स्थित लुंगुबुरु घंटा बाड़ी धोरोम गाढ़ में आयोजित 18वीं आदिवासी संथाल सरना धर्म महा सम्मेलन में शामिल हुए
  • मुख्यमंत्री संथाली लोक धुन में थिरके, कहा- मरांग बुरु सभी का कल्याण करें, समृद्धि से राज्य लोग आच्छादित हों

ललपनिया (बोकारो)। मरांग बुरु सभी का कल्याण करें, समृद्धि से राज्य लोग आच्छादित हों। यही कामना लेकर आशीर्वाद लेने आया हूं। उनके लिए जो अभाव की जिंदगी जी रहे, उनके जीवन में बदलाव आए। मान्यता है और मुझे विश्वास भी है कि मरांग बुरु से सच्चे मन से मांगी या की गई याचना जाया नहीं जाती। मेरी भी नहीं जाएगी। झारखण्ड के गरीबों के दिन जरूर बहुरेंगे। उस निमित्त सरकार कार्य कर रही है। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहीं। श्री दास शुक्रवार को बोकारो के ललपनिया स्थित लुंगुबुरु घाटा बाड़ी धोरोम गढ़ में आयोजित आदिवासी संथाल सरना धर्म महा सम्मेलन में बोल रहे थे। श्री दास ने कहा कि यही वजह है कि सीधा सरल संथाल समाज जो हमारे समक्ष आज उपस्थित है, उसकी स्नेह धारा ही हमारी विरासत है, जिसे हमें सहेज कर रखना है। मुख्यमंत्री 18वीं आदिवासी संथाल सरना धर्म महा सम्मेलन में शामिल हुए।

उन्होंने कहा कि मेरा मन यहां की प्राकृतिक छटा ने मोहा था, लेकिन पीड़ा भी हुई थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि लुगु पहाड़ के इस पवित्र स्थल को प्रकृति ने बहुत खूबसूरती से सजाया है। जब मैं यहां आया था, तब इस स्थल की खूबसूरती और श्रद्धालुओं के आस्था ने मेरा मन मोहा था। लेकिन पीड़ा भी हुई थी कि श्रद्धालु खुले आकाश के नीचे रहने को विवश थे। अब उस स्थिति में बदलाव आया है। हमने टेंट सिटी का निर्माण किया और श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था की। आज उनसे बात कर मन प्रफुल्लित हो उठा।

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राज्य सरकार कराएगी तीर्थ स्थल के दर्शन

मुख्यमंत्री ने कहा कि संथाल समाज के लिए लुगुबुरु घंटाबाड़ी धोरोम गढ़ तीर्थ स्थल हैं। समाज के लोग जीवन में एक बार इस स्थल पर आकर खुद को धन्य करना चाहते हैं, लेकिन समाज में कई ऐसे परिवार हैं, जो आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से लुगु पहाड़ नहीं आ पाते। ऐसे लोगों को ध्यान में रखकर तीर्थ दर्शन योजना के तहत राज्य के विभिन्न जिलों से श्रद्धालुओं को लुगु पहाड़ दर्शन हेतु लाया गया। सरकार ने करीब 50 लाख की राशि समाज के लोगों को सुविधा प्रदान करने में खर्च की है। सरकार की योजना है कि इस स्थल को सांस्कृतिक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की। यह सरकार का सौभाग्य है कि हमें यह कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ।

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समाज का विकास कैसे हो, इसका चिंतन करें

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह समुद्र मंथन से अमृत निकला था, उसी प्रकार इस दो दिवसीय धर्म सम्मेलन में कोई संजीवनी निकले, ताकि आदिवासियों के जीवन मे बदलाव आ सके। आप चिंतन करें, ताकि आने वाली पीढ़ी लाभान्वित हो और अपनी धर्म, संस्कृति, परंपरा और भाषा को अक्षुण्ण रखने के प्रति कृतसंकल्पित रहे।

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