पटना। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा दिसंबर में खुद ब खुद एनडीए से अलग हो जाएंगे। भाजपा नीत एनडीए का इशारा वह अच्छी तरह समझ गये हैं। न भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उनकी बात सुनने को तैयार है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। यह किसी विश्लेषण पर आधारित अनुमान नहीं, बल्कि इस पीड़ा का इजहार खुद उपेंद्र कुशवाहा ने किया है।
कुशवाहा ने सीटों की संख्या पर अब विराम लगा दिया है। वह अब केवल सम्मान मांग रहे हैं, ज्यादा सीटें नहीं। वह तो इतना तक कह रहे कि कोई उनसे मिल तो, ताकि वह अपनी पीड़ा का इजहार कर सकें। उनके मन में कई तरह की कसक है, लेकिन अब वह सिर्फ सम्मान की बात कर रहे हैं। सम्मान पाने के प्रयास में लगे कुशवाहा अब तो यहां तक कहने लगे हैं कि नीतीश कुमार उनके प्रति इस्तेमाल किये शब्द वापस ले लें। ऊपर से सलाह भी दे रहे हैं कि इससे नीतीश का कद छोटा नहीं हो जायेगा।
कुशवाहा फिर दिल्ली पहुंच रहे हैं। वह प्रधान मंत्री से मिलने की आखिरी कोशिश करेंगे। अमित शाह से अब मिलने का प्रयास नहीं करेंगे। हां, एक लचीलापन उन्होंने यह अपनाया है कि अमित शाह ने बुलाया तो वह मिलने जरूर जाएंगे। उनके इन तमाम प्रयासों, बयानों और हरकतों का न ते भाजपा पर कोई असर दिख रहा है और न नीतीश कुमार पर ही। इसका संकेत साफ है कि जिस तरह एनडीए रखे, उपेंद्र को रहना होगा, वर्ना वह अपना रास्ता नापने को आजाद हैं।
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बाल्मीकिनगर में दिसंबर के पहले हफ्ते में उन्होंने अपनी पार्टी की बैठक बुलाई है। समझा जाता है कि इस बीच कोई बात बन गयी तब तो ठीक, वर्ना वह एनडीए से अलग होने का ऐलान कर देंगे। इसलिए कि उनके ट्वीट के तेवर इसी का संकेत देते हैं। उसके बाद वह क्या करेंगे, यह अभी कहना हड़बड़ी होगी, लेकिन एक बात साफ है कि उनके पास महागठबंधन में जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।
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